बीजेपी ने बृजभूषण का टिकट काटा; तो उनके बेटे को क्यों दिया?
बीजेपी ने आख़िरकार बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया। महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न के आरोप को लेकर इसके लिए पार्टी पर भारी दबाव भी था। लेकिन इसके साथ ही बीजेपी ने बृजभूषण के बेटे करण भूषण सिंह को टिकट दे दिया। तो क्या बीजेपी भारी दबाव के आगे झुक गयी या फिर यह एक तीर से दो निशाने साधने की उसकी कोशिश है? समझा जाता है कि बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगा इसलिए उन्हें टिकट नहीं दिया। और इसके साथ ही पार्टी ने बृजभूषण के बेटे को टिकट देकर उनको शांत करने की कोशिश की है।
ये वही बृजभूषण शरण सिंह हैं जो पहले कभी चुनौती दे रहे थे 'कौन काटेगा मेरा टिकट। काट पाओ तो काट लेना'। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार हालाँकि बृजभूषण आख़िरी समय तक टिकट के जुगाड़ में लगे रहे।
क्या बृजभूषण शरण सिंह का मामला बीजेपी के लिए भी एक परीक्षा नहीं थी? यह परीक्षा उसकी ही कसौटी की थी। बीजेपी लगातार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और महिला सुरक्षा का दंभ भरती रहती है। एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने भी सवाल उठाया था कि 'कैसरगंज से कर्नाटक और उन्नाव से उत्तराखंड तक, बेटियों के गुनहगारों को प्रधानमंत्री का मूक समर्थन देश भर में अपराधियों के हौसले बुलंद कर रहा है।'
बीजेपी के लिए यह बड़ी परीक्षा इसलिए भी थी कि बृजभूषण शरण सिंह का केस कोई सामान्य मामला नहीं है। करीब एक दशक तक भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण पर छह महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे शीर्ष भारतीय पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारी विरोध प्रदर्शन किया।
पहलवानों के विरोध के बाद दिल्ली पुलिस ने जून 2023 में बृजभूषण के खिलाफ मामला दर्ज किया। बृजभूषण को 20 जुलाई, 2023 को जमानत दे दी गई। सितंबर महीने में दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा था कि आरोपी बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
अदालत से दिल्ली पुलिस ने कहा था कि ताजिकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान बृजभूषण सिंह ने एक महिला पहलवान को जबरन गले लगाया और बाद में अपने कृत्य को यह कहकर सही ठहराया कि उन्होंने ऐसा एक पिता की तरह किया।
महिला पहलवानों द्वारा दिल्ली में दर्ज कराई गई एफ़आईआर में ऐसी ही यौन उत्पीड़न की शिकायतें की गई हैं। एक पीड़ित पहलवान की शिकायत में कहा गया है कि जिस दिन महिला पहलवान ने एक प्रमुख चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, उन्होंने उसे अपने कमरे में बुलाया, जबरन अपने बिस्तर पर बैठाया और सहमति के बिना उसे जबरदस्ती गले लगाया। इसमें कहा गया है कि इसके बाद भी वर्षों तक, वह यौन उत्पीड़न के निरंतर कृत्य और बार-बार गंदी हरकतें करते रहे।
दूसरी महिला पहलवानों ने तब यौन उत्पीड़न और दुराचार की कई घटनाओं में छेड़छाड़, ग़लत तरीक़े से छूने और शारीरिक संपर्क का आरोप लगाया। आरोप लगाया गया कि इस तरह के यौन उत्पीड़न टूर्नामेंट के दौरान, वार्म-अप और यहाँ तक कि नई दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में भी किया गया। उन्होंने कहा है कि साँस जाँचने के बहाने उनकी छाती और नाभि को ग़लत तरीक़े से पकड़ा गया था। इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने आरोप तय करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
इस मामले में महिला पहलवानों के जबर्दस्त विरोध के बाद बृजभूषण शरण सिंह को तो भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव से दूर कर दिया गया, लेकिन उनके क़रीबी संजय कुमार अध्यक्ष चुनाव जीत गए।
बृजभूषण के ख़िलाफ़ कार्रवाई इतना आसान भी नहीं रहा। बड़ी मुश्किल से कोर्ट के हस्तक्षेप से एफ़आईआर दर्ज हो पाई। उनको उनकी पार्टी से निकाला तक नहीं गया। बृजभूषण ने चुनाव लड़ने की घोषणा तब भी की थी जब उनके ख़िलाफ़ महिला पहलवानों का प्रदर्शन चरम पर था और ऐसा लग रहा था कि बीजेपी उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए भारी दबाव में है।
तब पिछले साल जून महीने में यूपी में बीजेपी की एक रैली में बृजभूषण ने बीजेपी के मंच से ही 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी रख दी थी।
एक समय पूरे देश को झकझोर देने वाले महिला पहलवानों के ऐसे आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण शरण सिंह को जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा! सितंबर महीने में उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर चेता दिया था कि उनका टिकट काटने की हिम्मत किसी में नहीं है। उन्होंने कहा था, 'कौन काट रहा है, उसका नाम बताओ। काटोगे आप? ...काटोगे? ....काट पाओ तो काट लेना।'
तो सवाल है कि आख़िर समयबद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कौन हैं बृजभूषण और इतने ताक़तवर कैसे हैं?
बृजभूषण शरण सिंह खुद कुश्ती के अखाड़े में हाथ आजमा चुके हैं। कुश्ती से निकले तो राजनीति के अखाड़े में कूदे हैं। पहले समाजवादी पार्टी में थे और अब बीजेपी में हैं। कभी खुद उम्मीदवार के रूप में उतरे तो कभी उम्मीदवार के रूप में अपनी पत्नी को उतारा।
कहा जाता है कि पहलवान रहे बृजभूषण शरण सिंह राम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से राजनीति में आये। बाबरी मस्जिद विध्वंस में उनपर मुक़दमा भी हुआ। कहा जाता है कि बीजेपी को उत्तर प्रदेश में बृजभूषण शरण सिंह की ज़्यादा ज़रूरत है। उनकी अपने मूल गोंडा के आसपास के कम से कम आधा दर्जन जिलों में जबरदस्त पकड़ है।
उनका रुतबा क्या है इसका इससे भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक इंटरव्यू में कथित तौर पर हत्या की बात की थी। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में उनको यह कहते सुना जा सकता है।
ये भी सुना जाए. एक-दो दिन से जनाब चर्चाओं में हैं लेकिन इनके पुराने कारनामों के वीडियो अब वायरल हो रहे हैं. pic.twitter.com/MN07holZ49
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) January 19, 2023
एक अन्य वीडियो में मंच पर किसी को थप्पड़ मारते हुए उन्हें देखा जा सकता है। राहुल अहिर नाम के यूज़र ने एक पुराने वीडियो को ट्वीट कर लिखा है कि एक कार्यक्रम में शिकायत लेकर पहुँचे यूपी के पहलवान को उन्होंने थप्पड़ जड़ दिये थे। बृजभूषण सिंह ने 2022 के अक्टूबर में उत्तर प्रदेश में बाढ़ के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने प्रशासन पर खराब तैयारी करने, राहत के लिए पर्याप्त काम नहीं करने का आरोप लगाया और कहा था कि लोगों को 'भगवान भरोसे' छोड़ दिया गया। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया था कि मौजूदा सरकार आलोचना बर्दाश्त नहीं करती और इसे व्यक्तिगत रूप से लेती है।
बहरहाल, बीजेपी नेतृत्व ने कैसरगंज सीट से बृजभूषण का टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को दे दिया है। क्या बृजभूषण के बेटे के अलावा किसी और को टिकट नहीं दिया जा सकता था? और यदि ऐसा होता तो क्या बृजभूषण शांत रहते? क्या बृजभूषण के गढ़ में बीजेपी को नुक़सान नहीं होता? तो भी सवाल वही है कि ऐसा करके बीजेपी इस परीक्षा में पास हुई या फे़ल?