द्रौपदी मुर्मू होंगी एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने आगामी चुनावों के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा की है। मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल रही हैं। मुर्मू ओडिशा की आदिवासी समुदाय से आती हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगी। यशवंत सिन्हा को विपक्षी उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया है।
ओडिशा की रहने वाली मुर्मू यदि राष्ट्रपति बनती हैं तो इस पद पर पहुंचने वाली वह पहली आदिवासी होंगी। मुर्मू के उम्मीदवार बनाने से बीजेपी को कई राजनीतिक फायदे की उम्मीद है। चूँकि वह ओडिशा से आती हैं, ऐसे में उन्हें बीजू जनता दल का भी समर्थन मिल सकता है। ओडिशा से दो बार की बीजेपी विधायक मुर्मू नवीन पटनायक कैबिनेट में भी मंत्री थीं जब बीजू जनता दल ने बीजेपी के समर्थन से राज्य पर शासन किया था। मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर सत्तारूढ़ बीजेपी आदिवासी समाज को एक संदेश दिया है। इसका फायदा पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में मिल सकता है।
64 वर्षीय मुर्मू 2017 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस पद की प्रबल दावेदार थीं। लेकिन तब बिहार के तत्कालीन राज्यपाल एक दलित रामनाथ कोविंद को इस पद के लिए सरकार के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था।
मुर्मू के नाम की घोषणा से पहले राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक के राज्यपाल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सौंदराजन और कुछ अन्य नाम पर भी चर्चा चल रही थी। लेकिन इस घोषणा के बाद उन कयासों पर अब विराम लग गया है।
एनडीए द्वारा मुर्मू के नाम की घोषणा से पहले आज ही दिन में विपक्षी दलों ने अपने उम्मीदवार की घोषणा की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीएमसी के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के नेता एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बुलावे पर दिल्ली में एकजुट हुए थे।
विपक्षी दलों की बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्षी दलों ने संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा को उतारने का फ़ैसला किया है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोट देने की अपील की।
विपक्षी दलों की ओर से जारी संयुक्त बयान में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों से भी अपील की गई है कि वे यशवंत सिन्हा के नाम का समर्थन करें जिससे देश में राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हो सके। जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के चयन को लेकर आम सहमति बनाने के लिए कोई भी गंभीर प्रयास नहीं किया।
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।
यशवंत सिन्हा ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा कि वह टीएमसी में उन्हें सम्मान देने के लिए पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी का आभार व्यक्त करते हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि वह पार्टी से हटकर विपक्षी दलों की एकता के लिए काम करें। वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने उम्मीद जताई है कि ममता बनर्जी उनके इस कदम को सहमति देंगी।