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भाजपा को नजरन्दाज कर चंद्रबाबू नायडू के बेटे ने मुस्लिम कोटे का समर्थन किया

भाजपा को नजरन्दाज कर चंद्रबाबू नायडू के बेटे ने मुस्लिम कोटे का समर्थन किया

चंद्रबाबू के बेटे नारा लोकेश ने मुस्लिम कोटे का समर्थन करते हुए कहा है कि यह हमारी पार्टी टीडीपी का चुनावी वादा है और इसे लागू किया जाएगा। दरअसल, आंध्र प्रदेश में टीडीपी ने मुस्लिम मतदाताओं से कई वादे किए हैं और तभी से भारी तादाद में मुस्लिम वोट मिले, जबकि केंद्र में सत्ता में आने जा रही भाजपा मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ खुलकर है। मोदी ने चुनाव के दौरान इस मामले में विपक्ष पर हमला भी किया था। कांग्रेस ने अब चुप्पी साध ली है और चंद्रबाबू नायडू से कुछ भी नहीं कर पा रही है। जानिए पूरी बातः 

टीडीपी महासचिव और पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश ने कहा है कि उनकी पार्टी ओबीसी सूची के तहत मुस्लिम समुदाय को दिए गए 4% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। टीडीपी की एनडीए सहयोगी भाजपा ने धार्मिक आधार पर आरक्षण देने को लेकर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सरकारों पर हमला बोला था। मोदी ने कहा था कि वे इस आरक्षण को खत्म कर देंगे। लेकिन टीडीपी ने अब अपना स्टैंड इस मुद्दे पर साफ कर दिया है।

नारा लोकेश ने कहा कि अगर समाज का विशेष वर्ग गरीबी में रहता है तो कोई राष्ट्र या राज्य प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों को अवसर देना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आरक्षण देने का फैसला किसी को खुश करने के लिए नहीं लिया गया है। यह उनका हक है।

एक सवाल के जवाब में नारा लोकेश ने कहा कि टीडीपी अपने समर्थन का लाभ उठाते हुए अपनी मांगों पर जोर देगी। उन्होंने कहा कि अग्निवीर, समान नागरिक संहिता, आरक्षण, बजट का आवंटन, विकास जैसी 100 चीजें हैं, जिन पर एक मेज पर बातचीत की जा सकती है।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में टीडीपी के शानदार प्रदर्शन ने एन चंद्रबाबू नायडू को किंगमेकर की स्थिति में ला खड़ा किया है। 16 सीटों के साथ, नायडू का नरेंद्र मोदी को समर्थन भाजपा के लिए बेहद जरूरी है। यही वजह से की टीडीपी धीरे-धीरे अपनी स्थिति साफ कर रही है। चंद्रबाबू नायडू के बेटे का टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में मुस्लिम आरक्षण को स्पष्ट करना इसी सिलसिले की कड़ी है। नारा लोकेश के शब्द हैं-  ''मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसले को लेकर पार्टी की नीति बहुत स्पष्ट है। किसी को खुश करने या राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह आरक्षण नहीं है।''

केंद्र में बनने जा रही मोदी की सरकार दो पार्टियों की बैसाखी पर है। इसमें जेडीयू और टीडीपी प्रमुख हैं। भाजपा इस बार सिर्फ 240 लोकसभा सीटें जीत सकी। जो बहुमत के आंकड़े 272 से 32 कम है। 2014 के बाद पहली बार, भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए अपने सहयोगियों मुख्य रूप से टीडीपी और जेडीयू पर निर्भर रहना होगा।

तमाम एग्जिट पोल झूठे साबित हुए। उनमें से कई ने अकेले भाजपा की 401 सीटें जीतने का अनुमान लगाया था। एग्जिट पोल ने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को चुनावी खेल से बाहर कर दिया। लेकिन सभी सर्वेक्षणकर्ता कंपनियां रुआंसी हो गईं जब इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतीं। एक्सिस माय इंडिया और इंडिया टुडे का सर्वे करने वाली कंपनी के सीईओ इंडिया टुडे की लाइव कवरेज के दौरान अपने एग्डिट पोल के गलत साबित होने पर रोने लगे। महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से किसी भी सर्वे एजेंसी ने अभी तक देश के मतदाताओं से फर्जी आकलन के लिए माफी नहीं मांगी है। कथित रणनीतिकर प्रशांत किशोर भी अपने आंकड़ों पर गौर करने को तैयार नहीं है। 

बहरहाल, टीडीपी और जेडीयू के समर्थन के बावजूद केंद्र में एनडीए की सरकार एक ठोस सरकार नहीं कही जा सकती, क्योंकि वो अपने दम पर सत्ता में नहीं है। इस बीच ये खबरें भी सामने आईं कि इंडिया गठबंधन टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू को प्रस्ताव भेज सकता है। उम्मीद की रही है कि आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और अपनी पार्टी के मुख्य एजेंडे के लिए सौदेबाजी करेंगे, जिसमें राज्य को विशेष दर्जा, अग्निवीर योजना और अन्य मुद्दे शामिल हैं। टीडीपी ने राज्य के विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल की, जो आम चुनावों के साथ ही हुए थे। आंध्र में अब चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

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