बिहार की राजनीति में हमेशा प्रासंगिक बने रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने फिर मुंह खोला है और इस बार सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर बयानबाजी की है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उन्होंने जमकर नीतीश को कोसा। मांझी के तेवर से लग रहा है कि वो जल्द ही महागठबंधन और नीतीश का साथ छोड़ देंगे। उनके पास बीजेपी के पास जाने का विकल्प हमेशा खुला रहता है और बीजेपी के राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तरीय नेता उन्हें ऑफर देते रहते हैं।
मांझी ने कहा, हालांकि राजनीति में वादे नहीं होते। फिर भी मैंने नीतीश कुमार को समर्थन देने का संकल्प लिया है। कांग्रेस हो या माकपा, महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने की मांग सभी ने की है। अगर यह समिति नहीं बनती है तो मेरे साथियों ने मुझे सलाह दी है कि आप नीतीश और महागठबंधन से किनारा कर लें।
जीतनराम मांझी ने नीतीश को लेकर कुछ व्यक्तिगत हमले भी किए। उन्होंने कहा कि नीतीश जी ने हमारे साथ अच्छा नहीं किया.., हमारा दो विभाग था, एक विभाग काट दिया। हमें इससे घाटा हो गया। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें किस तरह का घाटा हुआ। बता दें कि मांझी के मंत्री बेटे संतोष सुमन से हाल ही में सीएम नीतीश ने एक विभाग वापस ले लिया। इससे मांझी नाराज हैं।
राजगीर में आयोजित हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर की राष्ट्रीय परिषद में राजनीतिक प्रस्ताव को छोड़कर कुल नौ प्रस्ताव पारित किए गए। 2024 में पार्टी किस दल के साथ मिलकर लड़ेगी, यह फैसला नहीं हुआ और इस फैसले को मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ दिया गया।
दरअसल, जब नीतीश एनडीए में थे और तब मांझी के बेटे संतोष सुमन के पास दो विभाग- अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्रालय और लघु जल संसाधन मंत्रालय थे। लेकिन अब जब नीतीश की जेडीयू और आरजेडी की सरकार है तो संतोष सुमन से लघु जल मंत्रालय वापस ले लिया गया और इसी बात मांझी नाराज हैं।
रंग बदलते मांझी
जीतन राम मांझी ने अप्रैल में दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। मांझी-शाह मुलाकात से ये अफवाह तेज हो गई कि मांझी महागठबंधन (MGB) को छोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं। मांझी ने, हालांकि, उस समय इससे इनकार किया था।
मांझी ने हालांकि इसका खंडन किया और कहा कि वो महागठबंधन के साथ रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को "पीएम मैटेरियल" करार दिया। मांझी ने अपनी सफाई देते हुए कहा था कि वो 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी के लिए भारत रत्न की मांग करने राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री के पास गए थे। मैंने गृहमंत्री से बाराचट्टी, गया में सेना के फायरिंग रेंज में आकर मरने वालों का मामला उठाया। हाल ही में आकस्मिक गोलीबारी की घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा देने पर विचार करने के लिए भी कहा। मैंने लोंगी मांझी का मुद्दा उठाया, जिन्होंने वर्षों पहले गया में 4 किमी लंबी नहर खोदी थी।
मांझी ने अमित शाह से मुलाकात को सामान्य तो बता दिया लेकिन बिहार बीजेपी के तमाम नेता उन्हें ऑफर भेजने लगे। बिहार में एमजीबी के नेता बहुत ज्यादा भरोसा जीतन राम मांझी पर नहीं कर रहे हैं। हाल ही में पूर्णिया की एक जनसभा में, सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि भाजपा की नजर जीतन राम मांझी पर है। नीतीश ने मांझी को चेतावनी देते हुए कहा था कि भाजपा उन्हें लुभाने की कोशिश कर रही है। नीतीश ने कहा था कि "देख लीजिए, आजकल आप (मांझी) पर उनकी नजर है।"
मांझी की पार्टी के चार विधायक हैं। जिसके पास महागठबंधन में बहुत ज्यादा जगह नहीं है। हालांकि मांझी के बेटे एमएलसी और मंत्री हैं, लेकिन पूर्व सीएम लंबे समय से अपने लिए एक और एमएलसी सीट या कोई अन्य सम्मानजनक पद पाने की कोशिश कर रहे हैं।