चुप्पी का मतलब टीएमसी ने गड़बड़ी मानी, महुआ को निकाले: बीजेपी
महुआ मोइत्रा पर लगे संसद में सवाल के बदले पैसे लेने के आरोपों पर टीएमसी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने से बीजेपी हमलावार है। टीएमसी की ओर से कहा गया है कि पार्टी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी और महुआ खुद अपना बचाव करें। इस पर बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी ने सवाल किया है कि क्या तृणमूल की चुप्पी का मतलब यह है कि वह सांसद के खिलाफ गंभीर आरोपों को स्वीकार करती है या यह संकेत देती है कि पार्टी के पास छिपाने के लिए कुछ है।
मोइत्रा पर संसद में प्रश्न पूछने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से 2 करोड़ रुपये नकद लेने का आरोप लगाया गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर इन आरोपों की जांच की मांग की है कि मोइत्रा ने व्यवसायी से रिश्वत ली और अपनी संसद लॉगिन क्रेडेंशियल भी साझा की। महुआ ने आरोपों को खारिज कर दिया है।
महुआ मोइत्रा की तब से लगातार परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं जब से निशिकांत दुबे ने उन पर संसद में सवाल पूछने के बदले पैसे लेने का आरोप लगाया है।
इसी मामले में गुरुवार को बड़ा धमाका हुआ है। जिस दर्शन हीरानंदानी को मदद करने का आरोप महुआ मोइत्रा पर लगा है अब उन्होंने ही महुआ के ख़िलाफ़ बड़ा बयान दे दिया है। वह सरकारी गवाह बन गए हैं! हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने शपथ पत्र देकर दावा किया है कि महुआ मोइत्रा ने उन्हें संसद का अपना लॉगिन और पासवर्ड दिया था ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह सीधे सवाल पोस्ट कर सकें। लोकसभा की आचार समिति को दिया गया हीरानंदानी का यह हलफनामा बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोप के बाद आया है।
लोकसभा की आचार समिति को गुरुवार को सौंपे गए और हीरानंदानी समूह की एक टीम द्वारा तीन पेज का हलफनामा प्रेस को जारी किया गया। इसमें दुबई में रहने वाले दर्शन हीरानंदानी ने कहा, 'मोइत्रा ने सोचा कि श्री मोदी पर हमला करने का एकमात्र तरीका गौतम अडानी और उनके समूह पर हमला करना है क्योंकि दोनों समकालीन हैं और वे एक ही राज्य गुजरात से हैं।'
इस हलफनामे पर महुआ मोइत्रा ने बड़े सवाल खड़े किए हैं। महुआ मोइत्रा ने पत्र को एक मजाक बताया है और कहा है कि इस पत्र का मसौदा पीएमओ द्वारा तैयार किया गया और उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।
महुआ ने यह भी सवाल उठाया है कि यदि ऐसा है तो दर्शन हीरानंदानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की या आधिकारिक तौर पर इसे ट्विटर पर जारी क्यों नहीं किया? उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि हलफनामा हीरानंदानी समूह के लेटरहेड पर क्यों नहीं है और सादे कागज पर क्यों है?
बहरहाल, इतना सब घटनाक्रम चलने के बाद भी तृणमूल नेतृत्व अपने सांसद पर लगे आरोपों पर अब तक चुप है। इस मामले के बारे में पूछे जाने पर, तृणमूल प्रवक्ता और पश्चिम बंगाल के महासचिव कुणाल घोष ने शुक्रवार को टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एएनआई से उन्होंने कहा, 'कोई टिप्पणी नहीं। इस मुद्दे के संबंध में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस एक शब्द भी नहीं कहेगी। हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। वह इस मुद्दे को समझा सकती हैं या जवाब दे सकती हैं। हम मुद्दे पर नज़र रख रहे हैं और जानकारी जुटा रहे हैं।'
इसके बाद बीजेपी ने टीएमसी पर हमला किया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, "महुआ मोइत्रा पर टीएमसी का आधिकारिक रुख यह है कि 'हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। कहा कि सांसद अपना बचाव करेंगी।' क्या इसका मतलब है: 1) टीएमसी स्वीकार करती है कि महुआ मोइत्रा ने विदेशी धरती से संचालित होने के लिए रिश्वत के बदले प्रतिद्वंद्वी कॉर्पोरेट इकाई को अपना लॉग इन देने सहित गंभीर उल्लंघन किए हैं? 2) यदि ऐसा है तो टीएमसी बर्खास्त करने के बजाय अभी भी उसे बनाए क्यों रख रही है?"
बीजेपी प्रवक्ता ने यह भी पूछा कि क्या तृणमूल महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई करने से डरती है "क्योंकि पार्टी के पास छिपाने के लिए कुछ है"। उन्होंने कहा, 'शायद पार्टी के लोग इसे जानते थे या इसका समर्थन करते थे? टीएमसी को सफाई देनी चाहिए।'
TMC’s official stand on Mahua Moitra is that “We won’t comment. Said MP will defend herself”
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) October 22, 2023
Does it mean
1)TMC accepts Mahua Moitra has made serious breaches including giving her log in to be operated from foreign soil by a rival corporate entity in exchange for kickbacks ?…
इससे पहले वरिष्ठ भाजपा नेता और इसके बंगाल संचालन के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा था कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ममता बनर्जी ने मोइत्रा को छोड़ दिया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, 'वह अभिषेक बनर्जी के अलावा किसी और का बचाव नहीं करेंगी, जो कम अपराधी नहीं हैं... कई टीएमसी नेता गंभीर भ्रष्टाचार और आपराधिक आरोपों में जेल में हैं, लेकिन ममता बनर्जी ने चुप्पी बनाए रखी है।'
निशिकांत दुबे ने लोकपाल का रुख किया
निशिकांत दुबे ने लोकपाल में एक ऐसी ही शिकायत दर्ज कराई है। यह विधायकों-सांसदों सहित लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली संस्था है। इसमें उन्होंने एक नया आरोप भी लगाया है कि तृणमूल सांसद की संसदीय आईडी दुबई में खोली गई थी और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने के समान था।
अपने खिलाफ शिकायतों के अंबार लगने के बाद महुआ ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने अगले छह महीने तक चुप रहने के सौदे को खारिज कर दिया, यहां तक कि उन्होंने अपने घर पर छापा मारने के लिए सीबीआई को बुलाया। लेकिन उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा रिपोर्ट की गई कथित कोयला घोटाला में जाँच एजेंसी को एफ़आईआर दर्ज करने की याद दिलाई।