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2024: बीजेपी के लिए चुनौती बनेगा महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा?

2024: बीजेपी के लिए चुनौती बनेगा महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा?

बीजेपी 2024 चुनाव की तैयारियों में तो जुट गई है लेकिन वह यह भी जानती है कि युवाओं और महिलाओं की नाराजगी उसे चुनाव में भारी पड़ सकती है। 

लोकसभा चुनाव 2024 में हालांकि अभी डेढ़ साल का वक्त है लेकिन बीजेपी ने बड़े पैमाने पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। संगठन के तमाम आला नेता और सरकार के बड़े मंत्री लोगों के बीच जा रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जो चुनौतियां पार्टी के सामने हैं, उन्हें ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी राज्यों के अलावा भी तमाम राज्यों में बीजेपी के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे जबकि गृह मंत्री अमित शाह भारत के सीमावर्ती राज्यों में जाकर राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करेंगे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा देश भर के तमाम राज्यों में कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचेंगे। 

बिहार में अगस्त महीने में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद बीजेपी इस बात को जानती है कि उसे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी ताकत के साथ जुटना ही होगा।

144 लोकसभा क्षेत्र

यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि बीजेपी ने देश भर में 144 लोकसभा क्षेत्रों की पहचान की है। ये वे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां उसे साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हार मिली थी और मोदी सरकार के मंत्रियों को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। 

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पिछले महीने हुई एक अहम बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी के नेताओं और कई केंद्रीय मंत्रियों को इन सीटों को जीतने का लक्ष्य दिया था। इसके बाद तमाम मंत्रियों को इन सीटों पर प्रवास के लिए भेजा गया था। इन 144 में से उत्तर प्रदेश में 14 लोकसभा सीटें हैं और इन सीटों पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी सहित कई नेता लगातार दौड़-भाग कर रहे हैं। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जिन केंद्रीय मंत्रियों को देशभर में 144 लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई थी और वहां उनसे प्रवास करने के लिए कहा गया था, उन्होंने इसका पहला राउंड पूरा कर लिया है। अगले राउंड में इन मंत्रियों के साथ इन राज्यों में पार्टी के द्वारा बनाए गए प्रभारी महासचिव भी मौजूद रहेंगे। 

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दत्तात्रेय होसबाले का बयान 

अखबार के मुताबिक, पार्टी के सूत्रों ने कहा कि युवाओं के बीच बेरोजगारी और महिलाओं के बीच बढ़ती कीमतें एक बड़ा मुद्दा है और इस वजह से उनका पार्टी से मोहभंग हो रहा है। याद दिलाना होगा कि हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने गरीबी, बेरोजगारी और असमानता के मुद्दे को उठाया है। संघ के महासचिव ने कहा है कि देश में गरीबी दानव की तरह हमारे सामने खड़ी है और यह जरूरी है कि हम इस दानव का वध कर दें। 

आरएसएस के ही संगठन स्वदेशी जागरण मंच के कार्यक्रम में होसबाले ने कहा कि अभी भी 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं और यह बेहद परेशान करने वाली बात है। उन्होंने यह भी कहा था कि 23 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी हर दिन की आय 375 रुपए से कम है और देश में चार करोड़ लोग बेरोजगार हैं। 

निश्चित रूप से आरएसएस के महासचिव का यह बयान बेहद अहम है और बीजेपी संगठन के तमाम बड़े नेताओं और मोदी सरकार के मंत्रियों के पास भी यह बयान जरूर पहुंचा होगा।

कुछ दिन पहले यह भी खबर आई थी कि बीजेपी ने देशभर में 1,12,058 ऐसे बूथों की पहचान की है, जहां पर उसका संगठन कमजोर है और वह यहां अपना वोट फीसद बढ़ाना चाहती है। इन सभी बूथों पर पार्टी संगठन की मजबूती के लिए लगातार काम चल रहा है। 

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विपक्षी दलों की एकजुटता 

बीजेपी जानती है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। नीतीश कुमार हाल ही में राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए हाल ही में हरियाणा के फतेहाबाद में रैली भी हो चुकी है। 

भारत जोड़ो यात्रा

बीजेपी इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा को लेकर भी सतर्क है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीजेपी के कुछ नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान केरल में जिस तरह की भीड़ राहुल गांधी के साथ दिखाई दी है, वह निश्चित रूप से चौंकाने वाली है और कर्नाटक में भी इस यात्रा को अच्छा समर्थन मिल रहा है। राहुल गांधी बेरोजगारी, महंगाई के साथ ही महिला अपराध, किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को जमकर घेरते रहे हैं। बीते साल हुए किसान आंदोलन के दौरान भी कांग्रेस काफी सक्रिय रही थी और मोदी सरकार को बैकफुट पर आते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था। 

भारत जोड़ो यात्रा अभी 4 महीने और चलेगी और देखना होगा कि तब तक इस यात्रा के जरिए राहुल कितने बड़े स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच पाते हैं। 

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संगठन की मजबूती पर जोर

बीजेपी के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने प्रवास योजना को लेकर हुई केंद्रीय मंत्रियों की बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता में लोकप्रिय हैं लेकिन अगर संगठन को चुस्त-दुरुस्त नहीं किया गया तो पार्टी के लिए अपने पिछले चुनावी प्रदर्शन को दोहराना लगभग असंभव हो जाएगा। शाह ने बैठक में कहा कि बिना मजबूत संगठन के बीजेपी अपनी सफलता को नहीं दोहरा सकती। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर 302 सीटों पर जीत मिली थी। 

अखबार के मुताबिक, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा जब पिछले हफ्ते पार्टी के तमाम पदाधिकारियों से मिले तो उन्होंने सभी से कहा कि लोगों को सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए और सभी नेता इसके लिए पार्टी संगठन का इस्तेमाल करें। 

अहम है 2023 का साल 

बताना होगा कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2023 बेहद अहम है। साल 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कर्नाटक, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना शामिल हैं। इससे पहले गुजरात, हिमाचल प्रदेश के अलावा दिल्ली में भी एमसीडी के चुनाव होने हैं। 

बेरोजगारी का मुद्दा

निश्चित रूप से बीजेपी इस बात को जानती है कि युवाओं और महिलाओं की नाराजगी चुनाव में भारी पड़ सकती है और ऐसे में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने के साथ ही बेरोजगारी को एक बड़ा मुद्दा बनने से रोकना होगा। बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि मोदी शासन में बेरोजगारी चरम पर है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस साल जून में कहा था कि अगले डेढ़ साल में सरकार 10 लाख नौकरियां देगी। 

2024 के लोकसभा चुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आएगा विपक्ष के साथ ही बीजेपी भी अपनी तैयारियों को तेज करेगी। जनता से जुड़े तमाम मुद्दों पर सरकार फोकस करेगी तो विपक्ष जनता की समस्याओं को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करेगा। ऐसे में 2024 का चुनावी मुकाबला निश्चित रूप से बेहद जोरदार होने की पूरी उम्मीद है और अगर विपक्षी दलों का एक फ्रंट बना तो इससे बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। 

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