+
बिहार में तेजस्वी के भरोसे ही क्यों हैं इंडिया गठबंधन? 

बिहार में तेजस्वी के भरोसे ही क्यों हैं इंडिया गठबंधन? 

तेजस्वी यादव बिहार में न सिर्फ अपनी पार्टी राजद के बल्कि इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के लिए भी सबसे बड़े स्टार प्रचारक बने हुए हैं। तेजस्वी यादव की इन दिनों तबियत ठीक नहीं है, वह असहनीय कमर दर्द से परेशान हैं, इसके बावजूद हर दिन घूम-घूम कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। 

तेजस्वी यादव बिहार में न सिर्फ अपनी पार्टी राजद के बल्कि इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के लिए भी सबसे बड़े स्टार प्रचारक बने हुए हैं। तेजस्वी यादव की इन दिनों तबियत ठीक नहीं है, वह असहनीय कमर दर्द से परेशान हैं, इसके बावजूद हर दिन विभिन्न लोकसभा सीटों पर घूम-घूम कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। 

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के बड़े नेता बिहार के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए बिहार में कांग्रेस तेजस्वी यादव पर निर्भर दिख रही है। 

तेजस्वी न सिर्फ राजद उम्मीदवारों वाली सीटों पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं बल्कि कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए भी लगातार प्रचार कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दलों के उम्मीदवारों के लिए भी वह लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसके कारण सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दल तेजस्वी यादव पर ही चुनाव प्रचार के लिए क्यों निर्भर हैं? 

इन दिनों कमर के दर्द से परेशान होने के बाद भी तेजस्वी यादव चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने गुरुवार 9 मई को एक्स पर एक पोस्ट भी किया है।

इसमें उन्होंने लिखा है कि असहनीय कमर दर्द के चलते दर्द निवारक इंजेक्शन और दवा लेकर आपके बीच घूम रहा हूँ। कमर पर अब बेल्ट भी बाँध दिया है। चिकित्सकों ने 3 हफ़्ते का बेड रेस्ट तथा खड़ा होने एवं पैदल नहीं चलने की हिदायत दी है।

इस हालात में भी आपके बीच, आपके लिए हूँ। चुनाव 5 वर्ष में एक बार होता है अगर अभी आपके लिए नहीं लड़ा तो और फिर 5 साल आपको गरीबी, महंगाई व बेरोजगारी झेलनी पड़ेगी। जब तक युवाओं को नौकरी नहीं दिलाऊँगा तब तक शांत नहीं बैठूँगा। ऐसे में सवाल उठता है कि तेजस्वी यादव बीमार होने के बावजूद चुनाव प्रचार क्यों कर रहे हैं?  

इसको लेकर बिहार की राजनीति पर बारीकी से नजर रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि इस चुनाव में इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े स्टार प्रचारक तेजस्वी ही हैं। उनकी पार्टी राजद बिहार मे इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है, और राजद सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव भी लड़ रही है। ऐसे में तेजस्वी के कंधों पर जिम्मेदारी भी बड़ी है। 

राजद में लालू प्रसाद यादव के वे उत्तराधिकारी माने जाते हैं और उनके बाद सबसे बड़ा कद अगर किसी का है तो तेजस्वी यादव का ही है। इस बार के चुनाव में स्वास्थ्य कारणों से लालू यादव चुनाव प्रचार से दूर हैं। राजद में उनके जैसे कद का कोई दूसरा स्टार प्रचारक है नहीं। इसलिए राजद जिन सीटों पर लड़ रही है उन पर जीत के लिए तेजस्वी को सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। 

मौजूदा समय में लालू यादव के बाद किसी राजद नेता की सबसे ज्यादा लोकप्रियता है तो वह तेजस्वी यादव ही हैं। तेजस्वी यादव अपने भाषणों के कारण लगातार चर्चा में भी बने रहते हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन जिन सीटों पर भी चुनाव लड़ रहा है उन सभी पर तेजस्वी यादव की मांग काफी ज्यादा है। 

तेजस्वी जानते हैं कि अगर वह बीमारी के कारण घर में बैठ गए तो राजद को पिछले लोकसभा चुनाव की तरह बुरी हार का मुंह देखना पड़ सकता है। ऐसे में उनके लिए लगातार बिना थके मेहनत करने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। उनके लिए मुश्किल इसलिए भी है कि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के स्टार प्रचारक बिहार के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पा रहे हैं। इसके कारण भी कांग्रेस के उम्मीदवार अपने चुनाव प्रचार के लिए तेजस्वी यादव पर निर्भर हैं। 

अब तक 100 से ज्यादा सभा कर चुके 

तेजस्वी यादव इस लोकसभा चुनाव में बिहार में 100 से ज्यादा सभाएं कर चुके हैं। बीते 3 मई को ही उन्होंने एक्स पर लिखा था कि, हमने हेलीकॉप्टर का ट्रैक्टर बना दिया है।

अभी तक इस चुनाव में 𝟗𝟕 सभाएं कर चुके है। जनविश्वास यात्रा से लेकर अभी तक निरंतर जनता के साथ, जनता के लिए जनता को समर्पित है।

तेजस्वी की इस सक्रियता को देखकर राजनैतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि तेजस्वी ने इसी तरह से बिहार विधानसभा के 2020 के चुनाव में मेहनत की थी। इसका नतीजा यह रहा था कि उनकी पार्टी राजद भले ही सरकार बनाने से चूक गई लेकिन उसने बढ़िया प्रदर्शन करते हुए 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

बिहार में किसी पार्टी के नेता उनके इतनी चुनावी जनसभाएं करते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि तेजस्वी यादव की यह मेहनत बिहार में महागठबंधन को कितनी सीट दिला पाती है। 

अपने भाषणों में उठा रहे रोजगार का मुद्दा 

तेजस्वी चुनाव की घोषणा के बाद से ही अपनी हर जनसभा में रोजगार और महंगाई का मुद्दा उठाते हैं। वह केंद्र की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी खूब हमलावर रहते हैं। हालांकि वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर राजनैतिक हमला करने से बचते हैं। 

अपने भाषणों में तेजस्वी यादव कहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री हिंदू, राष्ट्रपति हिंदू, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री हिंदू, तीनों सेनाध्यक्ष हिंदू है फिर भी ये लोग कह रहे है कि धर्म खतरे में है।

दरअसल धर्म को ख़तरे में बताने वाले यह नहीं बताना चाहते कि रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी से देश के 60 फीसदी युवाओं का वर्तमान एवं भविष्य खतरे में है। किसान और कृषि खतरे में है। उद्योग-धंधे खतरे में है। बहन बेटियाँ और महिलाएं खतरे में है। शिक्षा-चिकित्सा खतरे में है। महंगाई-गरीबी से बहुसंख्यक आबादी खतरे में है। जनता के जिंदा मुद्दों पर तो प्रधानमंत्री जी बात ही नहीं करना चाहते। 

तेजस्वी यादव अपनी जनसभा में अक्सर पूछते हैं कि रोजगार, नौकरी, महंगाई, गरीबी, शिक्षा-चिकित्सा, कृषि-किसान जैसे जनता के ज़िंदा मुद्दों से प्रधानमंत्री मोदी जी मूँह क्यों छुपा रहे है?  

अपनी लगभग हर सभा में वह कहते हैं कि जनता का मुद्दा महंगाई है, जनता का मुद्दा महँगी दवाई है,जनता का मुद्दा महंगी शिक्षा है, जनता का मुद्दा बेरोज़गारी है, मोदी नहीं मुद्दे ज़रूरी हैं। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें