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बंगाल में बीजेपी की रथयात्रा को हाई कोर्ट में चुनौती क्यों?

बंगाल में बीजेपी की रथयात्रा को हाई कोर्ट में चुनौती क्यों?

पश्चिम बंगाल के चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिश तो काफ़ी पहले से हो रही है, लेकिन अब बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा से कई लोग इतने आशंकित हैं कि कलकत्ता हाई कोर्ट में इसको चुनौती दी है।

पश्चिम बंगाल के चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिश तो काफ़ी पहले से हो रही है, लेकिन अब बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा से कई लोग आशंकित हैं। ये आशंकाएँ कितनी हैं और किस तरह की हैं यह इससे पता चलता है कि कलकत्ता हाई कोर्ट में इसको चुनौती दी गई है। 

पश्चिम बंगाल में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। राज्य में अब तक रोडशो करती रही बीजेपी ने अब पाँच रथ यात्राएँ निकालने की योजना बनाई है। पहली रथयात्रा 6 फ़रवरी यानी इसी शनिवार को निकलेगी। इस यात्रा को बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा निकालेंगे। इसके पाँच दिन बाद 11 फ़रवरी को अमित शाह कूचबिहार से यात्रा को हरी झंडी दिखाएँगे। 

माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के क़िले को भेदना बीजेपी के लिए आसान नहीं है। बीजेपी की अब तक जो ध्रुवीकरण की नीति रही है उससे भी लगता है कि बीजेपी तृणमूल के सामने इतनी ज़्यादा मज़बूत स्थिति में नहीं होगी कि ममता के लिए कड़ी मुश्किल खड़ी कर सके। यही बात तब भी सामने आई थी जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में डबल डिजिट को क्रॉस नहीं कर सकेगी। समझा जाता है कि डबल डिजिट क्रॉस नहीं करने से उनका मतलब 99 से ज़्यादा सीटें नहीं आने से था। 

वह भी ऐसा विश्लेषण तब किया जा रहा है जब राज्य में लगातार ध्रुवीकरण की कोशिश करने का बीजेपी पर आरोप लग रहा है। तृणमूल कांग्रेस यही आरोप बीजेपी की रथयात्रा पर भी लगा रही है। हालाँकि, वह खुले तौर पर रथयात्रा पर ऐसे आरोप लगाने से बच रही है क्योंकि शायद उसे बीजेपी के इस मामले में विक्टिम कार्ड खेलने का डर होगा।

लेकिन बीजेपी की यात्रा और सार्वजनिक रैलियों के शांतिपूर्ण माहौल के दावे पर कलकत्ता हाई कोर्ट में सवाल खड़े किए गए हैं।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक वकील ने एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि रथयात्रा सांप्रदायिक तनाव को भड़काएगी और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। याचिका में कोरोना संक्रमण और क़ानून-व्यवस्था पर ख़तरा होने का कारण भी बताया गया है। 

'एएनआई' की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में अगली सुनवाई अब 9 फ़रवरी को होगी। 

बीजेपी का इस पर कहना है कि रथ यात्रा वैध राजनीतिक हथियार है। कोर्ट में मामले को ले जाने पर इसने कहा है कि यह विपक्ष की आवाज़ को दबाने का प्रयास है। 

 - Satya Hindi

बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है,  'कोर्ट ने रथ यात्रा पर स्थगन आदेश नहीं दिया है, इसलिए ज़िला प्रशासन इसे रोक नहीं सकता है। विपक्ष के रूप में लोगों के बीच होना हमारा मौलिक अधिकार है। 6 फ़रवरी को नड्डा जी यात्रा का उद्घाटन करेंगे और 11 फ़रवरी को अमित शाह कूचबिहार से निकलने वाली एक और यात्रा में शामिल होंगे।'

'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'ममता बनर्जी की सरकार हमेशा उन्हें चुप कराने की कोशिश करती है। ... इस यात्रा में कोयला घोटाले, गाय तस्करी, तोलाबाजी पर ममता बनर्जी सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा।'

इस रथयात्रा के बारे में बीजेपी जो भी कहे, लेकिन हाई कोर्ट में जो दलील दी गई है वही तथ्य तो शायद तृणमूल कांग्रेस मानती होगी। तृणमूल को भी शायद यह डर होगा कि रथयात्रा में यदि कहीं कुछ गड़बड़ी हुई तो वोटों का ध्रुवीकरण होगा। बीजेपी ममता बनर्जी पर मुसलिम तुष्टिकरण का आरोप पहले से ही लगाती रही है।

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