बंगाल में संघ कार्यकर्ता की परिवार समेत हत्या पर बीजेपी-तृणमूल भिड़े
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक परिवार के तीन लोगों की हत्या के बाद ख़ासा हंगामा मचा हुआ है। घटना में प्राइमरी स्कूल के टीचर, उनकी गर्भवती पत्नी और उनके पाँच साल के बेटे के शव घर में मिले। घटना को लेकर बीजेपी ने राज्य में सरकार चला रहीं ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला है।
टीचर का नाम बंधु प्रकाश पाल था और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे। बीजेपी के कई नेताओं ने इसे राजनीतिक हत्या कहा है जबकि तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी हत्या का राजनीतिकरण कर रही है।
दूसरी ओर, पुलिस ने इस अपराध में किसी भी राजनीतिक एंगल से इनकार किया है। पुलिस ने कहा है कि शुरुआती जांच में ऐसा लगता है कि इस घटना को व्यक्तिगत रंजिश में अंजाम दिया गया है। राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस घटना पर दुख जताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है। इसके अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी राज्य के डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की सियासी लड़ाई के बीच राज्य का माहौल पहले से ही तनावपूर्ण है। बीजेपी राज्य की क़ानून व्यवस्था को लेकर कई बार बंद बुला चुकी है।
बंगाल में इससे पहले पंचायत चुनाव, लोकसभा चुनाव के दौरान भी लगातार हिंसा की ख़बरें आई थीं। बीजेपी और तृणमूल दोनों एक-दूसरे पर उनके दलों के कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाते रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी अमित शाह के रोड शो में ख़ासा बवाल हुआ था।
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस घटना के वीडियो को ट्वीट किया है और इसे भयानक बताया है। उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि इसने उनकी अंतरआत्मा को हिलाकर रख दिया है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी कहा है कि मॉब लिंचिंग पर बोलने वाले लोग इस घटना पर चुप क्यों हैं। बीजेपी सांसद ने ट्वीट किया कि ममता बनर्जी की सरकार में यह क्या हो रहा है।
40 साल के बंधु प्रकाश पाल, उनकी पत्नी ब्यूटी पाल (30 साल) और 5 साल के बेटे अगम के शव मंगलवार को जियागंज स्थित उनके घर में मिले थे। पुलिस का कहना है कि हत्यारों ने पाल और उनकी पत्नी को बेरहमी से काट दिया जबकि उनके बेटे का गला घोट दिया। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
आपसी रंजिश में हुई हत्या!
मुर्शिदाबाद के एसपी मुकेश कुमार ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘हमें इस हत्या में कोई भी राजनीतिक कारण नहीं मिला है और शुरुआती जांच में लगता है कि आपसी रंजिश के कारण इस घटना को अंजाम दिया गया है। लेकिन अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी और जांच जारी है।’ एसपी ने कहा, ‘पाल के परिवार के सदस्यों से पूछताछ की जा रही है। बंधु प्रकाश पाल नेटवर्किंग का भी व्यवसाय करते थे और उन्होंने कई लोगों से पैसे लिये थे।’
अख़बार के मुताबिक़, मामले की जांच में शामिल एक पुलिस अफ़सर ने कहा, ‘इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि कोई शख़्स जबरन घर में घुसा है। ऐसा लगता है कि अभियुक्त को घर में आने दिया गया था और वह परिवार के लोगों के लिए अनजान नहीं था।’ अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ऐसा लगता है कि हत्यारों ने घर की किसी अलमारी को भी टटोला था।
अख़बार के मुताबिक़, एक पुलिस अफ़सर ने कहा, ‘पाल की मां ने संदेह जताया है कि उनके पति का दूसरा परिवार इस हत्या के पीछे हो सकता है। इसलिए पुलिस उनसे भी पूछताछ कर रही है। हमें पता चला है कि दोनों परिवारों के बीच ज़मीन और संपत्ति का झगड़ा था।’
जांच में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस को एक नोट मिला है और ऐसा लगता है कि यह नोट ब्यूटी पाल ने लिखा है। मामले में इस नोट ने कई संदेह पैदा कर दिये हैं। डायरी के अंदर मिले इस नोट में बंगाली में लिखा है, ‘मुझे कुछ कहना है और अगर मैं इसे नहीं कहूंगी तो यह कहे बिना ही रह जायेगा। आज, मैं बहुत बड़े दर्द से गुजरी हूं। मैं इसे कभी नहीं भूल सकती। मैं एक बुरी औरत हूं जो तुम्हें कभी भी मानसिक शांति नहीं दे सकी। मैं तुम्हें ब्लैकमेल नहीं करना चाहती और मेरा कभी यह इरादा भी नहीं था। तुम्हें कभी भी अपनी राय नहीं बदलनी चाहिए। तुम्हारी धमकियां इस बात का सबूत हैं कि मेरा तुमसे कोई संबंध नहीं है।’ पुलिस इसकी जांच कर रही है।
पाल के परिवार ने इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। पाल के मामा बंधुकृष्ण ने अख़बार को बताया कि उन्हें नहीं लगता कि यह राजनीतिक हत्या है। अख़बार के मुताबिक़, दक्षिण बंगाल में आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता बिप्लब रॉय ने कहा कि पाल संघ के साथ पिछले छह महीने से जुड़े थे और वह संघ के कार्यक्रमों में भागीदारी करते थे। उन्होंने कहा कि इस घटना से उन्हें बहुत धक्का लगा है।
जून में बशीरहाट के संदेशखाली में अपनी पार्टी के झंडे हटाने को लेकर तृणमूल-बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी और इसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें 5 बीजेपी के और 3 टीएमसी के कार्यकर्ता थे। इसके बाद भी बीजेपी ने राज्य की क़ानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किये थे।
बीजेपी और तृणमूल इस घटना को लेकर भले ही आमने-सामने हों लेकिन इससे राज्य की क़ानून व्यवस्था पर सवाल ज़रूर खड़े होते हैं। हालांकि पुलिस ने इस घटना में किसी भी राजनीतिक एंगल होने से इनकार किया है लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही सब कुछ साफ़ हो पायेगा।