चुनाव में काले धन के लेन-देन से जुड़े मध्य प्रदेश के चर्चित मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कई आला नेताओं के नाम सामने आये हैं। शिवराज सरकार के तीन मंत्री भी इस मामले में लपेटे में हैं।
बता दें कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को रिपोर्ट भेजी है। यह रिपोर्ट मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को भी भेजी गई है। बोर्ड ने मध्य प्रदेश के तीन आईपीएस अफसरों और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी के नाम का उल्लेख करते हुए चारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के लिए कहा है।
बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में अनेक नेताओं और उद्योगपतियों के नामों का भी खुलासा किया है। साथ ही कहा है कि शक के दायरे में आने वाले नेता, उद्योगपति और अन्य संदेही लोगों के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज करते हुए पूरी पड़ताल की जाये।
सीबीडीटी की रिपोर्ट मीडिया में भी आयी है। रिपोर्ट के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ 50 से ज्यादा वर्तमान विधायकों और नेताओं के नाम संदेही लोगों के तौर पर बताये गये हैं।
शिवराज के मंत्रियों के भी नाम
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये और बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव जीतने के बाद शिवराज सरकार में पुनः मंत्री बनने वाले बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का नाम भी चुनाव में काले धन का लेन-देन करने वाले संदेहियों में शुमार है।
तोमर और दत्तीगांव ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास समर्थक हैं। सिंधिया के निर्देश पर ही दोनों विधायक पद छोड़कर दोनों कांग्रेस से बीजेपी में आये थे। माना जा रहा है कि नाम सामने आने के बाद इन तीनों मंत्रियों की मुश्किलें भी बढ़ेंगी।
कमलनाथ सरकार में पड़ी थी रेड
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान आईटी विभाग ने मध्य प्रदेश में रेड की थी। तब कमलनाथ की सरकार थी। कमलनाथ से जुड़े लोगों के यहां छापे पड़े थे। मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली में भी छानबीन हुई थी। कमलनाथ सरकार में सलाहकार आरके मिगलानी, ओएसडी प्रवीण कक्कड़ और नाथ के भांजे रतुल पुरी सहित अनेक करीबियों के यहां छापे डाले गये थे।
इस रेड में हवाला के अलावा काले धन के लेन-देन से जुड़ा काफी बड़ा ब्यौरा आईटी विभाग के हाथ लगा था। यह बात सामने आयी थी कि न केवल लोकसभा चुनाव 2019 बल्कि विधानसभा के 2018 के मध्य प्रदेश के चुनावों के लिए भी काफी बड़े पैमाने पर काला धन जुटाया गया।
बड़ी राशि कांग्रेस के दिल्ली स्थित मुख्यालय पहुंचाये जाने की जानकारियों से जुड़े साक्ष्य भी आईटी रेड में मिले थे।
रेड के दौरान मिले दस्तावेजों के आधार पर जांच एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि चुनाव के लिए धन जुटाने हेतु मध्य प्रदेश के सरकारी महकमों के साथ अफ़सरों का भी उपयोग किया गया।
मध्य प्रदेश में सक्रिय उद्योगपतियों और सरकारी क्षेत्र के ठेके लेने वालों के नाम भी पूरे गोरखधंधे में सामने आये। कुल मिलाकर सीबीडीटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने और नेताओं के नाम खुलने के बाद मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा हुआ है।
ईओडब्ल्यू करेगी एफ़आईआर
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पूरा मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश का आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) एफ़आईआर करने की तैयारियां पूरी कर चुका है। आज या कल में एफ़आईआर दर्ज किये जाने के संकेत हैं।
रणदीप सुरजेवाला का भी नाम
सीबीडीटी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला का नाम भी संदेहियों वाली सूची में शामिल बताया गया है। कांग्रेस के कुल 64 नेता हैं, जिनके नाम रिपोर्ट में हैं। सीधे तौर पर कहें तो इन सभी से जवाब-तलब होना तय हो चुका है।
नरोत्तम बोले- कोई नहीं बचेगा
शिवराज सरकार के प्रवक्ता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले में तंज कसते हुए कहा है, ‘अप्रेजल रिपोर्ट आ गई है। कोई भी दोषी बच नहीं पायेगा।’
मिश्रा ने चुटकी लेते हुए यह भी कहा, ‘छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने राजनीति से संन्यास के संकेत इसी अप्रेजल रिपोर्ट को देखने के बाद दिये थे।’
मिश्रा ने कहा, ‘सीबीडीटी की रिपोर्ट और चुनाव आयोग ने सब स्पष्ट कर दिया है। मप्र में कानून का राज है। जो नाम सामने आए हैं, ये तो मोहरे हैं - सरगना अभी बाकी हैं। दरअसल मप्र में ओवर ईटिंग हो गई थी। कुपोषण में बच्चों का पैसा खाया गया और दिल्ली में राहुल गांधी को भेजा गया। कमलनाथ सदी के सबसे भ्रष्टतम मुख्यमंत्री रहे।’
'छवि ख़राब करने की कोशिश'
मध्य प्रदेश कांग्रेस में चुनाव आयोग के मामलों के प्रभारी एवं वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरी तरह से पाक-साफ हैं। पूरी साजिश नगर निकाय के होने जा रहे चुनावों में कांग्रेस पार्टी की छवि को धूमिल करने के लिए रची गई है। बीजेपी इसमें सफल नहीं हो पायेगी।’
धनोपिया ने कहा, ‘सीबीडीटी द्वारा पूरा मामला चुनाव आयोग के माध्यम से ऑपरेट किया जाना समझ के परे है। दो महीने पुरानी रिपोर्ट थी तो मध्य प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव के दौरान उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। कांग्रेस तब लगातार आरोप लगा रही थी कि बीजेपी ने 35-35 करोड़ रुपये लेकर विधायकों को खरीदा और अपने साथ मिलाया।’ धनोपिया ने कहा कि हम डरने वाले नहीं हैं और डटकर मुकाबला करेंगे। उन्होंने कहा कि हकीकत जल्दी सामने आ जायेगी।