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यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और निषाद पार्टी में गठबंधन

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और निषाद पार्टी में गठबंधन

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए निषाद पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन के क्या मायने हैं? इस गठबंधन से बीजेपी को कितना फायदा होगा? 

बीजेपी उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी और अपना दल के साथ गठबंधन में अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बीजेपी के यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में सहयोगी रही निषाद पार्टी का गठबंधन अब विधानसभा चुनाव में भी होगा। हालाँकि, गुरुवार को ही मुख्यमंत्री आवास पर हुई कोर कमिटी की बैठक में इस पर मुहर लग गई थी और आज इसकी औपचारिक घोषणा की गई है। 

औपचारिक घोषणा के दौरान निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद भी मौजूद थे। फ़िलहाल सीट बंटवारे को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। ख़बर है कि सीटों को लेकर बातचीत भी लगभग तय हो चुकी है, लेकिन इसकी घोषणा बाद में की जाएगी। बता दें कि पहले निषाद पार्टी ने विधानसभा चुनावों में 70 सीटें मांगी थीं और राज्य सरकार में मंत्री पद भी मांगा था। लेकिन किस-किस पर सहमति बनी है यह अभी साफ़ नहीं है।  

लखनऊ में पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अपना दल भी उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा होगा।

इस घोषणा से पहले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने उन कयासों को खारिज कर दिया था जिसमें कहा जा रहा था कि क्या उनकी पार्टी का बीजेपी में विलय होगा। उन्होंने कहा, 'निषाद पार्टी अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न पर अलग से चुनाव लड़ेगी। निषाद पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी।' इससे पहले कई बार बीजेपी और निषाद पार्टी में खटपट की ख़बरें आती रही थीं। लेकिन ख़बर है कि आज गठबंधन की औपचारिक घोषणा से पहले बीजेपी नेताओं ने संजय निषाद के साथ कई दौर की बैठकें कीं।

माना जा रहा है कि बीजेपी पूर्वांचल में निषाद पार्टी को 3-4 सीटें दे सकती है। कहा जा रहा है कि डॉ. संजय निषाद को नामित एमएलसी बनाए जाने और मंत्रिमंडल विस्तार होने पर मंत्री बनाए जाने पर भी विचार-विमर्श किया गया है।

बता दें कि 14 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने, मछुआरों को नदी-तालाब के पट्टे सहित तमाम मांगों को लेकर मुखर संजय निषाद बीजेपी का साथ छोड़ने की चेतावनी देते रहे थे। वह कई बार कह चुके थे कि उनकी ये मांगें नहीं मानी गईं तो वे बीजेपी का साथ छोड़ भी सकते हैं। इसी के साथ शुक्रवार को बीजेपी चुनाव प्रभारी ने गठबंधन की अधिकारिक घोषणा कर उन सभी अटकलों पर अब विराम लगा दिया है।  

इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। यूपी की राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी के लिए इस बार काफ़ी मुश्किल आने वाली है। ऐसा इसलिए कि युवाओं के सामने रोजग़ार जैसा मुद्दा है और कोरोना महामारी के बाद जो हालात बने वे बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ जाते हैं। इसके अलावा क़ानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर विपक्षी दल बीजेपी को निशाने पर लेते रहे हैं। 

हालाँकि 2017 में हुए पिछले चुनावों में बीजेपी ने 403 विधानसभा सीटों में से 312 पर जीत दर्ज की थी और क़रीब 40% वोट हासिल किए थे। समाजवादी पार्टी सिर्फ़ 47 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि मायावती की बसपा सिर्फ़ 19 सीटें जीत सकी थी। कांग्रेस राज्य में केवल सात सीटें जीतने में सफल रही। लेकिन इस बार परिस्थितियाँ बदली हुई हैं।

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