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अयोध्या में बृजभूषण के समर्थन में होने वाली रैली क्यों टालनी पड़ी?

अयोध्या में बृजभूषण के समर्थन में होने वाली रैली क्यों टालनी पड़ी?

महिला पहलवानों की एफ़आईआर में बृजभूषण के 'कारनामे' अख़बार में सामने आने के बीच ही बृजभूषण के समर्थन में निकाली जाने वाली रैली आख़िर क्यों टाली गई? जानें क्या है वजह। 

महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह ने आज कहा है कि उनके समर्थन में अयोध्या में होने वाली रैली को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। उनकी यह घोषणा तब हुई है जब आज ही एक अख़बार में महिला पहलवानों द्वारा उनके ऊपर लगाए गए आरोपों की लंबी फेहरिस्त सामने आई है और सोशल मीडिया पर इस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ हो रही हैं।

बृजभूषण शरण सिंह ने फ़ेसबुक पर रैली को स्थगित किए जाने की घोषणा करते हुए कहा है, "उद्देश्य यह है कि 5 जून को अयोध्या में एक संत सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया ताकि पूरे समाज में फैल रही बुराई पर विचार किया जा सके, लेकिन अब जबकि पुलिस आरोपों की जांच कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के गंभीर निर्देशों का सम्मान करते हुए 'जन चेतना महारैली, 5 जून, अयोध्या चलो' कार्यक्रम कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है।"

उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए फ़ेसबुक पोस्ट में यह भी कहा है, 'आपके समर्थन के साथ पिछले 28 वर्षों से लोकसभा के सदस्य के रूप में सेवा की है। मैंने सत्ता और विपक्ष में रहते हुए सभी जातियों, समुदायों और धर्मों के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया है। इन्हीं कारणों से मेरे राजनीतिक विरोधियों और उनकी पार्टियों ने मुझ पर झूठे आरोप लगाए हैं।' 

उन्होंने पहले घोषणा की थी कि वह सोमवार को साधुओं के आशीर्वाद से रैली को संबोधित करेंगे। इस कदम को व्यापक रूप से बृजभूषण शरण सिंह के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया। लेकिन अब इस कार्यक्रम को टालना पड़ा है।

बीजेपी सांसद ने यह साफ़ नहीं किया है कि योजना में बदलाव का कारण क्या है, लेकिन उनकी फेसबुक पोस्ट तब आयी है जब पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ दायर प्राथमिकी में सूचीबद्ध गंभीर आरोपों का विवरण सामने आया है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाने वाली सातों खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए आरोप अब सामने आ गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार यौन उत्पीड़न और दुराचार की कई घटनाओं में पेशेवर सहायता के बदले शारीरिक संबंध बनाने की मांग, छेड़छाड़, ग़लत तरीक़े से छूना और शारीरिक संपर्क शामिल हैं। आरोप लगाया गया है कि इस तरह के यौन उत्पीड़न टूर्नामेंट के दौरान, वार्म-अप और यहाँ तक ​​कि नई दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में भी किया गया। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेशेवर सहायता के बदले शारीरिक संबंध की मांग करने के कम से कम दो मामले; यौन उत्पीड़न की कम से कम 15 घटनाएँ हैं जिनमें ग़लत तरीक़े से छूना शामिल हैं, छेड़छाड़ जिसमें छाती पर हाथ रखना, नाभि को छूना शामिल है। इसके अलावा डराने-धमकाने के कई उदाहरण हैं जिनमें पीछा करना भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ 28 अप्रैल को दिल्ली में दर्ज की गईं दो एफ़आईआर में ये प्रमुख आरोप हैं।

पहली एफ़आईआर में छह वयस्क पहलवानों के आरोप शामिल हैं। दूसरी एफ़आईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है। इसमें पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 भी लागू होती है जिसमें पाँच से सात साल की कैद होती है। इन एफ़आईआर में जिन घटनाओं का उल्लेख किया गया है वे कथित तौर पर 2012 से 2022 तक भारत और विदेशों में हुईं।

इसमें एक महिला पहलवान का आरोप है कि शारीरिक संबंध के बदले बृजभूषण ने सप्लीमेंट की पेशकश की थी। यह भी आरोप है कि उस दिन भी यौन उत्पीड़न किया गया जब महिला पहलवान ने एक प्रमुख चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। इसमें कहा गया है कि जिस दिन महिला पहलवान ने एक प्रमुख चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, उसने उसे अपने कमरे में बुलाया, उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध अपने बिस्तर पर बैठाया और उसकी सहमति के बिना उसे जबरदस्ती गले लगाया। यही नहीं, आरोप है कि वह पीछा करने लगे थे, लगातार परेशान कर रहे थे और इसके लिए पहलवान की माँ को भी फोन करने लगे थे। इसमें कहा गया है कि इसके बाद भी वर्षों तक, वह यौन उत्पीड़न के निरंतर कृत्य और बार-बार गंदी हरकतें करते रहे।

हालाँकि, बृजभूषण शरण सिंह ने बार-बार आरोपों से इनकार किया है। आज की पोस्ट में बृजभूषण शरण सिंह ने फिर से दावा किया कि उन पर राजनीतिक विरोधियों और उनकी पार्टियों द्वारा झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बुधवार को कहा था, 'अगर मेरे खिलाफ एक भी आरोप साबित हो जाता है, तो भी मैं खुद को फांसी लगा लूंगा।'

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