चारा घोटाला: झारखंड हाई कोर्ट ने दी लालू यादव को जमानत

03:39 pm Apr 22, 2022 | समी अहमद

राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सीबीआई के साथ अपनी लंबी क़ानूनी लड़ाई में शुक्रवार को अंततः राहत मिल गयी जब झारखंड हाईकोर्ट ने डोरंडा कोषागार मामले में उनकी जमानत की अर्जी मंजूर कर ली। यह मामला तत्कालीन बिहार राज्य के डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का था। लगभग दो महीने पहले 15 फ़रवरी को उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें जेल जाना पड़ा था। इसके साथ ही लालू प्रसाद को चारा घोटाले के सभी मामलों में जमानत मिल गई है।

लालू प्रसाद के वकीलों ने इस मामले में हाईकोर्ट में आधी सजा काटने और ख़राब सेहत के आधार पर जमानत की अर्जी दी थी। लालू पिछले कई महीनों से किडनी की बीमारी से परेशान हैं और अदालत की देखरेख में उनका इलाज कभी रांची तो कभी एम्स में हुआ है। फ़िलहाल वे एम्स, दिल्ली में इलाज करा रहे हैं।

इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने इसी साल 21 फ़रवरी को पाँच साल की सज़ा सुनाई थी। इसके साथ ही उन्हें साठ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इस मामले में इससे पहले चार बार सुनवायी हो चुकी थी लेकिन विभिन्न कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो पायी थी। बुधवार को सीबीआई द्वारा शपथ दायर करने के बाद जमानत अर्जी पर फ़ैसले की तारीख़ 22 अप्रैल तय की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इस मामले में लालू प्रसाद की पैरवी की थी।

झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फ़ैसला सुनाया जिसमें सीबीआई की दलील थी कि उनके अनुसार सजा की आधी अवधि पूरी नहीं हुई थी, इसलिए जमानत देना सही नहीं होता। 

इस फ़ैसले में अब जुर्माने की राशि घटाकर दस लाख कर दी गयी है। इसके साथ ही उन्हें एक लाख रुपये बतौर जमानत राशि भी जमा करनी होगी। इसके अलावा उन पर यह शर्त भी लगायी गयी है कि वे हाईकोर्ट की इजाजत के बिना देश से बाहर नहीं जाएंगे और अपना फोन नंबर व पता भी नहीं बदलेंगे।

लालू प्रसाद पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए चारा घोटाले का आरोप था। उन पर इस घोटाले के पांच मामले दर्ज थे और वे सभी मामलों में सजायाफ्ता हुए हैं।

जमानत मिलने के बाद लालू के वकील ने बताया कि उन्हें आधी सजा पूरी करने और स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दी है। उन्हें जल्द ही रिहा किया जाएगा। लालू के वकील ने दलील दी कि लालू 40 माह जेल में गुजार चुके हैं जबकि आधी सजी की अवधि 30 महीने ही थी।

सबसे पहले 2012 में लालू प्रसाद और एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बांका और भागलपुर जिलों में ग़लत तरीक़े से राशि निकासी के मामले में अभियुक्त बनाया गया था।

30 सितंबर, 2013 को लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा को सीबीआई की कोर्ट ने चाईबासा मामले में 5 साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही उन पर 11 वर्षों के लिए चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई गई थी।

एक और मामले में 2017 में उन्हें साढ़े 3 साल की सजा सुनाई गई। दो हजार अट्ठारह में चाईबासा कोषागार से अवैध तरीक़े से 33 करोड़ रुपए की निकासी के मामले में उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई। उसी साल दुमका कोषागार से तीन करोड़ की अवैध निकासी के मामले में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई।