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किसानों ने मनाया ‘काला दिन’, मोदी सरकार का पुतला फूंका 

किसानों ने मनाया ‘काला दिन’, मोदी सरकार का पुतला फूंका 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने बुधवार को ‘काला दिन’ मनाया। 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने बुधवार को ‘काला दिन’ मनाया। इस मौक़े पर दिल्ली के बॉर्डर्स सहित पंजाब-हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश व अन्य राज्यों में किसानों ने प्रदर्शन किया। 

पंजाब-हरियाणा में कई जगहों पर किसान समर्थकों ने काले झंडे लगाए। किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रहे लोगों ने भी अपने घरों, दुकानों, वाहनों पर काले झंडे लगाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपनी सख़्त नाराज़गी जताई। 

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने मोदी सरकार का पुतला जलाया व काले झंडे लहराकर विरोध प्रदर्शन किया। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में किसानों ने मोटर साइकिल रैली निकाली। पटना में भी प्रदर्शन किया गया। किसानों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक आंदोलन चलता रहेगा। महाराष्ट्र के वर्धा में किसानों का धरना 163 दिनों से चल रहा है। चंडीगढ़ व मथुरा में भी किसानों ने नारेबाजी की। 

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एनएचआरसी ने भेजा नोटिस

कोरोना काल में भी चल रहे किसानों के आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। एनएचआरसी को शिकायत मिली थी कि किसान कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों को तोड़ रहे हैं और अपनी व दूसरे लोगों की जान को ख़तरे में डाल रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि आंदोलन वाली जगहों पर हालात बिगड़ रहे हैं। 

इसके बाद एनएचआरसी ने इस मामले में दख़ल देते हुए मंगलवार को यह नोटिस जारी किया है। नोटिस में इन तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा गया है कि वे किसान आंदोलन वाली जगहों पर कोरोना को फैलने से रोकने के लिए क्या क़दम उठाए गए हैं, उस पर चार हफ़्ते के भीतर जवाब दें। एनएचआरसी ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस कठिन वक़्त में सभी की कोशिश लोगों की जान को बचाने की है। 

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इस मौक़े पर सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए। पंजाब-हरियाणा के कई इलाक़ों से किसान इन बॉर्डर्स पर पहुंचे हैं। फसल की कटाई के सीजन के बाद किसान लगातार दिल्ली की सीमाओं पर लौट रहे हैं। 

विपक्षी दलों का मिला समर्थन 

किसानों के ‘काला दिन’ के आह्वान को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (टीएमसी), महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (शिवसेना), तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (डीएमके), झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (जेएमएम), जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (एनसी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (एसपी), आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, सीपीआई के डी. राजा और सीपीआई-एम ने समर्थन दिया था। 

पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है। 

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