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बिहार के बक्सर के बाद यूपी के ग़ाज़ीपुर में गंगा में मिले शव

बिहार के बक्सर के बाद यूपी के ग़ाज़ीपुर में गंगा में मिले शव

क्या उत्तर प्रदेश और बिहार में सरकारी मशीनरी कुंभकर्णी नींद सो चुकी है क्योंकि इन दोनों राज्यों में नदियों से लगातार शव मिल रहे हैं और ऐसा क्यों हो रहा है, अफ़सर इसका सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

क्या उत्तर प्रदेश और बिहार में सरकारी मशीनरी कुंभकर्णी नींद सो चुकी है क्योंकि इन दोनों राज्यों में नदियों से लगातार शव मिल रहे हैं और ऐसा क्यों हो रहा है, अफ़सर इसका सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं। सोमवार को बिहार के बक्सर में गंगा में 45 से ज़्यादा शव मिलने की ख़बर आई थी और उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना में भी 7 शव मिले हैं। ऐसी ही एक और ख़बर उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर से आई है, जहां गंगा नदी में कुछ शव बहते मिले हैं। 

कोरोना का डर

इन बहते शवों के वीडियो, फोटो सोशल मीडिया, टीवी पर वायरल हो रहे हैं और तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं कि शायद इन वजहों से इन लाशों को इनके परिजनों द्वारा नदियों में बहा दिया गया। इनमें से पहला कारण इन लोगों की कोरोना से मौत होना ही बताया जा रहा है क्योंकि गांवों में कोरोना संक्रमण फैलने का डर इतना ज़्यादा है कि परिजन किसी की कोरोना से मौत होने पर अंतिम संस्कार करने से भी डर रहे हैं।

इंडिया टुडे से बातचीत में स्थानीय लोगों ने कहा कि कोरोना से होने वाली मौतों के कारण श्मशान घाटों में बहुत भीड़ है और लकड़ियों की भी खासी कमी है, इसलिए यह आम बात हो गयी है कि लोग अपने परिजनों के शवों को नदियों में बहा दे रहे हैं। 

एक ग्रामीण ने पीटीआई को बताया कि कई पीड़ित परिवार ऐसे हैं जिन्हें अपने परिजनों के शवों को नदियों में बहाने के लिए मजबूर किया गया। 

कई लोग कहते हैं कि इस बात का पता नहीं चल पा रहा है कि इन शवों को बिहार या उत्तर प्रदेश में कहां से नदी में फेंका गया। अफ़सर एक-दूसरे राज्य पर इस मामले को ट्रांसफर करने की कोशिश कर रहे हैं। 

ग़ाज़ीपुर के डीएम एमपी सिंह ने कहा है कि इस मामले की जांच की जा रही है कि आख़िर ये शव यहां कैसे पहुंचे। बक्सर के एसडीओ केके उपाध्याय ने पत्रकारों से कहा कि इस बात की जांच करने की ज़रूरत है कि ये शव उत्तर प्रदेश के बहराइच या वाराणसी या इलाहाबाद, आख़िर कौन से शहर से आए हैं। 

अब सवाल यही है कि आख़िर ये शव किस राज्य से आ रहे हैं, कौन इन्हें बहा रहा है और ऐसे लोगों को पकड़ा क्यों नहीं जा रहा है। 

इससे इस बात का पता चलता है कि कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर गांवों में बहुत डर है। 

इससे ये भी पता चलता है कि कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा सरकारी आंकड़े से ज़्यादा होगा क्योंकि इस तरह की मौतों का कहां दर्ज किया जा रहा है, ये किसी को नहीं पता। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कई गांवों में खांसी-बुखार से लोग परेशान हैं और टेस्टिंग, बेहतर इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ रहे हैं। 

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