शिव सेना का केंद्र को संदेश- ममता के दिखाए रास्ते पर चलेगा महाराष्ट्र
कई सालों तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रहने वाली शिव सेना ने एक बार फिर उसे निशाने पर लिया है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे ताज़ा संपादकीय में कहा गया है कि महाराष्ट्र की सरकार कुरुक्षेत्र के बीच में खड़ी है और तीन पार्टियों से मिलकर बनी यह सरकार श्रीकृष्ण के रथ की तरह कुरुक्षेत्र में बाण और हमले झेलते हुए विरोधियों से लड़ रही है।
साल 2019 में महाराष्ट्र में जब शिव सेना ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाकर सरकार बनाई थी, तब यह सवाल उठा था कि क्या यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान परिषद सदस्य चुने जाने का मसला हो या फिर सुशांत सिंह प्रकरण हर जगह ऐसा लगा कि बीजेपी की पूरी कोशिश राज्य की महा विकास अघाडी सरकार को अस्थिर करने की है। बीजेपी ठाकरे सरकार की विदाई चाहती है, ऐसे आरोप खुलकर शिव सेना ने लगाए।
इस बीच देवेंद्र फडणवीस से लेकर राव साहब दानवे तक कई बीजेपी नेताओं के ऐसे बयान आते रहे कि जल्द ही राज्य में बीजेपी सरकार बनाएगी, लेकिन अब तक वह ऐसा करने में क़ामयाब नहीं हुई है।
बीजेपी का आत्मविश्वास टूटा
‘सामना’ में लिखा है कि महाराष्ट्र की सरकार को ‘गिराने’ का बीजेपी का आत्मविश्वास टूट गया है और अब उसके नेता यह अफ़वाह फैला रहे हैं कि अब वे सरकार गिराएंगे नहीं, बल्कि यह अपने ही बोझ से गिर जाएगी। शिव सेना ने कहा है कि बीजेपी चाहे जितना भी गिरने और गिराने का ढिंढोरा पीटे, इससे कुछ नहीं होने वाला।
संपादकीय में शिव सेना ने कहा है कि मौजूदा समय में महाराष्ट्र में जो राजनीतिक हालात बने हुए हैं, उसकी पूरी जिम्मेदारी बीजेपी की है क्योंकि बीजेपी ने शिवसेना को इस स्थिति में नहीं धकेला होता तो आज यह सरकार बनती ही नहीं।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात के बाद मीडिया में चली चर्चाओं पर संपादकीय में लिखा गया है कि कुछ लोगों की मंडलियों को यह रास नहीं आया और उनका कहना है कि महाराष्ट्र हमेशा दिल्ली से झगड़ता रहे। आगे लिखा गया है कि महाराष्ट्र को दिल्ली से बेवजह झगड़ने की जरूरत नहीं है और महाराष्ट्र का झगड़ा विचारों का, तथ्यों का और राष्ट्र के लिए होता है और शिव सेना उसी महाराष्ट्र धर्म का पालन कर रही है।
जांच एजेंसियों का जिक्र
‘सामना’ में लिखा गया है कि ईडी, सीबीआई या राज्यपाल का उपयोग करके राज्य की सरकार अस्थिर हो जाएगी, यह भ्रम का कद्दू ही है। कोरोना, आर्थिक संकट, बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदा का सामना तो महाराष्ट्र कर ही रहा है, उस पर एक और ईडी या सीबीआई का सुल्तानी संकट टूट पड़ा है, ऐसा मानकर इससे मुक़ाबला करना ही ठीक है।
शिव सेना ने ‘सामना’ में कहा है कि ममता बनर्जी ने इस सुल्तानशाही से इसी तरीके से लड़कर जीत हासिल की और महाराष्ट्र को भी वही रास्ता अपनाना ज़रूरी है और मुख्यमंत्री ठाकरे ने ये सारी बातें प्रधानमंत्री मोदी को ज़रूर बताई होंगी और शरद पवार-ठाकरे की मुलाक़ात में भी लड़ाई का प्रारूप तय हुआ होगा।
संपादकीय के अंत में कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन के रथ को कुरुक्षेत्र के बीचों-बीच ले जाकर खड़ा किया और दुश्मनों का चौतरफा मुकाबला करके अधर्म को पराजित किया। इसी तरह महाराष्ट्र की सरकार कुरुक्षेत्र के मध्य क्षेत्र में खड़ी है और विपक्ष खुद को अभिमन्यु न बनने दे।
होती रही भिड़ंत
बीते साल जब सुशांत प्रकरण की जांच मुंबई पुलिस से ले ली गई, जांच एजेंसियों ने शिव सेना विधायकों के वहां छापेमारी की, कंगना ने मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहा, उसके बाद कंगना को गृह मंत्रालय से सुरक्षा मिलने और उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करने वाले रिपब्लिक चैनल के प्रमुख अर्णब गोस्वामी को बीजेपी का समर्थन मिलने के दौरान ठाकरे सरकार और बीजेपी आमने-सामने रहे।
महाविकास अघाडी सरकार के दलों की ओर से लगातार यह आरोप लगता रहा कि यह सब कुछ केंद्र सरकार के इशारे पर ठाकरे सरकार को गिराने के लिए किया जा रहा है लेकिन शिव सेना ने अब यह भी कहा है कि ममता बनर्जी ने इस सुल्तानशाही से जिस तरह लड़कर जीत हासिल की, महाराष्ट्र को भी वही रास्ता अपनाना ज़रूरी है, ऐसा कहकर केंद्र सरकार को साफ संदेश दे दिया गया है।
दूसरी ओर, बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बुरी तरह अधीर है। वह जानती है कि अगर महा विकास अघाडी की सरकार 5 साल तक चल गई तो बृहन्मुंबई महानगर पालिका का चुनाव हो या जिला परिषदों का या फिर विधानसभा या लोकसभा का, उसके लिए ख़ुद को जिंदा रखना मुश्किल हो जाएगा।