+
अब श्रीलंका में बन ही गई श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी!

अब श्रीलंका में बन ही गई श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी!

श्रीलंका में श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी बन गई! विश्वास नहीं होता न! तो बीजेपी के नेताओं को ही पढ़ लीजिए। राम माधव ने ही एक ट्वीट किया है। 

लीजिए, श्रीलंका में श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी बन गई! विश्वास नहीं होता न! तो बीजेपी के नेताओं को ही पढ़ लीजिए। राम माधव ने ही एक ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है- श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी। हालाँकि उन्होंने इसे मजाक में लिखा है, लेकिन इसके साथ जो एक न्यूज़ चैनल का स्क्रीनशॉट शेयर किया है वह काफ़ी गंभीर है। 'न्यूज़ फ़र्स्ट' नाम के चैनल के स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर रहे हैं और कई चैनलों की माइक आईडी लगी हुई है। उसके नीचे तारीख़ '6 मार्च 2021' और 'जाफना' लिखा हुआ है। साथ में लिखा है- 'वी. मुत्थुसामी, श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी के नेता'। 

हाल में बीजेपी नेता बिप्लब कुमार देब ने जब कहा था- 'अमित शाह की योजना है कि नेपाल और श्रीलंका में भी बीजेपी सरकार बनाई जाए' तो भारत में इस पर काफ़ी विवाद हुआ था। नेपाल और श्रीलंका से भी प्रतिक्रियाएँ आई थीं। लेकिन यदि 'न्यूज़ फ़र्स्ट' चैनल के यूट्यूब चैनल की ख़बर की मानें तो श्रीलंका में भी अब विवाद हो गया है। उस चैनल के अनुसार, हाल ही में श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी यानी श्रीलंका बीजेपी बनी है। 

चैनल की ख़बर में दावा किया गया है कि 'श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी के नेता वी. मुत्थुसामी ने कहा है कि नयी गठित श्रीलंका भारतीय जनता पार्टी का भारत की बीजेपी से कोई संबंध नहीं है।' ख़बर में दावा किया गया है कि 'उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यदि भारत उनका सहयोग करेगा तो वह मीडिया को इस बारे में जानकारी देंगे।' ख़बर के अनुसार, 'मुत्थुसामी ने कहा कि पार्टी का मक़सद तमिलों की शिक्षा और खेल का स्टैंडर्ड विकसित करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना है।' ख़बर में दावा किया गया है कि इस पार्टी के गठन की योजना 6 साल पहले ही बना ली गई थी और यह पार्टी श्रीलंका के अधिकतर हिस्सों में सक्रिय होगी।

बता दें कि भारत में इस पर तब विवाद हो गया था जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने कहा कि बीजेपी की योजना सिर्फ़ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी विस्तार करने की है। इसी साल फ़रवरी के मध्य में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बीजेपी के एक कार्यक्रम में बिप्लब देब बोल रहे थे। 

वैसे, यदि यह कहा जाए तो इसे सिर्फ़ हँसी-ठिठोली में कही गई बात ही कही जा सकती है, लेकिन चूँकि वह बीजेपी का कार्यक्रम था और मुख्यमंत्री बोल रहे थे तो इसे यूँ ही खारिज नहीं किया जा सका।

बिप्लब देब के कहने का क्या आशय रहा होगा, उनके कहे शब्दों से समझा जा सकता है। 'द ईस्ट मोजो' की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिप्लब देब ने कहा था कि अपनी त्रिपुरा यात्रा के दौरान अमित शाह ने रवींद्र सताभिषिकी भवन में एक पार्टी की बैठक में कहा था कि भारत में सभी राज्यों को जीतने के बाद बीजेपी पड़ोसी देशों में प्रवेश करने की कोशिश करेगी।

रिपोर्ट के अनुसार, बिप्लब देब ने अमित शाह का कथन दोहराते हुए कहा था, "हम राज्य के गेस्ट हाउस में बात कर रहे थे जब अजय जम्वाल (बीजेपी के उत्तर-पूर्व ज़ोनल सचिव) ने कहा कि बीजेपी ने भारत के कई राज्यों में अपनी सरकार बनाई है, जवाब में शाह ने कहा, 'अब श्रीलंका और नेपाल बाक़ी हैं। हमें श्रीलंका, नेपाल में पार्टी का विस्तार करना है और वहाँ सरकार बनानी है'।"

बिप्लब देब ने इन बातों को कितनी गंभीरता से कहा था, इसका इससे भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है जो उन्होंने आगे कहा। देब ने कहा था कि अमित शाह के नेतृत्व के कारण भी बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी।

उन्होंने कहा था, 'कम्युनिस्ट ने दावा किया था कि उनकी पार्टी दुनिया में सबसे बड़ी है जिसे अमित शाह ने बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाते हुए तोड़ दिया।'

 - Satya Hindi

‘विदेशी मामलों में हस्तक्षेप’

यह विवाद की वजह इसलिए है कि किसी देश का राजनीतिक दल उस देश की सीमा के अंदर ही किसी राज्य में सरकार बनाने का दावा कर सकता है, लेकिन देश से बाहर नहीं। यह मुमकीन नहीं है। यही कारण है कि तब देश के अंदर राजनीतिक पार्टियों ने बीजेपी को निशाना बनाया था। कांग्रेस और वामपंथी दलों ने बिप्लब देब और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से इस पर सफ़ाई माँगी थी। 

बता दें कि तब इस मामले में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया आई थी। श्रीलंका के चुनाव आयोग के अध्यक्ष निमल पंचेहेवा ने भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की इकाई स्थापित करने की योजना बनाने की रिपोर्टों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि देश का चुनावी क़ानून ऐसी व्यवस्था की अनुमति नहीं देता है।

पंचेहेवा ने संवाददाताओं से कहा था, 'किसी भी श्रीलंकाई राजनीतिक दल या समूह को किसी भी पार्टी या समूह के साथ बाहरी संबंध रखने की अनुमति है। लेकिन हमारे चुनावी क़ानून विदेशी राजनीतिक दलों को यहाँ काम करने की अनुमति नहीं देते हैं।'

तब नेपाल ने बीजेपी नेता बिप्लब देब के उन दावों पर औपचारिक तौर पर कड़ा एतराज़ जताया था। तब नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार गवली ने इसकी पुष्टि की थी कि इस मामले में नेपाल सरकार ने औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें