BJP से जुड़े फ़ेसबुक पेज विपक्ष के ख़िलाफ़ विज्ञापन पर खर्चे करोड़ों!
(यह ऑल्ट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव स्टोरी है। इसे साभार लिया गया है)
पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया पर राजनीतिक प्रॉपगेंडा दुनिया भर में चुनावी राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। हालांकि, नियमित राजनीतिक प्रॉपगेंडा के अलावा, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, आदि पर राजनीतिक प्रॉपगेंडा के लिए विज्ञापन एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपकरण रहा है। इसका कारण ये है कि एक रेगुलर सोशल मीडिया पोस्ट करने वाला ये नियंत्रित नहीं कर सकता है कि कौन उस पोस्ट को देखता है। लेकिन विशेष रूप से फ़ेसबुक जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर विज्ञापन देते वक्त विज्ञापनदाता टारगेट ऑडियंस का चयन क्षेत्र, आयु, लिंग, आदि के आधार पर कर सकते हैं। और इस तरह से टारगेटिंग ऑडियंस अतीत में चुनावी रूप से बहुत सफल साबित हुआ है। जब इसका दुरुपयोग किया गया तो इसके परिणामस्वरूप कैंब्रिज एनालिटिका जैसे मुद्दे सामने आए।
इस स्टोरी में हम फ़ेसबुक पेजों के एक ऐसे नेटवर्क की जांच करेंगे जो एक प्लेटफ़ॉर्म के रूप में फ़ेसबुक का दुरुपयोग कर रहे हैं और सत्ताधारी पार्टी भाजपा के पक्ष में और गैर-भाजपा पार्टियों के खिलाफ़ पॉलिटिकल प्रॉपगेंडा कर रहे हैं। और ये भी समझेंगे कि फेसबुक विज्ञापन नीति वास्तव में भाजपा को मुखौटा वेबसाइटों के माध्यम से विज्ञापन देकर फेसबुक पर करोड़ों रुपये खर्च करने की अनुमति दे रही है।
ऑल्ट न्यूज़ को एक इंटेल मिला, हमें बताया गया कि कुछ वेबसाइटस् दिखने में एक जैसी हैं और इनकी प्राइवेसी पॉलिसी पेज और डिसक्लेमर पेज में लिखे गए डोमेन नाम (वेबसाइट के रूप में संदर्भित) को छोड़कर सारा कॉन्टेन्ट शब्दसः एक जैसा है। ये वेबसाइटस् एक ही IP Address पर होस्ट की गई हैं। इन वेबसाइटस् से जुड़े फ़ेसबुक पेज पर भारी फॉलोइंग है जिसके जरिए वो भाजपा का प्रॉपगेंडा चला रहे हैं और इन पेजों द्वारा फ़ेसबुक विज्ञापन पर लाखों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। इसके बाद हमने इन वेबसाइटस् और इससे जुड़ी अन्य वेबसाइटस् की जांच शुरू की। इंटेल में मौजूद लिस्ट में मिली एक वेबसाइट ‘phirekbaarmodisarkar(dot)com (फिर एक बार मोदी सरकार डॉट कॉम)’ थी।
हमने इंटेल में मिली जानकारी को वेरीफ़ाई करने के लिए Website IP Lookup टूल की मदद से phirekbaarmodisarkar(dot)com वेबसाइट चेक की तो रिज़ल्ट में हमें इस वेबसाइट का IP Address (13.232.63.153) मिला।
इसके बाद हमने इस IP Address से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए Reverse IP Lookup टूल की मदद से इस IP Address को सर्च किया। हमें phirekbaarmodisarkar.com वेबसाइट की IP Address (13.232.63.153) पर फिलहाल 13 वेबसाइटस् होस्टेड मिलीं। अक्टूबर 2022 में इस IP Address पर 14 वेबसाइट होस्टेड थीं। अक्टूबर से लेकर ये आर्टिकल लिखे जाने के बीच 2 वेबसाइटस् (buababua.com और up2022.com) डाउन हो गई और 1 नई वेबसाइट (bhakbudbak.com) को इसी IP Address पर होस्ट किया गया। इन सभी का इंटरफेस एक जैसा है, हर वेबसाइटस् पर 3 तस्वीर, एक फ़ेसबुक पेज लिंक, और इसके साथ डिसक्लेमर और प्राइवेसी पॉलिसी पेज है।
IP Address 13.232.63.153 की हिस्ट्री जानने के लिए हमने BuiltWith की IP Address Usage History टूल की मदद ली। हमने इस टूल के जरिए इस IP Address (13.232.63.153) को सर्च किया तो पाया कि दिसंबर 2019 से लेकर आर्टिकल लिखे जाने तक इस IP Address पर कुल 23 वेबसाइटस् होस्ट की गई हैं।
इनमें से कई वेबसाइटस् डाउन हैं। हमने Registration data lookup tool टूल की मदद से इन वेबसाइटस् के डोमेन के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की तो पाया कि इन सभी डोमेन के इनफार्मेशन को Domains by Proxy (DBP) की मदद से छिपाया गया है। Domains by Proxy (DBP) एक इंटरनेट कंपनी है जो डोमेन गोपनीयता सेवाएं प्रदान करता है। इसकी मदद से WHOIS डेटाबेस में डोमेन के असली ऑनर की डिटेल्स के बजाय ऑनर का नाम ‘Domain By Proxy’ शो होता है। इस कंपनी को डोमेन ऑनर की व्यक्तिगत जानकारी को गुप्त रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है।
GoDaddy जैसी रजिस्ट्रार वेबसाइटस् पर डोमेन खरीदते समय कुछ ज़्यादा पैसे देकर इस सर्विस का सब्स्क्रिप्शन लिया जा सकता है जिससे WHOIS डाटाबेस से डोमेन ऑनर की व्यक्तिगत जानकारी छिपाई जा सकें। इन वेबसाइटस् का टेम्पलेट और कंटेन्ट पैटर्न बिल्कुल एक जैसा है। इन सभी वेबसाइटस् की तीन तस्वीरों वाला एक होम पेज, डिसक्लेमर और प्राइवेसी पॉलिसी पेज है। इसके अलावा इन सभी वेबसाइटस् पर एक फ़ेसबुक पेज का लिंक है।
इन सभी वेबसाइटस् में एक बात कॉमन है। इनसे जुड़े फ़ेसबुक पेज धड़ल्ले से फ़ेसबुक प्रचार पर लाखों रुपये खर्च करते हैं। इससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए हमने फ़ेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा की ‘Meta Ad Library Report’ खंगाली। हमने एक-एक करके इन सभी वेबसाइटस् से जुड़े फ़ेसबुक पेज द्वारा 21 Feb 2019 से लेकर 10 Mar 2023 तक कितने एडवर्टाइज़मेंट पर कितना पैसा खर्च किया है। इसकी डिटेल्ड रिपोर्ट बनाई है जिसकी फ़ाइल हम नीचे अटैच कर रहे हैं। मोटे तौर पर देखा जाए तो इन वेबसाइटस् से जुड़े फ़ेसबुक पेजों ने अबतक कुल 48,930 विज्ञापन देकर कुल ₹3,47,05,292 खर्च किये हैं।
ये वेबसाइटस् अक्सर भाजपा के समर्थन में विज्ञापन चलाते हैं और इनमें से कई वेबसाइटस् और इससे जुड़े फ़ेसबुक पेज, विपक्षी पार्टियों और नेताओं का दुष्प्रचार करने के लिए डेडिकेटेड है। उदाहरण के लिए :
- Thugs of Jharkhand – झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Chor Machaye Shor – हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- The Frustrated Bengali – ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Nirmamata – ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Bhak Budbak – भक बुड़बक – बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Mahathugbandhan – महाठगबंधन – विपक्षी पार्टियों के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Bua Babua – बुआ बबुआ – उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Pappu Gappu – पप्पू गप्पू – राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ़ दुष्प्रचार
- Chuntli Express – ચૂંટલી એક્સપ્રેસ – आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के खिलाफ़ दुष्प्रचार
गौर करने वाली बात ये है कि इन वेबसाइटस् से जुड़े फ़ेसबुक पेजों ने विपक्षी पार्टियों के विरोध में जमकर एडवर्टाइज़मेंट चलाए हैं। लेकिन इन एडवर्टाइज़मेंटस् के ‘डिसक्लेमर’ में या तो वेबसाइट का नाम दिया है, या फिर उसी पेज का नाम जिसने ये एडवर्टाइज़मेंट डाला है।
मेटा के नियम के अनुसार, डिसक्लेमर के लिए, विज्ञापनदाता को उस फ़ेसबुक पेज द्वारा चलाए जा रहे विज्ञापन के पीछे काम करने वाली इकाई के रूप में अपना नाम, उनके द्वारा चलाए जाने वाले पेज या किसी अन्य संगठन का नाम दे सकते हैं। यदि वो किसी अन्य संगठन के लिए विज्ञापन चला रहे हैं, तो फ़ेसबुक पर उन्हें अतिरिक्त क्रेडेंशियल्स देना अनिवार्य होता है – जैसे फ़ोन नंबर, ईमेल और वेबसाइट या भारत की चुनाव आयोग से मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति का प्रमाणपत्र ये सुनिश्चित करने में मदद के लिए है कि विज्ञापन चलाने वाला संगठन प्रामाणिक है।
इन पेजों पर किस प्रकार का कॉन्टेन्ट परोसा जाता है?
Meta Ad Library में मौजूद डाटा के फ़ेसबुक पेज Phir Ek Baar Modi Sarkar ने 16-18 मार्च 2023 के बीच एक विज्ञापन दिया था जिसमें फ़र्ज़ी दावा किया गया था कि नोबेल कमेटी के उपाध्यक्ष आसले तोजे ने नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार बताया था। ये दावा भ्रामक था, ऑल्ट न्यूज़ ने इसका फ़ैक्ट-चेक भी किया था। इस विज्ञापन को फ़ेसबुक ने Meta Advertising Standard पॉलिसी के खिलाफ़ बताते हुए हटा दिया।
इन पेजों द्वारा भाजपा का प्रॉपगेंडा और विपक्षी पार्टियों और नेताओं को टारगेट करते हुए कॉन्टेन्ट पोस्ट किये जाते हैं और विज्ञापन भी चलाए गए हैं।
इस पेज द्वारा चलाए गए विज्ञापनों में भाजपा के प्रॉपगेंडा के साथ-साथ गैर-भाजपा नेता जैसे ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, केसीआर, राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों को टारगेट किया जाता है। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए स्लाइड्स में देखे जा सकते हैं।
इन फ़ेसबुक पेजों द्वारा दिए गए कॉनटेक्ट डिटेल्स
फ़ेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा के Ad Library Report में इन पेजों द्वारा विज्ञापन के डिसक्लेमर में इनकी कॉनटेक्ट डिटेल्स (मोबाइल नंबर, ईमेल, एड्रेस और वेबसाइट) दी गई है। हमने देखा कि फ़ेसबुक पेज ‘Bhak Budbak – भक बुड़बक’ के डिसक्लेमर में मोबाइल नंबर (+91 6359907101) दिया हुआ है।
हमने इस नंबर को गूगल पर सर्च किया तो पाया कि ‘पलटू आदमी पार्टी’ नाम के फ़ेसबुक पेज ने इस नंबर को शेयर करते हुए WhatsApp ग्रुप्स में एड करने की अपील की थी। गूगल पर इंडेक्स हुए फ़ेसबुक पोस्टस् डिलीट हो चुके हैं, इसलिए ये लिंक्स ब्रोकन हैं। इसके बाद हमने इस नंबर को फ़ेसबुक पर सर्च किया तो हमें ‘Paltu Aadmi Party’ नाम के फ़ेसबुक पेज के दो (1, 2) पोस्ट्स मिलें।
इन दोनों पोस्ट्स में इस पेज ने मोबाइल नंबर शेयर करते हुए लिखा था कि “आम आदमी पार्टी को हराने के लिए हमारे नंबर 6359907101 को अपने WhatsApp ग्रुप्स में add करें”। हमने इस पेज को Meta Ad Library Report में सर्च किया तो पाया कि इस पेज ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के विरोध में फ़ेसबुक पर जमकर विज्ञापन चलाया था। इस पेज ने अबतक 2,553 विज्ञापन चलाकर कुल ₹42,49,050 रूपये खर्च किये हैं। यानी, ये पेज भी इसी नेटवर्क का हिस्सा है।
हमने इस नेटवर्क के सभी फ़ेसबुक पेजों के Meta Ad Library Report में मौजूद कॉनटेक्ट डिटेल्स नीचे एक टेबल में दिया है। इस स्टोरी में आगे हम इस कॉनटेक्ट डिटेल्स वाले मुद्दे पर वापस आएंगे।
इन वेबसाइटस् का भाजपा से संबंध
हमने एक ही IP Address (13.232.63.153) पर होस्टेड वेबसाइटस् में से एक phirekbaarmodisarkar(dot)com को चेक किया तो पाया कि वहां एक फ़ेसबुक पेज का लिंक दिया हुआ है। (https://www.facebook.com/PhirSeModiSarkar)। इस फ़ेसबुक पेज का नाम है Phir Ek Baar Modi Sarkar। हमने देखा कि इस पेज 42 लाख से ज़्यादा फॉलोवर्स हैं और ये पेज सक्रिय रूप से भाजपा के समर्थन में और विपक्षी दलों के विरोध में पोस्ट करता है। हमने इस पेज के अबाउट सेक्शन में मौजूद पेज ट्रांसपेरेंसी को देखा तो पाया कि इस पेज को 9 जुलाई 2016 को बनाया गया था और इसका पुराना नाम ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ था।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ नाम से एक कैम्पेन चलाया था। चुनाव खत्म होने के कुछ महीनों बाद 26 अगस्त 2017 को इस पेज का नाम बदलकर ‘हर प्रदेश की पुकार बीजेपी सरकार’ कर दिया गया। आखिरी बार 2 सितंबर 2017 को इस पेज का नाम बदलकर ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ कर दिया गया। पेज ट्रांसपेरेंसी में मौजूद जानकारी के मुताबिक, इस पेज ने सामाजिक मुद्दों, चुनाव या राजनीति से संबंधित विज्ञापन चलाए हैं। अभी भी इस पेज के कई ad एक्टिव हैं। हमने इस पेज की एड लाइब्रेरी देखी तो पाया कि ये पेज भाजपा के समर्थन और विपक्षी पार्टियों के विरोध में actively फ़ेसबुक एड पर पैसे खर्च करता है।
इस पेज पर रिसर्च करते हुए हमें ‘द क्विन्ट‘ पर पब्लिश्ड 28 सितंबर 2016 का एक आर्टिकल मिला। इसमें 2017 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले पार्टियों द्वारा सोशल मीडिया पर एक्टिव होने की रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के पेज ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ पर करीब 6 लाख लाइक्स थे।
5 दिसंबर 2016 की ‘आज तक‘ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा उत्तर प्रदेश ने ‘यूपी के मन की बात’ नाम के एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसको लेकर उन्होंने एक वेबसाइट और फेसबुक का पेज बनाया था जिसका कैंपेन टाइटल था, ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’। इस रिपोर्ट के मुताबिक, फ़ेसबुक पेज ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ को 14 लाख लोग फॉलो कर चुके थे जो कि भाजपा उत्तर प्रदेश के फ़ेसबुक पेज से भी 3 लाख ज्यादा था।
4 फरवरी 2017 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स‘ में पब्लिश्ड रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा फेसबुक पर ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ पेज का इस्तेमाल मोदी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने के लिए कर रही थी।
12 मार्च 2017 को ‘द इंडियन एक्स्प्रेस‘ पर पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भाजपा ने सोशल मीडिया पर पार्टी की सर्वव्यापकता के लिए कई स्तरों पर टीम का गठन किया गया था। इन टीमों द्वारा पार्टी सदस्यों के बीच ऑडियो और वीडियो क्लिप प्रसारित करने के लिए 10,344 व्हाट्सऐप ग्रुप्स बनाए गए थे और 4 फेसबुक पेज संचालित किए गए थे जिसमें ‘बीजेपी4यूपी’, ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’, ‘अब माफ करो सरकार’ और ‘यूपी के मन की बात’ शामिल है।
उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कैम्पेन चलाया था जिसका नाम था ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश‘। इस फ़ेसबुक पेज को तभी 2016 में बनाया गया था जिसका नाम बदलकर ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ कर दिया गया। हमें इस पेज पर 8 दिसंबर 2016 का एक पोस्ट मिला, इस पोस्ट में कैम्पेन की वेबसाइट, फ़ेसबुक पेज/ट्विटर हैंडल का यूज़रनेम, मोबाइल नंबर दिए हुए हैं।
फ़ेसबुक/ट्विटर इंटरकनेक्शन
चूंकि इस फ़ेसबुक पेज का नाम और यूज़रनेम बदल दिया गया है, इसलिए फ़ेसबुक लिंक ब्रोकन (404 error) आता है। हालांकि, इस ट्विटर हैंडल पर ज़्यादा फॉलोवर्स नहीं हैं इसलिए ये ट्विटर अकाउंट inactive है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव के बाद से ये अकाउंट inactive है। इस अकाउंट ने आखिर बार 8 मार्च 2017 को ट्वीट किया था।
ज्ञात हो कि 7 चरणों में हुए उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का चुनाव 8 मार्च 2017 को समाप्त हुआ था। इस अकाउंट के पुराने ट्वीट्स खोजने पर मालूम चलता है कि ये अकाउंट फ़ेसबुक पेज ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ (जो अब बदलकर ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ कर दिया गया है) से सीधे तौर पर कनेक्टेड है। हमें ट्विटर अकाउंट (@UttarDegaUP) का 11 अगस्त 2016 का एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में टेक्स्ट के साथ एक फ़ेसबुक शॉर्ट लिंक दिया गया है। इस लिंक पर क्लिक करने पर ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ पेज पर पहुंचते है जिस पेज का पुराना नाम ‘उत्तर देगा उत्तर प्रदेश’ था। (रिडायरेक्ट लिंक का आर्काइव यहां मौजूद है)। गौर करने वाली बात ये है कि फ़ेसबुक पोस्ट में टेक्स्ट के साथ साथ डेट और टाइम भी इग्ज़ैक्ट सेम है। 11 अगस्त 2016, समय 3:56 PM।
वेबसाइट/मोबाइल नंबर इंटरकनेक्शन
हमने देखा कि फ़ेसबुक पेज ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ के 2016 वाले पोस्ट्स में वेबसाइट ‘upkemannkibaat(dot)com’ और मोबाइल नंबर 7505403403 दिया है। डेट फ़िल्टर के साथ ट्विटर पर सर्च करने पर हमें ये वेबसाइट और मोबाइल नंबर दोनों भाजपा के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से और भाजपा उत्तर प्रदेश के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किये हुए मिलें। भाजपा उत्तर प्रदेश ने अपने प्रोमो वीडियो में भी इस वेबसाइट और मोबाइल नंबर को मेंशन किया था। भाजपा ने अपने कैम्पेन ‘यूपी के मन की बात’ में इस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था। 2016 में ये मोबाइल नंबर भाजपा उत्तर प्रदेश के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल के बैनर पर भी मौजूद था। यानी ये मोबाइल नंबर भाजपा उत्तर प्रदेश का था।
भाजपा हेडक्वार्टर का एड्रेस
हमने Meta Ad Library report में डेट फ़िल्टर लगाकर फ़ेसबुक पेज ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ द्वारा 2019 में दिए गए विज्ञापन का डिसक्लेमर डिटेल चेक किया तो पाया कि वहां एक एड्रेस दिया हुआ है – (6 – A, Pandit Deen Dayal Upadhyaya Marg, Near ITO, Minto Bridge Colony, Barakhamba, New Delhi, India 110002)। हमने इस एड्रेस के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की तो पाया कि ये भाजपा के हेडक्वार्टर का एड्रेस है। भाजपा के ऑफिशियल वेबसाइट पर भी ये एड्रेस दिया हुआ है।
फ़ेसबुक विज्ञापन पॉलिसी में है बाइपास
फ़ेसबुक विज्ञापन पॉलिसी के मुताबिक, जब कोई विज्ञापनदाता अपने विज्ञापन को सामाजिक मुद्दों, चुनाव या राजनीति से संबंधित के रूप में वर्गीकृत करता है, तो उन्हें यह बताना होगा कि विज्ञापन के लिए भुगतान किसने किया। इसकी जानकारी विज्ञापन पर ‘Published by’ के रूप में मौजूद होती है जहां बाकायदा विज्ञापन चलाने वाले का नाम होता है। फ़ेसबुक के Create disclaimers and link ad accounts पेज पर मौजूद जानकारी में गौर करने वाली बात ये है कि फ़ेसबुक ने निर्देश दिए हैं कि डिसक्लेमर एप्रूव करवाने के लिए विज्ञापनों के लिए भुगतान करने वाले संगठन या व्यक्ति को सटीक रूप से दर्शाना चाहिए।
इसके अलावा फ़ेसबुक ये भी कहता है कि ये डिसक्लेमर किसी कानूनी रूप से आवश्यक डिसक्लेमर और डिस्क्लोज़र का स्थान नहीं लेता। फ़ेसबुक विज्ञापन पर लागू कानून के अनुपालन करने का दायित्व विज्ञापनदाता पर छोड़ देता है। फ़ेसबुक ने डिसक्लेमर अप्रूव करवाने के दो तरीके स्थापित किये हैं, पहला तो है नॉर्मल लीगल नाम और पहचान दस्तावेज़ के जरिए। दूसरा तरीका है जिसमें विज्ञापनदाता को स्व-घोषित संगठन का नाम (भारत स्थित पता, व्यावसायिक फ़ोन नंबर, वेबसाइट, डोमेन ईमेल) देना होता है। इसके बाद ‘डिसक्लेमर’ अप्रूव हो जाता है।
ये डिसक्लेमर अप्रूव करवाने का सबसे आसान तरीका है उन मुखौटा वेबसाइटस् के लिए। और यही इन इन मुखौटा वेबसाइटस् के बनने का मुख्य कारण भी है। इसमें वो एक डोमेन खरीदकर एक सिम्पल वेबसाइट बनाते हैं जिसपर ‘प्राइवेसी पॉलिसी पेज, डिसक्लेमर पेज और फ़ेसबुक का लिंक दिया होता है। उस खरीदे हुए डोमेन के जरिए एक डोमेन ईमेल बनाते हैं। इसके साथ वो अपना पता और मोबाइल नंबर सबमिट करके फ़ेसबुक के पास अप्रूवल् के लिए भेज देते हैं।
इन पेजों द्वारा डिसक्लेमर अप्रूवल के लिए सबमिट किये एड्रेस लिस्ट को गौर से देखने पर पता चलता है कि कुछ पते आधे-अधूरे हैं जिनमें सिर्फ शहर और राज्य का नाम दिया हुआ है। लेकिन फ़ेसबुक ने इस आधी-अधूरी जानकारी के बावजूद इन डिस्क्लेमर्स को अप्रूवल दिया है जिसके जरिए ये पेज धड़ल्ले से विज्ञापन चला रहे हैं। इस प्रकार फ़ेसबुक के ऐड्वर्टाइज़्मन्ट सिस्टम में ये एक बड़ी खामी है जिससे ये फ़ेसबुक पेज आसानी से बाइपास कर लेते हैं और धड़ल्ले से फ़ेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापन चलाकर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, वो भी बिना इस बात का खुलासा किये कि किसने इन विज्ञापन को चलाने के लिए भुगतान किया।