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योगी से भाजपा विधायकों का मोह क्यों भंग हो रहा, सरकार में अंदरुनी लड़ाई तेज 

योगी से भाजपा विधायकों का मोह क्यों भंग हो रहा, सरकार में अंदरुनी लड़ाई तेज 

यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भाजपा में खेमेबंदी तेज होती जा रही है। विधायक खुले आम बयान दे रहे हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुलेआम योगी विरोधियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। सरकारी अफसर मौके का फायदा उठाकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। भाजपा में योगी विरोधी खेमा बेसब्री से 10 सीटों पर उपचुनाव का इंतजार कर रहा है।

यूपी में भाजपा की आपसी लड़ाई अब सार्वजनिक हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने भाजपा के विधायक बोलने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। लेकिन अब वो खुलकर बोल रहे हैं। योगी को लेकर भाजपा में असंतोष बढ़ता जा रहा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री 27 जुलाई को भाजपा आलाकमान (मोदी-शाह) से दिल्ली में मिलकर अपनी तकलीफों की जानकारी देंगे। 

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लंबे समय से योगी से टक्कर ले रहे हैं। लेकिन अब इसमें तेजी आ गई है। हाल ही में उनसे कई ओबीसी विधायकों ने मुलाकात की। योगी विरोधी माने जाने वाले मंत्री ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने हाल ही में मौर्य से मुलाकात की। संकेत ये है कि भाजपा के अंदर और भाजपा के सहयोगी पार्टी के ओबीसी नेता मौर्य के नेतृत्व में योगी के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तैयार हैं। इन्हीं हालात में दो विधायकों के बयान महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। 

चौरीचौरा के विधायक श्रवण कुमार निषाद ने अपनी सुरक्षा हटाने का आरोप योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगाया है। विधायक निषाद बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे हैं। जूनियर निषाद ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा- "दो मौकों पर मुझे जान से मारने की धमकी मिलने के बाद भी मेरी सुरक्षा क्यों हटा ली गई।"

श्रवण निषाद ने एक प्रेस बयान भी जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जेल में बंद किसी व्यक्ति से जान से मारने की धमकी मिलने के बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा आवंटित की गई थी, लेकिन प्रशासन ने मनमाने ढंग से उनके सुरक्षा गार्ड को हटा दिया। उन्होंने कहा- “निषाद समुदाय के कई नेताओं की हत्या कर दी गई है, चाहे वह जमुना निषाद हों, दर्जनों अन्य निषाद नेता हों या हाल ही में बिहार में निषाद समुदाय के नेता मुकेश सहनी के पिता की हत्या हो। इसके बावजूद सरकार और प्रशासन मेरी सुरक्षा हटा रही है और मनमाना रवैया अपना रही है। जिला प्रशासन मेरे खिलाफ साजिश रच रहा है।”

भाजपा ओबीसी मोर्चा से हमदर्दी

श्रवण निषाद ने चौरी चौरा पुलिस द्वारा स्थानीय भाजपा नेता दीपक कुमार जायसवाल के कथित उत्पीड़न की भी निंदा की। जयसवाल भाजपा के ओबीसी मोर्चा की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य हैं। उनकी पत्नी चौरी चौरा से जिला पंचायत सदस्य हैं। जयसवाल ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके कार्यस्थल में घुसकर उनकी सहमति के बिना उनकी तस्वीरें खींची और उन्हें "अपराधी" बताया। जायसवाल ने कहा-  “यह एक गंभीर स्थिति है, अपनी ही सरकार के तहत घुटन भरी जिंदगी जीना। मेरे सम्मान की रक्षा करना मुश्किल हो रहा है।”

निषाद के आरोपों पर गोरखपुर पुलिस ने स्पष्टीकरण जारी किया। पुलिस ने कहा कि "श्रवण निषाद को एक अतिरिक्त सहित दो गार्ड आवंटित किए गए थे। निषाद की सुरक्षा की समय-समय पर समीक्षा की जाती है।"

गोरखपुर जिले के एक और विधायक ने भी मोर्चा खोल रखा है। कैंपियरगंज से विधायक फतेह बहादुर सिंह ने आरोप लगाया है कि गोरखपुर पुलिस उन्हें जान से मारने की धमकी पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। सिंह ने आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनकी हत्या की कथित साजिश की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने उनसे हस्तक्षेप की मांग की। यहां बताना जरूरी है कि गोरखपुर चूंकि सीएम का गृह जनपद है तो पुलिस वहां पर दूसरे हिसाब से काम करती है।

पूर्व मंत्री और सात बार विधायक रहे फतेह बहादुर सिंह यूपी के पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह के बेटे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एक भाजपा कार्यकर्ता, जो भाजपा जिला पंचायत सदस्य का बेटा था, ने एक शूटर को उनकी हत्या की सुपारी देने के लिए 5 करोड़ रुपये एकत्र किए थे।

सिंह ने पुलिस पर उनकी हत्या की साजिश रचने के आरोपी व्यक्ति के साथ "मिलीभगत" के कारण उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। सिंह ने जिस व्यक्ति पर आरोप लगाया है उसका नाम राजीव रंजन चौधरी है, जिनकी मां सरोज देवी गोरखपुर के वार्ड 15 से जिला पंचायत सदस्य हैं। सिंह ने स्थानीय मीडिया से कहा कि उन्हें जो खतरा दिख रहा है, वह उनकी राजनीतिक स्थिति से जुड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा, ''जो लोग मेरे खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं उन्हें लगता है कि जब तक मैं जिंदा हूं मैं जीतता रहूंगा।'' विधायक ने स्थानीय एसएचओ और सर्कल अधिकारी पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा, "कहीं न कहीं प्रशासनिक चूक हुई है कि कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।"

भाजपा नेता राजीव रंजन चौधरी का अपने बचाव में कहना है- “महाराज जी (आदित्यनाथ) के सत्ता संभालने से पहले, विधायक कैंपियरगंज में हजारों लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज कराते थे। वह आज भी वही कोशिश कर रहे हैं, लेकिन चूंकि सरकार और प्रशासन सख्त है, इसलिए उनके कृत्यों का कोई फल नहीं मिल रहा है।” भाजपा नेता ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो बयान में सीएम से उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया। चौधरी ने कहा कि फतेह बहादुर सिंह द्वारा उनकी हत्या की साजिश रचने के आरोप मनगढ़ंत कहानी हैं। उन्होंने मेरा जीवन नरक बना दिया है और मुझे फर्जी मामले में जेल भेजना चाहते हैं। चौधरी ने कहा, मैं बीजेपी और महाराज जी का सच्चा कार्यकर्ता हूं।

दोनों विधायकों के आरोप इसलिए गंभीर हैं, क्योंकि दोनों मामले गोरखपुर से संबंधित है। जहां की पुलिस हर समय हाई अलर्ट पर रहती है। संयोग से गृह विभाग भी योगी आदित्यनाथ के पास है। यानी इन दोनों विधायकों के मामले में योगी की बतौर मंत्री और सीएम जवाबदेही बनती है। लेकिन उन्होंने इन आरोपों पर कोई सफाई नहीं दी। 

सार्वजनिक रूप से अपनी असुरक्षा या अपने आरोपों की विश्वसनीयता के बारे में बात करने के पीछे दोनों विधायकों की मंशा जो भी हो, ये घटनाएं सीएम की छवि को कमजोर कर रही हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा आंतरिक मंथन में है, ऐसे में दो विधायकों और प्रशासन से जुड़ा ताजा विवाद योगी की परेशानी बढ़ाने वाला ही कहा जाएगा। इसीलिए जब केशव प्रसाद मौर्य ने संजय निषाद के साथ एक दिन पहले जो मीटिंग करके फोटो एक्स पर डाला था, वो महत्वपूर्ण है और उसी से पता चलता है कि यूपी भाजपा में उठापटक तेज हो गई है।

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