+
नागरिकता क़ानून: बीजेपी के नंबर का सोशल मीडिया पर बन गया तमाशा

नागरिकता क़ानून: बीजेपी के नंबर का सोशल मीडिया पर बन गया तमाशा

नंबर 8866288662 को जारी करते ही बीजेपी की ख़ासी किरकिरी भी हो रही है और लोग मजाक भी उड़ा रहे हैं। 

 - Satya Hindi

 - Satya Hindi

ट्वीट चोर नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया कि इस नंबर पर कॉल करो, क्विज़ खेलो और 10 लाख तक का इनाम जीतो। 

 - Satya Hindi

कई ट्विटर यूजर ने तो हद कर दी जब उन्होंने कहा कि इस नंबर पर मिस्ड कॉल देकर नेटफ़्लिक्स की ओर से 6 महीने का सबक्रिप्शन मुफ़्त मिल सकता है। उन्होंने यह भी लिखा कि इस नंबर पर कॉल करके उन्हें यूज़रनेम और पासवर्ड मिल जाएगा। यह प्रमोशनल ऑफ़र है और पहले 1000 कॉलर्स के लिए फ़्री है। 

नेटफ़्लिक्स की ओर से 6 महीने का सबक्रिप्शन मुफ़्त मिलने के ट्वीट को कई लोगों ने कॉपी-पेस्ट कर लिया और धड़ाधड़ ट्वीट कर दिया। इससे थोड़ी ही देर में ऐसे ट्वीट की बाढ़ आ गई और नेटफ़्लिक्स को ख़ुद ही आकर कहना पड़ा कि यह पूरी तरह झूठ है और ऐसा कुछ भी नहीं है। 

 - Satya Hindi

कई लोगों ने नौकरी के लिए संपर्क करने के लिए इस नंबर को दे दिया तो कुछ लोगों ने कहा कि मोदी जी 15 लाख बाँट रहे हैं, उन्हें मिल गए हैं, अगर आपको चाहिए तो आप इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। लेखक और निर्देशक अविनाश दास ने कुछ ऐसे ही ट्वीट के स्क्रीनशॉट को पोस्ट किया है। 

 - Satya Hindi

इस तरह मिलेगा समर्थन

ऐसे मुद्दे पर जिसे लेकर देश के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर हों, आंदोलित हों, पुलिस कार्रवाई का सामना कर रहे हों और जोर-जोर से बोलकर बता रहे हों कि वे इस क़ानून के पूरी तरह ख़िलाफ़ हैं, ऐसे में एक नंबर पर मिस्ड कॉल से इस क़ानून के लिए समर्थन जुटाने को कोरी कवायद ही माना जाएगा। क्योंकि ट्विटर पर जिस तरह से इस नंबर के लिए समर्थन जुटाया जा रहा है, वह तो कहीं से भी नहीं बताता कि कोई इसके समर्थन में है। क्योंकि समर्थन करने वाले इस तरह के झूठे ऑफ़र और बातों से ट्वीट कभी नहीं करते। इसलिए कुछ लोगों ने इसके विरोध में एक नंबर जारी किया और कहा कि इस क़ानून का विरोध करने वाले लोग इस नंबर पर मिस्ड कॉल दें। 

बीजेपी अगर उसकी ओर से जारी किए गए इस नंबर पर आई हुई मिस्ड कॉल को यह कहकर प्रचारित करेगी कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने इस क़ानून का समर्थन किया है तो थोड़ी सी भी अकल-बुद्धि रखने वाला व्यक्ति इसे क़तई स्वीकार नहीं करेगा।

कुल मिलाकर बात यहां तक पहुंच चुकी है कि इस क़ानून के समर्थन में भी लोग हैं, यह दिखाने के लिए इस तरह के हथकंडों का सहारा लेना पड़ रहा है और यह निश्चित रूप से दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में के लिए अच्छा संकेत नहीं है। ऐसे में देश की संसद से पास और राष्ट्रपति के द्वारा हस्ताक्षर किये गए क़ानून की क्या संवैधानिक मान्यता रह जाएगी क्योंकि जब इस तरीक़े से समर्थन जुटाना और दिखाना पड़ेगा तो यह साफ़ समझ आएगा कि क़ानून का समर्थन कम है और विरोध ज़्यादा। और लोग यही कहेंगे कि विरोध को कम दिखाने के लिए ऐसे सस्ते तरीक़ों से समर्थन जुटाया जा रहा है। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें