कानपुर: गजब योगी जी, बीजेपी नेताओं ने पुलिस के चंगुल से हिस्ट्रीशीटर को छुड़ाया
उत्तर प्रदेश के बड़े शहर कानपुर में बीजेपी नेताओं ने दिन-दहाड़े पुलिस से धक्का-मुक्की कर एक हिस्ट्रीशीटर को भगा दिया। घटना के वायरल वीडियो को देखने के बाद पता चलता है कि इस प्रदेश में क़ानून व्यवस्था का क्या हाल है और यह भी कि यहां अपराधियों और राजनेताओं का कितना जबरदस्त गठजोड़ है। फजीहत होने के बाद पुलिस ने नौ नामजद सहित 19 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया है।
क्या हुआ था?
हुआ यूं कि कानपुर में हमीरपुर रोड पर स्थित आकर्षण गेस्ट हाउस के बाहर बुधवार को बीजेपी के जिला मंत्री नारायण सिंह भदौरिया के जन्मदिन की पार्टी रखी गई थी। कोरोना लॉकडाउन के बीच चल रही इस पार्टी में कई बीजेपी नेता तो जुटे ही, 25 हज़ार का इनामी हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह भी पहुंच गया।
किसी ने पुलिस को मनोज सिंह के यहां होने की सूचना दे दी तो पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर की गिरफ़्तारी के लिए धावा बोल दिया और गेस्ट हाउस को घेर लिया।
इसके बाद शुरू हुआ बीजेपी के जिला मंत्री भदौरिया और अन्य बीजेपी नेताओं का बवाल। पुलिस जैसे ही मनोज सिंह को जीप में बैठा पाती, बीजेपी नेताओं ने पुलिस से धक्का-मुक्की व गाली-गलौज शुरू कर दी और जीप के आगे बैठकर नारेबाज़ी करने लगे। इसी धक्का-मुक्की के बीच कुछ बीजेपी नेताओं ने मनोज सिंह को जीप से उतारकर भगा दिया।
कौन है मनोज सिंह?
मनोज सिंह के ख़िलाफ़ बर्रा, नौबस्ता, बिठूर व जूही थानों में हत्या का प्रयास, रगंदारी, धमकी के 27 मुक़दमे दर्ज हैं। वह बर्रा थाने से वांछित है और पुलिस अब तक उसे गिरफ़्तार नहीं कर पाई है।
इस मामले में उस्मानपुर चौकी के प्रभारी सुभाष चंद्र की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कानपुर के स्थानीय लोगों के मुताबिक़, पुलिस और अपराधियों के बीच के गठजोड़ का भी इस घटना से पता चलता है, वरना ऐसा नहीं होता कि इतने भारी पुलिस बल के बीच एक हिस्ट्रीशीटर जीप में बैठने के बाद भाग जाता।
पार्टी ने भदौरिया को हटाया
बुरी तरह किरकिरी होने के बाद बीजेपी ने भदौरिया को जिला मंत्री के पद से हटा दिया है और तीन सदस्यों की कमेटी बनाई है जो इस मामले में पूरी जानकारी देगी। भदौरिया के ख़िलाफ़ भी कुछ थानों में मुक़दमे दर्ज हैं। वह और मनोज सिंह अभी तक फरार है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
इन लोगों पर दर्ज हुआ मुक़दमा
इस मामले में दारोगा सुभाष चंद्र की ओर से हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह, गेस्ट हाउस संचालक रॉबिन सक्सेना, धीरू शर्मा, बाबा ठाकुर, गोपाल शरण सिंह चौहान, विकास तिवारी, आदित्य दीक्षित, राजबल्लभ पांडेय सहित 10 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ बलवा, सरकारी काम में बाधा डालने, पुलिस से अभद्रता करने व कुछ अन्य आरोपों के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है।सोशल मीडिया पर घिरी बीजेपी
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश के कई लोगों ने कहा है कि पुलिस की गिरफ़्त से बीजेपी नेता को कोई भी छुड़ा ले जाएगा लेकिन यहां पूछने वाला कोई नहीं है। लोगों ने पुलिस अफ़सरों को ट्विटर पर टैग करके पूछा है कि क्या अपराधी इतने बेलगाम हो चुके हैं कि पुलिस भी उनके आगे लाचार हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी हाईकमान ने दो दिन पहले ही हालात की समीक्षा की है और कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ के कामकाज की समीक्षा के बाद उन्हें अभयदान दे दिया गया है। लेकिन कानपुर की इस घटना से साफ पता चलता है कि यहां बीजेपी नेताओं, पुलिस और अपराधियों के बीच जबरदस्त गठजोड़ है।
ऐसा गठजोड़ कानपुर के बिकरू कांड में भी सामने आया था, जब कुख्यात बदमाश विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस के ही कुछ कर्मचारियों ने मुखबिरी कर दी थी और दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी।
‘बीजेपी नेताओं का गुंडाराज’
एसपी ने कहा है कि इस घटना से पता चलता है कि प्रदेश में बीजेपी के नेताओं का गुंडाराज, जंगलराज चल रहा है। एसपी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा है कि यहां क़ानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं है और प्रदेश में माफ़ियाओं का राज चल रहा है।