कर्नाटक सरकार 'धर्म की राजनीति' कर रही है: वरिष्ठ बीजेपी नेता
कर्नाटक के धार्मिक उत्सवों में मुसलिम व्यापारियों पर प्रतिबंध को लेकर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने अपनी ही सरकार की तीखी आलोचना की है। कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य ए एच विश्वनाथ ने हिजाब विवाद के बदले में मुसलिम व्यापारियों को मंदिर परिसर में प्रतिबंधित करने के दक्षिणपंथी संगठनों के आह्वान की निंदा की है और उन्होंने सरकार पर 'धर्म की राजनीति करने' का आरोप भी लगाया है।
सोशल मीडिया पर बीजेपी नेता विश्वनाथ के बयान को कई लोगों ने साझा किया है जिसमें उन्हें कन्नड़ भाषा में मीडिया के सवालों के जवाब देते सुना जा सकता है। मोहम्मद ज़ुबैर ने वीडियो साझा करते हुए लिखा है कि विश्वनाथ ने राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या वे एनआरआई को नौकरी देने की स्थिति में हैं यदि मुसलिम देश उन्हें वापस भेजना शुरू कर देते हैं।
Senior BJP leader & MLC AH Vishwanath speaks Ban on Muslim traders in Karnataka. Slamming politicians who are using religion for political gain, he questioned the state govt if they are in a position to provide jobs to NRIs if Muslim countries start sending them back. pic.twitter.com/KsIG57PlpU
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) March 28, 2022
वीडियो पर ट्रांस्क्रिप्शन में विश्वनाथ का बयान लिखा आता है, 'इंग्लैंड और अमेरिका में हमारे कितने लोग हैं? पूरी दुनिया के विभिन्न देशों में बहुत सारे लोग काम कर रहे हैं। खासकर मुसलिम देशों में। यदि इन सब के साथ हम किसी नतीजे पर पहुँचते हैं तो हम क्या करेंगे? कहां जाएँगे। यह क्या पागलपन है? किसी ईश्वर ने यह नहीं कहा है, किसी धर्म ने यह नहीं कहा है।'
आगे वह कहते हैं कि सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए। वह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि सरकार इस मामले पर चुप्प क्यों है।
वह कहते हैं, 'दूसरे देशों में भी हमारे यहाँ के मुसलमान रहते हैं। ये मुसलमान खाना और फूल बेचते हैं। वे छोटे व्यवसायी हैं-वे क्या खाएंगे? हिंदू, मुसलिम से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह खाली पेट का सवाल है।'
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार विश्वनाथ ने कहा कि सरकार राज्य में दो समुदायों के बीच हुए संघर्ष को मूकदर्शक के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को एक स्टैंड लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह पहले ही मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सामने इस मुद्दे पर आपत्ति जता चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'यह बीजेपी की सरकार है, बजरंग दल, आरएसएस या कुछ गुटों की नहीं।'
बीजेपी नेता का यह बयान तब आया है जब कर्नाटक में हाल ही में कम से कम छह मंदिरों ने मुसलिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। कर्नाटक सरकार ने भी कुछ मंदिरों द्वारा धार्मिक त्योहारों के दौरान मुसलिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने के फ़ैसले का बचाव किया।
विधानसभा में तर्क देने के लिए एक क़ानून का ज़िक्र किया गया। यह क़ानून में प्रावधान है कि मेलों और पवित्र अवसरों के दौरान हिंदुओं के अलावा अन्य लोगों को मंदिर परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कर्नाटक विधानसभा में राज्य के क़ानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा था कि 2002 में पारित हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम के अनुसार, एक हिंदू धार्मिक संस्थान के पास की जगह को दूसरे धर्म के व्यक्ति को पट्टे पर देना प्रतिबंधित है।
विवाद पर मंत्री ने कहा था, 'अगर मुसलिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने की ये हालिया घटनाएँ धार्मिक संस्थानों के परिसर के बाहर हुई हैं तो हम उन्हें सुधारेंगे। अन्यथा, मानदंडों के अनुसार, किसी अन्य समुदाय को परिसर में दुकान स्थापित करने की अनुमति नहीं है।' कहा जा रहा है कि यह विवाद इसलिए खड़ा हुआ कि इससे पहले हिजाब का विवाद हुआ है।
स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है और कहा गया है कि शिक्षण संस्थानों में सिर्फ़ यूनिफॉर्म ही चलेगी और किसी धार्मिक पहचान वाली पोशाक की अनुमति नहीं दी जाएगी। हाई कोर्ट ने भी स्कूलों के प्रतिबंध को वाजिब ठहराया है और अब इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है।