भ्रष्ट एलोपैथिक डॉक्टर राक्षस से भी बदतर: बीजेपी विधायक; रामदेव का किया समर्थन
एलोपैथिक पद्धति के ख़िलाफ़ बयान देकर डॉक्टर्स के निशाने पर आए योग गुरू रामदेव के समर्थन में बीजेपी की सरकार व नेता उतरने लगे हैं। हरियाणा की खट्टर सरकार ने कोरोना के मरीजों को रामदेव की 1 लाख किट बांटने का एलान किया तो यूपी के बलिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने भ्रष्ट एलोपैथिक डॉक्टर्स को राक्षस बताया है।
बैरिया सीट से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह गुरूवार को अपने इलाक़े में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, “रामदेव का तर्क बिलकुल सही है और हमें आयुर्वेद की पद्धति को स्वीकार करना चाहिए और इससे भारत स्वस्थ और समर्थ बनेगा।”
विधायक ने कहा, “मैं यह नहीं कहता कि एलोपैथ ख़राब है या उसमें काम नहीं है। लेकिन एलोपैथ के क्षेत्र में जांच चिकित्सकों ने राक्षस का रूप ले लिया है। मृतक को भी जीवित दिखाकर पैसा लेने की परंपरा जिस देश में चलती हो, आज के युग में ऐसे चिकित्सकों को पुराने सनातन धर्म के राक्षसों से भी बदतर कह सकते हैं। क्योंकि राक्षस भी मारने के बाद छोड़ देते थे लेकिन यदि मरे हुए व्यक्ति को भी आईसीयू में रखकर पैसा लेने का काम कोई चिकित्सक करता है तो मेरी समझ में वो राक्षस है, चिकित्सक नहीं है।”
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एलोपैथ के क्षेत्र में जो चिकित्सक ईमानदारी से सेवा कर रहे हैं, उनका हृदय से स्वागत करते हैं और सब लोग एक जैसे नहीं है।
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गो मूत्र का समर्थन
सुरेंद्र सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर बीते दिनों वायरल हुआ था, जिसमें वह गोमूत्र या गो अर्क से कोरोना को भगाने का दावा कर रहे थे। उनका कहना था कि 50 मिली गो अर्क पीजिए और दिन में 5 से 10 बार हल्दी का सेवन कीजिए और इससे लोगों को कोरोना में ज़रूर लाभ मिलेगा। इसी तरह का बयान मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री ऊषा ठाकुर का भी आया था कि आप यज्ञ कीजिए और इससे कोरोना महामारी की तीसरी लहर भारत को नहीं छू पाएगी।
सुरेंद्र सिंह अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं और इस तरह के अनाप-शनाप बयान देते रहे हैं। लेकिन ऐसे वक़्त में जब देश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है और लाखों डॉक्टर्स पिछले एक साल से दिन-रात मरीजों के इलाज में जुटे हैं, विधायक को संभलकर बोलना चाहिए था, भले ही वे इस बात का सहारा लें कि उन्होंने इलाज के नाम पर अवैध पैसा कमाने वाले डॉक्टर्स के लिए यह बात कही है।
क्यों शुरू हुआ विवाद?
एलोपैथिक पद्धति को दिवालिया साइंस बताने और एलोपैथिक दवाइयों की वजह से लाखों लोगों और हज़ारों डॉक्टर्स की मौत हो जाने के रामदेव के बयान के बाद देश भर के डॉक्टर्स रामदेव के ख़िलाफ़ खड़े हो गए हैं। देश में डॉक्टर्स की सबसे बड़ी बॉडी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की है कि वे रामदेव के द्वारा टीकाकरण के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे कुप्रचार को रोकें। आईएमए ने यह भी अपील की है कि प्रधानमंत्री मोदी रामदेव के ख़िलाफ़ राजद्रोह के क़ानून के तहत उचित कार्रवाई करें।
बयान पर बवाल बढ़ने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रामदेव से इस बयान को वापस लेने को कहा था। डॉक्टर हर्षवर्धन ने ख़ुद भी इस बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। इसके बाद रामदेव को अपना बयान वापस लेना पड़ा था।
आईएमए ने रामदेव से यह भी कहा है कि वह अपने इस बयान के लिए 15 दिन के भीतर माफ़ी मांग लें और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें 1000 करोड़ रुपये मानहानि के रूप में देने होंगे।
‘ईसाईयत में बदलने का षड्यंत्र’
रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण ने कुछ दिन पहले ट्वीट कर कहा था कि पूरे देश को ईसाईयत में बदलने के षड्यंत्र के तहत योग गुरू को निशाना बनाकर योग एवं आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि वे गहरी नींद से जागें वरना आने वाली पीढ़ियां उन्हें माफ नहीं करेंगी।
‘बाप भी अरेस्ट नहीं कर सकता’
रामदेव का एक और बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि उन्हें किसी का बाप भी अरेस्ट नहीं कर सकता। इसमें वह उन लोगों का जिक्र कर रहे हैं जो लोग उनके ख़िलाफ़ ट्विटर पर लगातार ट्रेंड चलाते रहते हैं। उनके इस बयान को लेकर लोग केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।