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शिंदे खेमे की अयोग्यता याचिका पर स्पीकर, उद्धव सेना विधायकों को नोटिस

शिंदे खेमे की अयोग्यता याचिका पर स्पीकर, उद्धव सेना विधायकों को नोटिस

क्या अब उद्धव ठाकरे खेमे के शिवसेना विधायकों पर अयोग्यता का ख़तरा मंडरा रहा है? जानिए, बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा क्यों नोटिस जारी किया गया।

शिवसेना में अयोग्यता का मामला अभी ख़त्म नहीं हुआ है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खेमे की अयोग्यता वाली याचिका पर उद्धव ठाकरे खेमे के 14 विधायकों को नोटिस दिया है। इनके साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को भी नोटिस दिया गया है। स्पीकर ने उद्धव खेमे के विधायकों की अयोग्यता की अपील को खारिज कर दिया था। शिवसेना के मुख्य सचेतक भरतशेत गोगावले द्वारा दायर एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया है।

शिंदे खेमे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में यह याचिका तब दायर की जब हफ्ते भर पहले विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे खेमे को बड़ा झटका दिया। उन्होंने शिंदे खेमे के साथ ही उद्धव खेमे के विधायकों की अयोग्यता की याचिका को खारिज कर दिया। अध्यक्ष ने कहा था, 'मेरा मानना है कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरा तो शिंदे गुट ही असली राजनीतिक पार्टी थी। प्रतिद्वंद्वी गुट के उभरने के बाद से सुनील प्रभु पार्टी के सचेतक नहीं रहे। भरत गोगावले को वैध रूप से सचेतक नियुक्त किया गया। एकनाथ शिंदे को वैध रूप से शिवसेना राजनीतिक दल का नेता नियुक्त किया गया।'

इसके साथ ही नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे द्वारा वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे को शिवसेना के समूह नेता के पद से हटाने के फैसले को भी पलट दिया। स्पीकर ने यह फ़ैसला शिवसेना के संविधान को आधार बनाकर दिया। 

नार्वेकर ने फ़ैसला देने से पहले शिवसेना के संविधान की व्याख्या भी की। उन्होंने 2018 में शिवसेना के संविधान में किए गए संशोधन को मानने से इनकार कर दिया। स्पीकर ने कहा कि शिवसेना का 2018 का संविधान स्वीकार्य नहीं है और चुनाव आयोग में 1999 में जमा किया गया संविधान ही मान्य होगा। उन्होंने कहा, 'प्रतिद्वंद्वी समूहों के उभरने से पहले ईसीआई को आखिरी बार प्रासंगिक संविधान 1999 में सौंपा गया था। मेरा मानना है कि ईसीआई द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को दिया गया शिवसेना का संविधान यह तय करने के लिए शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है कि कौन सी राजनीतिक पार्टी असली है।' इसी आधार पर उन्होंने शिंदे खेमे वाली शिवसेना को असली शिवसेना कहा।

इसी को आधार बनाकर शिंदे खेमे ने उद्धव खेमे के विधायकों की अयोग्यता के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की पीठ ने सभी पक्षों को अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया और 8 फरवरी के लिए आगे की सुनवाई तय की।

12 जनवरी को दायर गोगावले की याचिकाओं में स्पीकर के आदेश को कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण घोषित करने, इसे रद्द करने और सभी 14 यूबीटी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है।

गोगावले का तर्क है कि ठाकरे गुट के सदस्यों ने व्हिप का उल्लंघन किया और स्वेच्छा से शिवसेना की सदस्यता छोड़ दी। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने सत्तारूढ़ सरकार को गिराने का प्रयास करते हुए कांग्रेस और राकांपा के सहयोग से शिवसेना सरकार के खिलाफ मतदान किया। गोगावले के अनुसार, स्पीकर के आदेश ने गलती से इन दावों को महज आरोप कहकर खारिज कर दिया। 

याचिकाओं में उदयसिंह राजपूत, भास्कर जाधव, राहुल पाटिल, रमेश कोरगांवकर, राजन साल्वी, प्रकाश पजटेरफेकर, कैलाश पाटिल, सुनील राउत, विनायक चौधरी, नितिन देशमुख, सुनील प्रभु, वैभव नाइक, संजय पोटनिस और रवींद्र वायकर को निशाना बनाया गया है। 

इधर, स्पीकर नार्वेकर के आदेश को चुनौती देते हुए ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उद्धव गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने पार्टी के अधिकार को लेकर स्पीकर के फैसले को गलत मानते हुए दावा किया है कि शिवसेना पर असल अधिकार उनका ही है। उद्धव ठाकरे के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के साथ ही यह तय माना जा रहा है कि शिवसेना पर दावे की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। 

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