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<u></u>मप्र: आतिशबाज़ी कर रहे राम मंदिर समर्थकों को रोकने पर पुलिस पर कार्रवाई क्यों?

मप्र: आतिशबाज़ी कर रहे राम मंदिर समर्थकों को रोकने पर पुलिस पर कार्रवाई क्यों?

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और शिवराज सरकार के पुराने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा मध्य प्रदेश पुलिस को लेकर की गई तल्ख टिप्पणी ने राज्य का सियासी पारा चढ़ा दिया है।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और शिवराज सरकार के पुराने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा मध्य प्रदेश पुलिस को लेकर की गई तल्ख टिप्पणी ने राज्य का सियासी पारा चढ़ा दिया है। दरअसल, यह मामला खरगोन पुलिस से जुड़ा है। बुधवार पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। 

इस दिन खरगोन में भी कुछ राम मंदिर समर्थक उत्साही युवकों ने आतिशबाज़ी का प्रयास किया था। सर्राफा बाजार में खुशियां मना रहे इन युवकों को स्थानीय पुलिस ने ना केवल आतिशबाजी करने से रोका, बल्कि कुछ की पिटाई भी कर दी। चार युवकों को पुलिस वाले अपने वाहन में लादकर थाने ले गये थे।

घटनाक्रम से जुड़ा वीडियो वायरल होते ही राजनीति आरंभ हो गई थी। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आपत्तियां जताते हुए एक के बाद कई ट्वीट किये थे।

उन्होंने ट्वीट में कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है आज देश के लिए गौरव का दिन है। अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ! सारा देश खुशियां मना रहा है। ऐसे में खरगोन के सर्राफा बाजार में उत्सव और खुशियां मनाते युवकों पर पुलिस की कार्रवाई अनुचित है।

विजयवर्गीय ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को टैग कर एक अन्य ट्वीट में कहा था, ‘खरगोन पुलिस, बंगाल पुलिस जैसा आचरण क्यों कर रही है! डाॅ.नरोत्तम मिश्रा जी अपनी पुलिस को समझाइश दीजिए!’

विजयवर्गीय द्वारा आक्रोश जताये जाने के बाद शिवराज सरकार ने मामले की रिपोर्ट तलब की और त्वरित कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को एसडीएम और एसडीओपी को हटा दिया है। इस मामले पर राजनीति बेहद गर्म है और गुरूवार को खरगोन शहर बंद रहा।

मारपीट की घटना के बाद राजनीति

विरोध के बाद पुलिस ने युवकों को छोड़ दिया था। खरगोन में ही रात को दूसरी घटना हो गई थी। राम मंदिर निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत को लेकर दिये जलाकर खुशियां मनाते कुछ लोगों से मारपीट की गई थी। समुदाय विशेष के लोगों द्वारा मारपीट करने के बाद राजनीति और भी गर्म हो गई थी।

राम मंदिर समर्थकों के साथ मारपीट करने वाले पुलिस वालों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करने और दिये जलाने वालों से मारपीट करने वालों पर एक्शन की मांग को लेकर खरगोन बंद का आयोजन किया गया था। 80 फीसदी बाजार, व्यावसायिक संस्थान और अन्य प्रतिष्ठान बंद रहे थे। 

लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि पुलिस ने युवकों को रोककर अपना काम ही किया, लेकिन उल्टा सरकार ने पुलिस के ख़िलाफ़ ही कार्रवाई कर दी जबकि कार्रवाई युवकों के ख़िलाफ़ होनी चाहिए थी। खरगोन में कोरोना के संक्रमण को लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट है और इसीलिए पुलिस ने युवकों को इकट्ठा होने और आतिशबाज़ी करने से रोका। ऐसे में पुलिस किस तरह क़ानून व्यवस्था बनाए रख पाएगी क्योंकि अगर वह क़ानून सम्मत कार्रवाई करेगी तो उसे ख़ुद के ख़िलाफ़ ही कार्रवाई हो जाने का डर रहेगा।

बीजेपी के पूर्व विधायक पर केस

खरगोन के अलावा महेश्वर इलाक़े में भी मंदिर समर्थकों और पुलिस के बीच जद्दोजहद होने की सूचना है। मंदिर निर्माण प्रक्रिया आरंभ होने की ख़ुशी में महेश्वर के पूर्व बीजेपी विधायक राजकुमार मेव अपने कुछ समर्थकों के साथ हनुमान मंदिर पर ध्वजा चढ़ाने पहुंचे थे।

पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में मेव और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ मुक़दमा कायम कर लिया। कोविड प्रोटोकाॅल के उल्लंघन की धाराएं भी मेव और उनके समर्थकों पर लगाई गई हैं। इस मुद्दे पर महेश्वर में भी राजनीतिक गहमागहमी तेज है। 

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