विजयवर्गीय की दबंगई, बोले - संघ के पदाधिकारी शहर में ना होते तो आग लगा देता
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शुक्रवार को गृह नगर इंदौर में दबंग अंदाज में नज़र आये। इंदौर के कमिश्नर के ना मिलने से बेहद नाराज़ विजयवर्गीय ने प्रशासन के छोटे अफ़सरों को खुले आम ना केवल खरी-खोटी सुनाई, बल्कि यहां तक कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारियों का शहर में जमघट ना होता तो मैं आज इंदौर में आग लगा देता।’ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत 400 पदाधिकारी इन दिनों इंदौर में हैं।
विजयवर्गीय और उनके समर्थक इंदौर के कमिश्नर आकाश त्रिपाठी से मिलना चाहते थे। मुलाक़ात के लिए बाक़ायदा वक़्त मांगा गया था। त्रिपाठी जब नहीं मिले तो विजयवर्गीय और समर्थक कमिश्नर के घर के बाहर धरने पर बैठ गये और जमकर नारेबाज़ी की। जूनियर अफ़सर जब मौक़े पर पहुंचे तो विजयवर्गीय अपना आपा खो बैठे। उन्होंने पत्र दिखाते हुए कहा, ‘हमने मिलने के लिए समय मांगा था। अधिकारी बाहर गये हैं तो सूचना दी जानी चाहिए थी। सरकारें आती-जाती रहती हैं। अफ़सरों को निष्पक्ष रहना चाहिए।’
माफ़िया से जुड़े लोग विजयवर्गीय के साथ!
कमलनाथ सरकार ने माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ प्रदेश भर में मुहिम शुरू की है। इंदौर में भी चुन-चुनकर माफ़ियाओं की कमर तोड़ी जा रही है। अवैध कारोबार के साथ अतिक्रमण विरोधी मुहिम पूरे शबाब पर है। दो दर्जन से ज्यादा पुराने माफियाओं के ख़िलाफ़ पुलिस और प्रशासन ने सख़्त एक्शन लिये हैं। माना जा रहा है कि विजयवर्गीय इससे नाराज़ हैं। आरोप है कि माफ़ियाओं से जुड़े अधिकांश लोगों को विजयवर्गीय का समर्थन मिलता रहा है।
जीतू का किया था बचाव
प्रशासन ने इंदौर में बार चलाने वाले माफ़िया जीतू सोनी के ख़िलाफ़ एक्शन लिया था तब भी विजयवर्गीय उसके बचाव के लिए आगे आये थे। सोनी अख़बार भी निकालता था। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड में कथित तौर पर लिप्त कुछ अफ़सरों से जुड़ी ख़बरें अख़बार ने छापी थीं। विजयवर्गीय का आरोप था कि सोनी को सच उजागर करने की सजा दी जा रही है।
सोनी के ख़िलाफ़ इंदौर पुलिस ने पिछले 15 दिनों में मानव तस्करी, रेप, धमकाने, जान से मारने के प्रयास समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं में 60 के लगभग मुक़दमे दर्ज किये हैं। सोनी के होटल और घरों के अतिक्रमण हटाये गये हैं और उसके बेटे को जेल में डाल दिया गया है। जीतू अभी फरार है। पुलिस ने उस 1 लाख रुपये का ईनाम रखा है।
जिला प्रशासन और पुलिस ने जिन दर्जन भर माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ सख्त एक्शन लिए हैं, उनमें कई विजयवर्गीय के बेहद क़रीबियों में शुमार किये जाते हैं।
विजयवर्गीय ने शुक्रवार को इंदौर में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस भी की। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी विजयवर्गीय अपने ‘पुराने रूप’ में नज़र आये। उन्होंने दो टूक कहा, ‘नगर निगम प्रशासन नियम विरूद्ध काम कर रहा है। बीजेपी के लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। बिना नोटिस दिये एक्शन हो रहा है।’ विजयवर्गीय ने यह भी कहा, ‘मैंने 167 कांग्रेसियों की नामजद लिस्ट दी। उनके अतिक्रमण तथा ग़ैर-क़ानूनी धंधों की जानकारी प्रशासन को दी। एक के ख़िलाफ़ भी एक्शन नहीं हुआ।’
20 सालों में फले-फूले माफ़िया
कैलाश विजयवर्गीय ने 1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से नेतागिरी शुरू की थी। इंदौर निगम में वह कार्पोरेटर रहे। 1990 में वह पहली बार विधानसभा पहुंचे और 2000 में इंदौर नगर निगम के महापौर चुने गये। 2003 में बीजेपी की सत्ता आई और 2018 तक रही। मंत्री रहते हुए विजयवर्गीय ने अपने समर्थकों की भरपूर ‘मदद’ की। उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में विजयवर्गीय मंत्री रहे। कहा जाता है कि आवश्यकता पड़ने पर दलगत राजनीति को दरकिनार कर वह मदद करने से परहेज नहीं करते।
दिलचस्प बात यह है कि माफ़िया के ख़िलाफ़ कमलनाथ सरकार जो मुहिम चला रही है उसका शिकार काफी तादाद में कांग्रेसी भी हैं। कुछ वे कांग्रेसी हैं जो ‘भाई’ (कैलाश विजयवर्गीय) की ‘मदद’ से अपने आपको ‘स्थापित’ करने में सफल रहे। बॉबी छाबड़ा और उसके भाई का नाम भी ऐसे ही नामों में शामिल है।
कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मैंने संकल्प लिया है कि कमर के नीचे की राजनीति नहीं करूंगा। लग रहा है मुझे अपना संकल्प तोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ज़रूरत पड़ने पर ऐसा किया जाएगा।’ यहां उल्लेखनीय है कि हनी ट्रैप मामले का ‘सच उजागर’ करने की वह पैरवी करते रहे हैं। जीतू सोनी के वकील ने हनी ट्रैप मामले में अफ़सरों-नेताओं से जुड़ी वीडियो रिकार्डिंग कोर्ट में पेश की हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वीडियो रिकार्डिंग की प्रति बीजेपी के नेताओं को भी पहुंचाई गई हैं। विजयवर्गीय का इशारा उन्हीं वीडियो रिकार्डिंग को सार्वजनिक किए जाने की ओर है।
पुश्तैनी घर पर भी होगी कार्रवाई!
उच्च पदस्थ सूत्र बता रहे हैं कि कैलाश विजयवर्गीय की नाराज़गी की एक बड़ी वजह उनके पुश्तैनी घर को अतिक्रमण की जद में लिए जाने की सुगबुगाहट भी है। बताया जा रहा है कि आरएसएस से जुड़े एक कार्यकर्ता ने इंदौर स्थित विजयवर्गीय के घर को अतिक्रमण बताते हुए नगर निगम में शिकायत की है और इस पर नगर निगम संज्ञान लेने वाला है। शिकायत में घर से लगी किराने की उस दुकान को भी अवैध बताया गया है जिसमें एक वक्त कैलाश विजयवर्गीय की माताजी बैठा करती थीं।
कैलाश विजयवर्गीय के विधायक पुत्र आकाश विजयवर्गीय पिछले साल तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान क्रिकेट बैट से निगम के एक अफ़सर की सरेआम पिटाई की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधायक के बर्ताव की निंदा की थी।
कांग्रेसियों ने बोला हमला
इंदौर को ‘आग के हवाले’ करने संबंधी चेतावनी पर कांग्रेसियों ने कैलाश विजयवर्गीय को जमकर ट्रोल किया। नाथ सरकार में लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘बेटा बल्ला घुमाता है और पिताजी शहर को आग के हवाले कर देने की धमकी देते हैं। बीजेपी का यही चरित्र है।’ अन्य कांग्रेसियों ने भी विजयवर्गीय के बयान की तीख़ी निंदा की है। चर्चा है कि इंदौर पुलिस इस बयान को लेकर विजयवर्गीय के ख़िलाफ़ एफ़आईआर करने की तैयारी में हैं। इंदौर कमिश्नर ने मीडिया से कहा कि मुलाक़ात वाला पत्र उन्हें नहीं मिला था। कमिश्नर ने कहा कि वह तीन दिनों से इंदौर से बाहर थे और शहर में होने पर हर व्यक्ति से मिलते हैं।