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'जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं' बयान पर उपवास से पात्रा का प्रायश्चित हो जाएगा?

'जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं' बयान पर उपवास से पात्रा का प्रायश्चित हो जाएगा?

पीएम नरेंद्र मोदी की जिस बीजेपी ने जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की 'सुरक्षा' को मुद्दा बनाया, क्या उसके ही नेता संबित पात्रा के बयान 'जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं' पर माफी मिल जाएगी?

बीजेपी नेता संबित पात्रा ने पुरी में पीएम मोदी और भगवान जगन्नाथ पर एक बयान देकर राजनीतिक तूफान ला दिया। पात्रा ने कह दिया कि 'जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं'। जब इस बयान को लेकर उनपर चौतरफ़ा हमला हुआ तो उन्होंने कहा कि उनकी जुबान फिसल गई और इसका वह अब प्रायश्चित करेंगे। बयान के लिए तो प्रायश्चित कर लेंगे, लेकिन क्या लोगों ने यह नहीं देखा है कि इस चुनाव में जगन्नाथ मंदिर को लेकर क्या-क्या और किस तरह की राजनीति हुई। बहरहाल, सवाल है कि वह प्रायश्चित कैसे करेंगे? उन्होंने इसका भी जवाब दिया है। 

संबित पात्रा ने इस घटना को लेकर ट्वीट कर वीडियो बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, 'आज महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी को लेकर मुझसे जो भूल हुई है, उस विषय को लेकर मेरा अंतर्मन अत्यंत पीड़ित है। मैं महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के चरणों में शीश झुकाकर क्षमा याचना करता हूँ। अपने इस भूल सुधार और पश्चाताप के लिए अगले 3 दिन मैं उपवास पर रहूँगा।'

पात्रा ने यह बयान इसलिए जारी किया है क्योंकि उन्होंने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था, 'जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं', जिससे पीएम मोदी के प्रति भगवान की दिव्य भक्ति का पता चलता है। हालाँकि, बाद में पात्रा ने साफ़ किया कि उनकी जुबान फिसल गई थी। उन्होंने बताया, 'मेरा उद्देश्य भगवान जगन्नाथ के प्रति पीएम मोदी की भक्ति को उजागर करना था, लेकिन गलती से कुछ और कहा गया।'

उन्होंने सफ़ाई में कहा, 'आज मेरे द्वारा दिए गए एक बयान से विवाद हो गया है। पुरी में पीएम नरेंद्र मोदी के रोड शो के बाद मैंने कई मीडिया चैनलों को बाइट दी और हर जगह मैंने एक ही बात कही कि पीएम नरेंद्र मोदी महाप्रभु जगन्नाथ के प्रबल भक्त हैं। अंत में जब दूसरे चैनल ने मेरी बाइट ली, तो बहुत गर्मी, भीड़ और शोर था, बाइट देते समय मैंने अनजाने में कहा कि महाप्रभु पीएम नरेंद्र मोदी के भक्त हैं, यह कभी सच नहीं हो सकता। इंसान अपने होश में कभी ऐसी बातें नहीं कह सकता कि भगवान तो इंसान का भक्त है। मुझसे अनजाने में ये गलती हुई है। मैं जानता हूं कि कुछ लोगों को ठेस पहुंची होगी लेकिन अनजाने में हुई गलतियों को भगवान भी माफ कर देते हैं।'

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पात्रा के बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे भगवान और लाखों भक्तों की भावनाओं का अपमान बताया। पटनायक ने कहा, 'महाप्रभु श्रीजगन्नाथ ब्रह्मांड के भगवान हैं। महाप्रभु को दूसरे इंसान का भक्त कहना भगवान का अपमान है।' 

उन्होंने कहा, 'भगवान उड़िया अस्मिता के सबसे महान प्रतीक हैं। महाप्रभु को दूसरे इंसान का भक्त कहना पूरी तरह से निंदनीय है। मैं भाजपा के पुरी लोकसभा उम्मीदवार द्वारा दिए गए बयान की कड़ी निंदा करता हूं और मैं भाजपा से अपील करता हूं कि वह भगवान को किसी भी राजनीतिक चर्चा से ऊपर रखे।' ऐसा करके आपने ओडिया अस्मिता को गहरी ठेस पहुंचाई है और इसे ओडिशा के लोग लंबे समय तक याद रखेंगे और इसकी निंदा करेंगे।'

नवीन पटनायक के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित अन्य विपक्षी नेताओं ने भी भाजपा की आलोचना की। राहुल गांधी ने इसे अहंकार की पराकाष्ठा बताया।

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का मुद्दा क्यों उठाती रही बीजेपी?

ओडिशा में बीजेपी का एक मुद्दा यह है कि पार्टी के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा तक प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की 'सुरक्षा' का मुद्दा उठाते रहे हैं। सोमवार को भी पीएम ने पुरी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह मुद्दा उठाया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी और बीजेडी के प्रमुख चुनाव रणनीतिकार वीके पांडियन पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए मोदी ने दावा किया कि लोग कह रहे थे कि रत्न भंडार की चाबियां दक्षिणी राज्य में भेज दी गईं। बता दें कि पांडियान तमिलनाडु से आते हैं। 

सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा सहोदर देवताओं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को दिए गए बहुमूल्य आभूषण 12वीं शताब्दी के मंदिर के रत्न भंडार में जमा हैं। मंदिर में दो भंडार हैं- भीतर भंडार और बाहर भंडार। बाहर भंडार समय-समय पर खोला जाता रहा है, लेकिन भीतर भंडार 38 साल से नहीं खुला है। इसे आख़िरी बाद 14 जुलाई 1985 को खोला गया था।

इसको लेकर विधानसभा में जानकारी दी गई थी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2018 में विधानसभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना के जवाब के अनुसार, 1978 में रत्न भंडार में 12,831 भरी सोने के आभूषण थे, जिनमें कीमती पत्थर लगे हुए थे और 22,153 भरी चांदी के बर्तन व अन्य कीमती सामान थे। एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है। अन्य आभूषण भी थे जिनका वज़न सूची प्रक्रिया के दौरान नहीं किया जा सका। 

उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने 4 अप्रैल, 2018 को भौतिक निरीक्षण के लिए कक्ष को खोलने का प्रयास किया। यह प्रयास असफल रहा क्योंकि भंडार की चाबियाँ नहीं मिल सकीं। ऐसे में एएसआई की टीम ने बाहर से ही निरीक्षण किया। इन्हीं चाबियों को लेकर बीजेपी ने चुनाव में मुद्दा बनाया। लेकिन अब संबित पात्रा के ताज़ा बयान ने पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है!

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