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सिख, धार्मिक स्वतंत्रता वाले राहुल के बयान पर क्यों टूट पड़े विरोधी?

सिख, धार्मिक स्वतंत्रता वाले राहुल के बयान पर क्यों टूट पड़े विरोधी?

राहुल ने कहा, 'लड़ाई इस बात पर है कि क्या भारत में एक सिख को पगड़ी पहनने या गुरुद्वारे में जाने की अनुमति होगी। यह सिर्फ़ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है।' इस बयान पर राहुल को क्यों घेरा जा रहा है?

वैसे तो विदेशों में दिये गये राहुल गांधी के किसी भी बयान में बीजेपी अपने लिए हमला करने का मौक़ा ढूंढ लेती है, लेकिन उनके एक ताज़ा बयान के एक हिस्से को उसने ऐसा लपका है कि बीजेपी का हर नेता से लेकर मंत्री तक राहुल पर हमलावर है।

दरअसल, राहुल ने अमेरिकी दौरे पर एक विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में धार्मिक स्वतंत्रता का ज़िक्र करते हुए कहा, 'मुद्दा यह है कि क्या भारत में एक सिख को पगड़ी पहनने या गुरुद्वारे में जाने की अनुमति होगी। यह सिर्फ़ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है।' इसी बयान के पहले हिस्से को लेकर बीजेपी नेताओं ने राहुल पर तीखा हमला बोला। वे पूछ रहे हैं कि बताओ सिख कहाँ पगड़ी और कड़ा पहनकर गुरुद्वारा नहीं जा पा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री तो कह रहे हैं कि 'सिखों को अस्तित्व का ख़तरा केवल तभी महसूस हुआ जब राहुल गांधी का परिवार सत्ता में था।'

विरोधी दलों के नेताओं ने ये टिप्पणियाँ आधे-अधूरे संदर्भ में किए। राहुल गांधी ने सिखों की पगड़ी वाली बात धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में कही और इसीलिए उन्होंने अगला ही बाक्य बोला, 'यह सिर्फ़ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है।' सिखों को अभी ऐसी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा मगर मुसलमानों और ईसाईयों को तो करना पड़ रहा है। वे पिछले दस साल से उत्पीड़न झेल रहे हैं। 

लेकिन राहुल के इस बयान के एक हिस्से को लेकर बीजेपी नेताओं ने उनपर हमला कर दिया। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने उन पर सिख समुदाय के प्रति घृणास्पद शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा, 'उन्होंने कहा कि भारत में सिख अपनी पहचान और अपने धर्म का पालन करने के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। राहुल, आपकी गंदी राजनीति देश को डुबो रही है। आप इतने नीचे गिर गए हैं कि आप आरोप लगाते हैं कि भारत में सिख पगड़ी और कड़ा नहीं पहन सकते... आप कहते हैं कि भारत में सिख और गुरुद्वारे सुरक्षित नहीं हैं।'

हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया है, 'विदेशी धरा पर राहुल जी का सिर्फ़ लुक बदलता है, आउटलुक वही रहता है। हर यात्रा पर भारत का अपमान करना। आज पूरे भारत में सिख शान से पगड़ी और कड़ा पहन कर घूम रहा है लेकिन राहुल जी विदेश में झूठ फैला रहे हैं, सिख एनआरआई के मन में जहर बो रहे हैं, भारत को बदनाम कर रहे हैं। दरअसल वो 'केरोसिन मैन' बनकर देश में आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल जी, सिखों के पगड़ी व कड़ा पहनने, केश रखने पर एक ही बार लड़ाई हुई है... 1984 में, जब कांग्रेस नेताओं की शह पर दंगाइयों ने पगड़ी, केश व कड़ा पहने सिखों के गले में टायर डालकर उन्हें जिन्दा जला दिया था।'

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'राहुल गांधी का अमेरिका जाने का मक़सद भारत को बदनाम करना है। विदेश में भारत के खिलाफ बोलने वाले व्यक्ति के बारे में टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है।'

जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा, 'राहुल गांधी में कोई देशभक्ति नहीं है, वह विदेश जाते हैं और केंद्र सरकार की आलोचना करते हैं... वह अभी सीख रहे हैं और उनमें परिपक्वता की कमी है। वह देश का नेतृत्व करने का सपना देख रहे हैं जो कभी पूरा नहीं होगा।'

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा, 'दिल्ली में 3000 सिखों का नरसंहार किया गया, उनकी पगड़ियां उतार दी गईं, उनके बाल काट दिए गए और दाढ़ी मुंडवा दी गई। वह यह नहीं कहते कि यह तब हुआ जब वे सत्ता में थे। मैं राहुल गांधी को चुनौती देता हूं कि वह सिखों के बारे में जो कह रहे हैं उसे भारत में दोहराएं... मैं उनके खिलाफ मामला दर्ज कराऊँगा।'

शिरोमणि अकाली दल के महासचिव परमबंस सिंह रोमाना ने एएनआई से कहा, 'एसएडी बार-बार कहता रहा है कि मौजूदा सरकार में धार्मिक असहिष्णुता कई गुना बढ़ गई है, अल्पसंख्यकों को दबाया जा रहा है। भाजपा सरकार और आरएसएस सिख समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं...। ये सब कुछ होने के बावजूद राहुल गांधी को इस मुद्दे पर बोलने वाले आखिरी व्यक्ति होना चाहिए। उनकी पार्टी और परिवार ने सिख समुदाय के साथ जो किया है, उसके बाद उन्हें इस पर बोलने का क्या नैतिक अधिकार है... उन्हें अपनी दादी इंदिरा गांधी के आदेश पर 1984 में हरमंदिर साहिब में जो हुआ, उसके बारे में बात करनी चाहिए। उन्हें अपने पिता राजीव गांधी के आदेश पर हुए सबसे बड़े सिख नरसंहार के बारे में बात करनी चाहिए... राहुल गांधी ने सिख नरसंहार के दो मुख्य आरोपियों जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को उच्च पद की पेशकश भी की थी...।'

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