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बिलकीस के गवाह का CJI को ख़त- दोषी ने दी मारने की धमकी

बिलकीस के गवाह का CJI को ख़त- दोषी ने दी मारने की धमकी

क्या बिलकीस बानो के गवाह को जान से मारने की धमकी दी जा रही है? यदि ऐसा है तो क्यों? क्या जेल से बाहर आए उन दोषियों पर फिर से विचार किया जाएगा?

जिन 2002 बिलकीस बानो गैंगरेप केस में आजीवन कारावास के सभी 11 दोषी जेल से बाहर आ गए हैं उनमें से एक पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा है। बिलकीस के एक गवाह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित को ख़त लिखकर एक दोषी पर यह आरोप लगाया है।

बिलकीस बानो गैंगरेप में सभी 11 आजीवन कारावास के दोषी गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत 16 अगस्त को गोधरा की एक उप-जेल से बाहर आ गए हैं। उन्हें उनकी रिहाई के बाद माला पहनाई गई थी और मिठाई खिलाई गई थी। दोषियों की इस तरह की रिहाई पर विवाद हुआ और सवाल भी उठे। देवेंद्र फडणवीस जैसे बीजेपी नेता ने भी कहा था कि रेप के दोषियों का स्वागत करना गलत है।

बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान जब बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था तब वह 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इनमें उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। उसका सिर पत्थरों से कुचला गया था। सात अन्य रिश्तेदारों को लापता घोषित कर दिया गया था।

इसी बिलकीस बानो मामले में एक गवाह 45 वर्षीय इम्तियाज घांची ने अब सीजेआई को ख़त लिखा है। घांची ने कहा है, 'उन्होंने मुझे यह कहते हुए धमकाया कि जब तक तुम गांव नहीं छोड़ोगे, हम तुम लोगों को बुरी तरह से पीटेंगे।'

'द क्विंट' से बात करते हुए घांची ने कहा है कि दोषियों की रिहाई के दिन से उन्हें आशंका है कि ऐसा होगा। 15 सितंबर की एक घटना का ज़िक्र करते हुए घांची ने कहा, 'मैं बाइक पर था, (रेलवे ट्रैक के पास) ट्रेन के गुजरने का इंतजार कर रहा था कि राधेश्याम शाह ने मुझे देखा और मुझे अफने पास आने का इशारा किया। मैं उसके पास जाने से डर रहा था, लेकिन किसी तरह मैं चला गया। उसने मुझे धमकी दी कि अब तो हम बहार आ गए हैं। तुम लोगों को मार मार के गाँव से निकालेंगे। हम तुम्हें तब तक पीटेंगे जब तक तुम गाँव नहीं छोड़ देते।'

रिपोर्ट के अनुसार सिंगवड़ (रंधिकपुर) के मूल निवासी 45 वर्षीय घांची ने 2002 के दंगों के बाद अपना घर छोड़ दिया था और देवगढ़ बरिया में एक रिलीफ़ कॉलोनी में चले गए। वह वहाँ अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पिछले 20 वर्षों से रह रहे हैं। वह कहते हैं कि वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं और काम की तलाश में गाँव जाना होता है।

रिपोर्ट के अनुसार घांची ने कहा है कि उन्होंने दाहोद जिला कलेक्टर और दाहोद पुलिस को शिकायत पत्र की एक प्रति भी भेजी है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

उन्होंने गुजरात के गृह सचिव और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी को भी पत्र की प्रतियां भेजी हैं।

बता दें कि मुंबई सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष बिलकीस बानो मुकदमे के दौरान घांची ने कहा था कि गोधरा ट्रेन जलने की घटना के अगले दिन उन्होंने एक आरोपी और अब मृतक नरेश मोढिया को अपने हाथ में रामपुरी चाकू लिए हुए देखा था। घांची ने कहा कि भीड़ के डर से वह दो दिन के लिए लालू मदिया परमार नाम के व्यक्ति के घर शरण लेने के लिए अपनी मां और बहन के साथ घर से निकला था। उन्होंने यह भी कहा था कि उनका सामान लूट लिया गया था और उनका घर जला दिया गया था। 

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