अमित शाह के बुलावे पर बातचीत के लिए किसानों ने बनाई 5 सदस्यीय कमेटी
तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने के बाद अब सरकार किसानों के दूसरे मुद्दों पर बातचीत के लिए राज़ी हो गई है। ऐसा किसान नेताओं ने दावा किया है। सरकार से बातचीत के लिए किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम ने 5 सदस्यीय कमेटी की घोषणा कर दी है। यह सरकार से बात करने के लिए अधिकृत होगी। हालाँकि, किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को बढ़ाने जैसी अपनी मांगों को लेकर विरोध जारी रखेंगे।
किसानों की तरफ़ से इसकी घोषणा तब की गई है जब गृह मंत्री अमित शाह ने बीती रात को किसान नेताओं को बाक़ी मुद्दों पर बातचीत के लिए बुलाया था। इसी को लेकर आज दिन में संयुक्त किसान नेताओं की बैठक रखी गई थी। इसी बैठक में किसानों ने कमेटी गठन का फ़ैसला किया है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार से बातचीत करने के लिए गठित कमिटी में किसानों की तरफ़ से बलबीर सिंह राजेवाल, शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चड़ूनी, युद्धवीर सिंह और अशोक धवले होंगे। इस मामले में अब एसकेएम की अगली बैठक 7 दिसंबर को होगी।
किसानों की जो प्रमुख मांगें हैं उनमें सभी फ़सलों के लिए क़ीमतों की गारंटी देना, पिछले साल प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को वापस लेना शामिल है।
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा, 'सभी किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि जब तक किसानों के ख़िलाफ़ मामले वापस नहीं लिए जाते वे वापस नहीं जाएंगे। आज सरकार को एक स्पष्ट संकेत भेजा गया है कि हम आंदोलन वापस नहीं लेने वाले हैं जब तक कि किसानों के ख़िलाफ़ सभी मामले वापस नहीं लिए जाते।'
आंदोलन के भविष्य पर फ़ैसला करने के लिए दिल्ली के पास सिंघू सीमा पर आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक की गई और विरोध स्थलों को खाली करने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।
केंद्र ने मंगलवार को एसकेएम से एमएसपी और अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक पैनल बनाने के लिए पांच नाम मांगे थे।
किसान यूनियनों में से एक के नेता युद्धवीर सिंह ने एनडीटीवी को बताया, 'अमित शाह ने कल रात फोन किया। उन्होंने कहा कि कानून वापस ले लिया गया है तो सरकारट इस गतिरोध का समाधान खोजने के लिए गंभीर है। गृह मंत्री सरकार के साथ संवाद करने के लिए एक समिति चाहते थे, इसलिए हमने आखिरकार वह समिति बनाई है।'
बता दें कि तीन कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा के बाद राकेश टिकैत ने कहा था कि आंदोलन तब तक ख़त्म नहीं किया जाएगा जब तक संसद में इसको रद्द नहीं कर दिया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि एमएसपी और अन्य मसलों पर भी सरकार को अपना रूख़ साफ़ करना चाहिए।