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बीजेपी की भाषा, ‘कुत्तों की तरह मारने’ से ‘जिंदा गाड़ दूंगा’ तक 

बीजेपी की भाषा, ‘कुत्तों की तरह मारने’ से ‘जिंदा गाड़ दूंगा’ तक 

बीजेपी के नेता लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे पता चलता है कि वे बुरी तरह घबरा गए हैं और हताशा में अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं। 

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में हो रहे प्रदर्शनों से क्या बीजेपी बुरी तरह घबरा गई है। क्या बीजेपी को लगता है कि इस क़ानून को लाकर उसने बहुत बड़ी भूल कर दी है और इसका उसे सियासी नुक़सान होने वाला है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उसके नेता इस क़ानून के समर्थन में हो रही रैलियों के दौरान लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे पता चलता है कि वे बुरी तरह घबरा गए हैं और हताशा में अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं। इन रैलियों को ख़ुद बीजेपी आलाकमान के निर्देश पर ही आयोजित किया जा रहा है। 

पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने ऐसा बयान दिया है जिससे पता चलता है कि पार्टी के नेता नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध प्रदर्शनों से बौखला गए हैं। घोष ने पश्चिम बंगाल के नदिया में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचा रहे हैं उन्हें कुत्तों की तरह मार दिया जाएगा। हालाँकि केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा है कि घोष के बयान से बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इस बयान को बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताया। 

घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान सार्वजिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों पर फ़ायरिंग और लाठीचार्ज करने का आदेश क्यों नहीं दे रही हैं। घोष ने कहा, ‘सार्वजनिक संपत्ति टैक्सपेयर्स के पैसे की है। आप (ममता) कुछ नहीं कहेंगी क्योंकि वे आपके वोटर हैं। असम और उत्तर प्रदेश में, हमारी सरकार ने ऐसे लोगों को कुत्ते की तरह मारा है। क्या यह उनके बाप की संपत्ति है जो इसे आग लगा रहे हैं।’ 

घोष ने कहा कि उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक की सरकारों ने नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों पर फ़ायरिंग का आदेश देकर बिलकुल ठीक किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग देशद्रोही हैं। बता दें कि इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है। घोष ने कहा कि देश भर में दो करोड़ मुसलिम घुसपैठिये हैं जिनमें से एक करोड़ अकेले पश्चिम बंगाल में हैं और ममता बनर्जी उन्हें सुरक्षा देने का प्रयास कर रही हैं। 

ऐसा ही बयान उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार में दर्जा राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने भी दिया है। रघुराज सिंह ने कहा है कि जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ नारे लगाते हैं, उन्हें जिंदा गाड़ देना चाहिए। रघुराज सिंह ने यह बयान रविवार को अलीगढ़ में नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में आयोजित एक रैली में दिया। 

यूपी सरकार के दर्जा राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी हमला बोला और कहा कि नेहरू की क्या जाति थी। उन्होंने दावा किया कि नेहरू का कोई खानदान भी नहीं था।

‘युद्ध शुरू, किसी को नहीं छोड़ेंगे’

कुछ दिन पहले ही तेलंगाना के करीमनगर से बीजेपी सांसद बांडी संजय कुमार ने नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में आयोजित एक रैली में लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर पत्थर से हमला किया गया तो वे बमों और चाकुओं से इसका जवाब देंगे। सांसद ने कहा था, ‘देशद्रोहियों के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है। अगर आप पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफग़ानिस्तान जाना चाहते हैं तो हम तुम्हें विमान या बिना ब्रेक वाली बसों से भेज देंगे।’ सांसद ने कहा था कि अब युद्ध शुरू हो चुका है और हम किसी को नहीं छोड़ेंगे।

‘सफाये की दी थी धमकी’

हरियाणा की कैथल सीट से बीजेपी के विधायक लीलाराम गुर्जर ने भी कुछ दिन पहले ऐसा ही बयान दिया था। लीलाराम गुर्जर ने नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि यह गाँधी और नेहरू का हिन्दुस्तान नहीं है बल्कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह का हिन्दुस्तान है। बीजेपी विधायक ने धमकाते हुए कहा था कि अगर इशारा हो गया तो एक घंटे में सफाया कर देंगे। 

सवाल यह है कि क्या बीजेपी के नेता ख़ौफ़ का माहौल बनाने के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था और सभ्य समाज में ऐसे बयानों को क़तई स्वीकार नहीं किया जा सकता। लेकिन पार्टी को इसका जवाब ज़रूर देना पड़ेगा कि पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष, राज्य सरकार में मंत्री, सांसद, विधायक अगर इतने घटिया बयान दे सकते हैं तो पार्टी में जिला, शहर स्तर के पदाधिकारी कैसे बयान देते होंगे और निश्चित रूप से बड़े नेताओं के बयान उनके लिए और घटिया बयान देने की दिशा में प्रोत्साहन देने का ही काम करेंगे। 

‘पार्टी विद ए डिफ़रेंस’

बीजेपी ख़ुद को चाल, चेहरे और चरित्र की पार्टी बताती है। वह कहती है कि वह ‘पार्टी विद ए डिफ़रेंस’ है। लेकिन ऐसी भाषा तो शायद किसी भी दूसरे राजनीतिक दल के नेता नहीं बोलते हैं। नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में बोलने वालों के ख़िलाफ़ उसके नेता लगातार अमर्यादित बयान दे रहे हैं। जामिया और जेएनयू में छात्रों, टीचर्स की पिटाई हो रही है और इनके समर्थन में खड़े होने वालों को हमेशा की तरह देशद्रोही, जेहादी, पाकिस्तानी बताया जा रहा है। क्या वह जवाब देगी कि क्या यही उसका ‘पार्टी विद ए डिफ़रेंस’ है। 

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