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बीजेपी नेता ने कहा- मार-मार कर कश्मीरी मुसलमानों की खाल उधेड़ दो

बीजेपी नेता ने कहा- मार-मार कर कश्मीरी मुसलमानों की खाल उधेड़ दो

आख़िर इस तरह के नफ़रती बयान देकर समाज का माहौल ख़राब करने की कोशिश क्यों की जा रही है। इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। 

जम्मू और कश्मीर के बीजेपी नेता विक्रम रंधावा ने कश्मीरी मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती और भड़काऊ बयान दिया है। रंधावा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे कह रहे हैं मार-मार कर कश्मीरी मुसलमानों की खाल उधेड़ दी जानी चाहिए। 

भारत और पाकिस्तान के बीच टी 20 वर्ल्ड कप के मुक़ाबले में पाकिस्तान की जीत के बाद कश्मीर में कुछ जगहों पर पटाखे फोड़े जाने की ख़बरें आई थीं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर माहौल काफी गर्म रहा था। उत्तर प्रदेश में भी कुछ कश्मीरी छात्रों पर ऐसा करने का आरोप लगा था। 

विक्रम रंधावा जम्मू इलाक़े से आते हैं और उन्हें हाल ही में जम्मू-कश्मीर बीजेपी का सचिव नियुक्त किया गया था। वायरल वीडियो में वे कहते हैं कि पाकिस्तान जब अफ़ग़ानिस्तान से जीता तब कश्मीरी मुसलमानों ने ख़ुशी क्यों नहीं मनाई। वीडियो में आगे भी वे मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते हैं। 

बीजेपी ने की कार्रवाई 

इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद बीजेपी ने पूर्व एमएलसी रंधावा से कहा था कि वह 48 घंटे के अंदर अपनी सफाई दें और अपने बयान के लिए माफी मांगें। बीजेपी ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए उन्हें सभी पदों से हटा दिया है। 

कार्रवाई की मांग की थी

रंधावा के वीडियो को पीडीपी के नेता नईम अख़्तर ने सबसे पहले ट्विटर पर पोस्ट किया था। इसके बाद पीडीपी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर रंधावा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की थी। पुलिस ने रंधावा के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया है। उनके ख़िलाफ़ ग़ैर जमानती धाराएं भी लगाई गई हैं। पुलिस उन्हें गिरफ़्तार करने की कोशिश कर रही है। 

माहौल ख़राब करने की कोशिश 

अगस्त के महीने में दिल्ली के जंतर-मंतर पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती नारे लगाए गए थे। इस मामले में बीजेपी के नेता अश्विनी उपाध्याय सहित कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया था। अगस्त में ही दिल्ली के द्वारका के सेक्टर 22 में हिंदू संगठनों ने हज हाउस बनाने का विरोध किया था। इन्हें समर्थन देने के लिए बीजेपी के नेता भी आगे आए थे।  दिल्ली से सटे गुड़गांव में दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग कई बार जुमे की नमाज़ का विरोध कर चुके हैं। इसके अलावा त्रिपुरा में भी सांप्रदायिक हिंसा की ख़बरें सामने आई हैं। 

सोशल मीडिया के इस दौर में इस तरह की नफ़रती बातों से माहौल बिगड़ने का डर हमेशा बना रहता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि पुलिस, प्रशासन और संबंधित सरकारें माहौल को बिगाड़ने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई करें। 

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