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खालिस्तानी विवाद: बीजेपी का IPS अफसर पर आरोप, जानें पुलिस का दावा

खालिस्तानी विवाद: बीजेपी का IPS अफसर पर आरोप, जानें पुलिस का दावा

पश्चिम बंगाल में आईपीएस को कथित तौर पर खालिस्तानी कहे जाने के मामले ने तूल क्यों पकड़ा है? जानिए, बीजेपी ने अब आईपीएस अफसर पर क्या आरोप लगाया और पुलिस ने क्या दावे किए हैं। 

बीजेपी नेताओं और सिख पुलिस अधिकारी के बीच तीखी नोकझोंक के वायरल वीडियो पर हुआ बवाल थमा नहीं है। बंगाल के आईपीएस अफ़सर को कथित तौर पर 'खालिस्तानी' कहे जाने पर बीजेपी और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच तनातनी है। बीजेपी ने उस दावे को खारिज कर दिया है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प के दौरान एक सिख आईपीएस अधिकारी के ख़िलाफ़ 'खालिस्तानी' अपशब्द का इस्तेमाल किया गया था। इसने आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह पर टीएमसी के निर्देश पर काम करने का आरोप लगाया है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने चुनौती दी है कि बीजेपी नेताओं द्वारा 'खालिस्तानी' कहे जाने का 24 घंटे में सबूत दे नहीं तो इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। 

इस बीच पश्चिम बंगाल पुलिस ने न्यूज़18 की एक वीडियो क्लिप साझा कर दावा किया है कि इसके एक अधिकारी को 'खालिस्तानी' बुलाया गया। इसने ट्वीट कर कहा, "हम पश्चिम बंगाल पुलिस बिरादरी, इस वीडियो को देख नाराज हैं जहां हमारे ही एक अधिकारी को राज्य के विपक्ष के नेता द्वारा 'खालिस्तानी' कहा गया था। उनकी 'गलती': वह एक गौरवान्वित सिख हैं, और एक सक्षम पुलिस अधिकारी भी हैं जो कानून लागू करने की कोशिश कर रहे थे।"

बंगाल पुलिस ने कहा है, 'यह टिप्पणी जितनी दुर्भावनापूर्ण और नस्लीय है, उतनी ही सांप्रदायिक रूप से भड़काने वाली भी है। यह एक आपराधिक कृत्य है। हम स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति की धार्मिक पहचान और मान्यताओं पर अकारण, अस्वीकार्य हमले की निंदा करते हैं जिसका उद्देश्य लोगों को हिंसा करने और कानून तोड़ने के लिए उकसाना है।' पुलिस ने कहा है कि सख़्त कार्रवाई शुरू की जा रही है।

लेकिन पुलिस के इन दावों के बाद बीजेपी ने अधिकारी जसप्रीत सिंह पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया जिसने सुवेंदु अधिकारी को संदेशखली का दौरा करने की अनुमति दी थी। बीजेपी ने आरोप लगाया कि बंगाल पुलिस 'पुलिसिंग की तुलना में राजनीतिक खिलाड़ी बनने में अधिक रुचि रखती है'। अधिकारी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने संदेशखाली से ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को तूल दिया।

बता दें कि यह मामला तब सामने आया जब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी संदेशखाली जा रहे थे। वहाँ स्थानीय तृणमूल नेताओं के खिलाफ जमीन हड़पने और जबरन वसूली के आरोप लगे हैं। बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया है कि तृणमूल के कद्दावर नेता शेख शाहजहां के सहयोगियों ने महिला का यौन उत्पीड़न किया है। सुवेंदु अधिकारी को रोका गया। बीजेपी नेताओं और सिख पुलिस अधिकारी के बीच तीखी नोकझोंक हुई। अधिकारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'मैंने पगड़ी पहन रखी है, इसलिए आप मुझे खालिस्तानी कहते हैं? मैं इस बारे में कार्रवाई करूंगा। आप मेरे धर्म पर हमला नहीं कर सकते। मैंने आपके धर्म के बारे में कुछ नहीं कहा है।' भाजपा नेताओं को अधिकारी पर अपना कर्तव्य नहीं निभाने और राज्य सरकार के मोहरे के रूप में काम करने का आरोप लगाते हुए सुना जाता है।

इसी को लेकर एक्स पर एक पोस्ट में बंगाल बीजेपी ने आरोप लगाया है कि राज्य पुलिस अधिकारियों ने खुद को तृणमूल के 'डोरमैट' तक सीमित कर दिया है।

भाजपा ने आरोप लगाया कि आईपीएस अधिकारी 'मुख्यमंत्री के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे, जो उम्मीद कर रहे थे कि खंडपीठ एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा देगी'। आरोप है कि अधिकारी भाजपा प्रतिनिधिमंडल को रोकते रहे।

भाजपा ने कहा, 'संबंधित अधिकारी अदालत की अवमानना कर रहे हैं। यह शर्म की बात है कि पश्चिम बंगाल पुलिस ममता बनर्जी के हाथों का राजनीतिक मोहरा बनने को तैयार है और धर्म को इसमें घसीट रही है।' इसने इस बात पर जोर दिया कि इसके किसी भी नेता ने अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।' बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह सब ध्यान भटकाने के लिए किया गया।

बीजेपी ने यह भी सवाल किया कि बंगाल पुलिस अब तक शाहजहां को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पाई है। वह तब से लापता हैं जब उनके समर्थकों की भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम पर हमला कर दिया था जो भ्रष्टाचार के एक मामले में उसके खिलाफ छापेमारी के लिए संदेशखाली गई थी।

इस बीच दिग्विजय सिंह ने मोहम्मद जुबैर का एक ट्वीट साझा किया है जिसमें कहा गया है कि आईपीएस अफ़सर जसप्रीत सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा है कि बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने ही उन्हें 'खालिस्तानी' कहा था। 

बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस दावे को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने चुनौती दी है कि बीजेपी नेताओं द्वारा 'खालिस्तानी' कहे जाने का 24 घंटे में सबूत दे नहीं तो इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। 

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