बिहार के कृषि मंत्री ने क्यों दिया इस्तीफ़ा, जानिए वजह

03:18 pm Oct 02, 2022 | सत्य ब्यूरो

बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राष्ट्रीय जनता दल के बिहार के अध्यक्ष और सुधाकर के पिता जगदानंद सिंह ने इसकी पुष्टि की है। जगदानंद सिंह ने कहा, 'मेरा बेटा किसानों के अधिकारों के लिए लड़ना चाहता था, लेकिन उसे ऐसा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए उसने इसे छोड़ दिया।'

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जगदानंद सिंह ने यह भी कहा, 'किसानों और उनके साथ हो रहे अन्याय के लिए किसी को खड़े होने की ज़रूरत है। कृषि मंत्री ने इसे उठाया। मंडी कानून (कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम) के ख़त्म होने से राज्य के किसान तबाह हो गए हैं।' बिहार राजद प्रमुख ने कहा कि किसान देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा, 'मंत्री लंबे समय से लड़ रहे हैं। उन्होंने किसानों के लाभ के लिए कदम उठाया।'

बता दें कि इसी सुधाकर सिंह ने हाल ही में कृषि रोड मैप पर सवाल उठाकर अपनी ही सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। 

उन्होंने हाल ही में अपने विभाग में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया था और शनिवार को उन्होंने कहा था कि वह राज्य में महागठबंधन सरकार के गठन के साथ अपने विभाग में 'भाजपा के एजेंडे को जारी रहने' नहीं देंगे।

यह वही सुधाकर सिंह हैं जिन्होंने अफ़सरों को चोर कहा था। उन्होंने पिछले महीने कहा था, 

कृषि विभाग के लोग चोर हैं और वो उन चोरों के सरदार हैं। उनके ऊपर भी और कई सरदार मौजूद हैं। सरकार वही पुरानी है और इसके चाल-चलन भी पुराने हैं। ऐसे में जनता को लगातार आगाह करना होगा।


सुधाकर सिंह का बयान

इसको लेकर नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि इस मसले को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव देखेंगे।

सिंह ने कहा है कि सरकार के आँकड़े ही बताते हैं कि कृषि रोड मैप किसी भी दृष्टि से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में पूरी तरह से विफल रहा है। उन्होंने कहा, 'ये मेरे आँकड़े नहीं हैं। कृषि विभाग के आँकड़े रोडमैप की विफलता की ओर इशारा करते हैं और ज़रूरी सुधारात्मक उपाय किए बिना उन्हें जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। कम से कम, कृषि मंत्री के रूप में, मैं इस रोड मैप का विस्तार नहीं कर सकता। अगर सरकार तीसरे कृषि रोड मैप को 2022 से आगे बढ़ाना चाहती है तो सरकार किसी अन्य विभाग को नोडल विभाग बना सकती है।'

बता दें कि पहला कृषि रोड मैप 2008 में एक छोटे बजट के साथ लॉन्च किया गया था। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्य में 'इंद्रधनुष क्रांति' की शुरुआत करने के उद्देश्य से 2012 में राज्य के लिए दूसरा कृषि रोडमैप लॉन्च किया था। 2017 में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तीसरा लॉन्च किया, जिसे बिहार में एनडीए सरकार ने 2022 से आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया था। तब कृषि मंत्रालय भाजपा के पास था। कृषि के लिए पिछले दो रोडमैप में लगभग ₹3 लाख करोड़ का बजट था।

बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में एनडीए शासन के दौरान 2006 में एपीएमसी अधिनियम और 'मंडी' (कृषि उपज के थोक बाजार) को निरस्त कर दिया था। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सिंह कहा, 'राज्य के कृषि मंत्री होने के नाते, मैं राज्य में महागठबंधन सरकार के गठन के बाद कृषि विभाग में भाजपा के एजेंडे को जारी नहीं रखने दूंगा।'