नीतीश कुमार को एक ताज़ा सर्वे में बड़ा झटका लगा है। इस सर्वे के अनुसार यदि आज चुनाव हो जाए तो नीतीश कुमार को सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा। बिहार में इसी साल अगले कुछ महीनों में चुनाव होना है। सर्वे किए गए लोगों में से सिर्फ़ 18 फ़ीसदी लोग ही नीतीश कुमार को सत्ता में वापस आते हुए देखना चाहते हैं। इस मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव शीर्ष पर हैं।
दरअसल, यह सर्वे सी-वोटर और इंडिया टुडे टीवी ने किया है। इसके अनुसार यदि इस वर्ष के अंत में होने वाला विधानसभा चुनाव आज होता है, तो नीतीश कुमार अब बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी के लिए सबसे टॉप के पसंदीदा नेता नहीं हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, नीतीश की रेटिंग काफ़ी कम हो गई है। सर्वे किए गए लोगों में से सिर्फ़ अठारह प्रतिशत लोगों ने नीतीश को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहा है। इसके विपरीत, सर्वेक्षण में शामिल 41 प्रतिशत लोग राजद नेता तेजस्वी यादव को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
सीएम के रूप में लोगों की शीर्ष पसंद के बारे में पूछे जाने पर 15 प्रतिशत ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को पसंद किया, जबकि 8 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी के सम्राट चौधरी को पसंद किया। 4 प्रतिशत लोगों ने एलजेपी (आरवी) अध्यक्ष चिराग पासवान को मुख्यमंत्री के रूप में देखना पसंद किया।
सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे मौजूदा सरकार से नाराज हैं और बदलाव चाहते हैं। 22 प्रतिशत लोग नाराज हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि वे बदलाव नहीं चाहते हैं। दूसरी ओर, सर्वेक्षण में शामिल 25 प्रतिशत लोग न तो नाराज हैं और न ही कोई बदलाव चाहते हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्षों में आगे बताया गया है कि 58 प्रतिशत लोगों को लगता है कि नीतीश कुमार की विश्वसनीयता बहुत कम हो गई है। 13 प्रतिशत ने कहा कि यह कुछ हद तक कम हुई है। 21 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें सीएम की विश्वसनीयता में कोई कमी नहीं दिख रही है।
ताज़ा सर्वे के अनुसार नीतीश कुमार की लोकप्रियता बहुत उत्साहजनक नहीं लगती है। ताज़ा सर्वे में लोगों की जो सबसे बड़ी चिंताएँ हैं उनमें बेरोजगारी सबसे अहम है। 45 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को इस चुनाव का प्राथमिक मुद्दा बताया है। इसके बाद महंगाई को 11 फ़ीसदी लोगों ने, 10 फ़ीसदी लोगों ने बिजली, पानी और सड़क तथा 4-4 फीसदी लोगों ने किसानों के मुद्दे और भ्रष्टाचार को मुद्दा बताया है।
कुछ हफ़्ते पहले के सर्वे में क्या था?
हालांकि, इससे पहले दिल्ली चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद आए सी-वोटर के एक सर्वेक्षण में एनडीए की लगभग जीत का अनुमान लगाया गया था। इसमें राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 33 से 35 पर सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत का अनुमान लगाया गया था। दूसरी ओर, सर्वेक्षण में विपक्षी 'महागठबंधन' को केवल 5-7 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। महागठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं।
पिछले विधानसभा चुनावों में राजद राज्य की 243 सीटों में से 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। 74 सीटों पर पिछड़ने वाली बीजेपी ने आखिरकार नीतीश कुमार के जेडीयू के साथ सरकार बनाई। जेडीयू ने 43 सीटें हासिल कीं। कांग्रेस ने 19 सीटें जीतीं, जबकि लोजपा सिर्फ 1 सीट हासिल करने में सफल रही।