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मनीष कश्यप बीजेपी में और नीतीश की प्रतिष्ठा गर्त में?

मनीष कश्यप बीजेपी में और नीतीश की प्रतिष्ठा गर्त में?

मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर नफ़रत फैलाने के लिए कभी जेल गए मनीष कश्यप को बीजेपी ने अपनी पार्टी में क्यों शामिल कराया? इससे नीतीश कुमार को फायदा होगा या नुक़सान?

विवादास्पद यूट्यूबर मनीष कश्यप को गुरुवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाई गई तो इस चुनावी माहौल में यह सवाल गहरा गया कि आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के हाथों अपनी कितनी बेइज्जती कराएंगे? 

अक्सर भारतीय जनता पार्टी और इसके नेता ऐसी बातें-हरकतें कर रहे हैं जिससे सीधे नीतीश कुमार को फजीहत झेलनी पड़ रही है। इस कड़ी का ताजा मामला विवादास्पद यूट्यूबर मनीष कश्यप का है। मनीष को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और सह प्रभारी संयुक्त मयूख ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। 

यह वही मनुष्य कश्यप हैं जिन्हें तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों को कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने के फर्जी वीडियो वायरल करने के आरोप में पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। तब यह कहा गया था कि मनीष कश्यप ने बिहार और तमिलनाडु के बीच जहर बोने का काम किया है। तब तमिलनाडु पुलिस और बिहार की इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट ने मनीष पर फर्जी वीडियो वायरल करने के आरोप में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थी। 

जबसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार से पलटी मारकर भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामा है तब से यह कहा जा रहा है कि उनकी प्रतिष्ठा पर आंच आई है। आए दिन कोई न कोई ऐसी घटना हो जाती है जिससे लगता है कि नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा अब गर्त में जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने के विवादित दावे से भी उनकी छवि धूमिल हुई थी। 

यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शामिल करना नहीं चाहती है। शायद इसीलिए गया और पूर्णिया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में नीतीश कुमार शामिल नहीं किए गए। लेकिन आज यानी 26 अप्रैल को मुंगेर में हुई सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार भी शामिल हुए।

यह चर्चा आम है कि मनीष कश्यप निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार संजय जायसवाल के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते थे। मनीष भूमिहार जाति से आते हैं।

यह माना जा रहा था कि अगर मनीष निर्दलीय चुनाव लड़ते तो सवर्ण मतदाताओं का झुकाव उनकी ओर होता और संजय जायसवाल का वोट कटता। मनीष को भाजपा में शामिल कर संजय जायसवाल और पार्टी ने अपने लिए मुसीबत तो कम कर ली लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

उस समय बिहार और तमिलनाडु दोनों जगह मनीष कश्यप पर केस दर्ज हुआ था। यहां तक कि मनीष कश्यप पर एनएसए भी लगाया गया था। मनीष इस समय जमानत पर हैं और उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पार्टी में शामिल कर दोनों राज्यों की सरकारों को चुनौती दी है। नीतीश कुमार आखिर इस बात को कैसे बर्दाश्त कर पाएंगे कि जिस व्यक्ति ने दो राज्यों के बीच संबंधों को बिगाड़ने में इतनी बड़ी भूमिका निभाई है, उसे उनकी सहयोगी बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।

यह सवाल भी किया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी में शामिल किए जाने के बाद मनीष कश्यप के खिलाफ जो केस बिहार में दर्ज है, क्या अब राज्य सरकार की ओर से इस मामले में शिथिलता बरती जाएगी? और अगर बिहार सरकार कड़ाई से पेश आती है तो क्या भारतीय जनता पार्टी इसे बर्दाश्त करेगी? यह बात भी ध्यान में रखने की है कि तमिलनाडु के फर्जी वीडियो मामले के अलावा सोशल मीडिया पर मनीष कश्यप द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली पोस्ट लिखने के भी आरोप हैं। ऐसे नफरत फैलाने वाले व्यक्ति को पार्टी में शामिल कर भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश कुमार को यह कहने लायक नहीं छोड़ा है कि वह सांप्रदायिकता से समझौता नहीं करते। 

नीतीश कुमार के लिए एक समस्या यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्णिया की सभा में सीमांचल में घुसपैठ होने का आरोप लगाया था जो एक तरह से नीतीश कुमार के शासनकाल पर सवालिया निशान है और उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाला है। ध्यान रहे कि सीमांचल में जनता दल यूनाइटेड के तीन उम्मीदवार हैं और उन्हें वहां स्थानीय वोटरों से इस बात को लेकर विरोध झेलना पड़ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां घुसपैठ का झूठा आरोप क्यों लगाया। 

इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी के मुसलमानों के बारे में दिए गए बयान से नीतीश कुमार असहज बताए जाते हैं, हालांकि वह इस पर कोई राय नहीं दे रहे हैं।

जदयू के सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी जिस तरह मुसलमानों के बारे में खुल्लम खुल्ला आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं, वह नीतीश कुमार के उस दावे पर सवालिया निशान लगा रहा है जिसमें वह कहते हैं कि उन्होंने कभी कम्यूनलिज्म से समझौता नहीं किया।

ध्यान रहे कि नीतीश कुमार एक तरफ मुसलमानों से एनडीए के उम्मीदवारों को वोट करने की अपील कर रहे हैं तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों का मान मर्दन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की अपनी बिहार की सभा में उस आरोप को दोहराया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।

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