फिर क्यों छिड़ी नीतीश के यूपी से चुनाव लड़ने की बात?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्री और उनके करीबी नेता श्रवण कुमार ने यह कहकर बिहार की राजनीति में काफी हलचल पैदा कर दी है कि यूपी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि नीतीश कुमार उत्तरप्रदेश के फूलपुर या वहां की किसी दूसरी किसी सीट से चुनाव लड़ें। कुछ महीनों पहले भी ऐसी बात सामने आई थीं लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडा पड़ गया था। सवाल यह है कि रह-रहकर नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने की जो बात छेड़ी जाती है उसके पीछे क्या कारण हैं।
मंत्री श्रवण कुमार उत्तर प्रदेश जदयू के प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा है कि फूलपुर के अलावा नीतीश कुमार को प्रतापपुर, जौनपुर और अंबेडकरनगर समेत कई जगहों से चुनाव लड़ने का आमंत्रण मिल रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार चाहे जहां से चुनाव लड़ें उनके चुनाव लड़ने की घोषणा एक तरफ से राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती के साथ उतरने का संकेत है।
फूलपुर लोकसभा सीट वैसे तो कभी पंडित जवाहरलाल नेहरू की सीट होने की वजह से मशहूर है लेकिन यहां का जातीय समीकरण ऐसा है जो जनता दल (युनाइटेड) को नीतीश कुमार के लिए अनुकूल लगता है। प्रसिद्ध समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने 1962 में यहां से जवाहरलाल नेहरू को चुनौती दी थी हालांकि वह इसमें कामयाब नहीं हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं। फिलहाल इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की केसरी देवी पटेल का कब्जा है जो खुद कुर्मी जाति से आती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर नीतीश कुमार को समाजवादी पार्टी का साथ मिलता है और कांग्रेस भी उनका समर्थन करे तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को कुछ इलाकों में एक हद तक कम किया जा सकता है।
एक दूसरी सोच यह भी है कि नीतीश कुमार की राष्ट्रीय छवि बने, इसलिए उन्हें बिहार छोड़कर उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव में 'इंडिया' गठबंधन से खड़ा करने की योजना बनाई जा रही है। जदयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव का कहना है कि नीतीश कुमार केवल बिहार के नहीं बल्कि पूरे देश के नेता हैं इसलिए विभिन्न राज्यों के कार्यकर्ताओं ने नीतीश कुमार को चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया है।
जनता दल (युनाइटेड) के सूत्रों का कहना है कि फूलपुर में सबसे ज्यादा पटेल (कुर्मी), यादव और मुसलमान वोटर हैं। चूंकि नीतीश कुमार खुद कुर्मी बिरादरी से आते हैं इसलिए जातीय समीकरण के लिहाज से उनके लिए यह सीट फिट बैठती है। जदयू के नेता यह भी कहते हैं कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में सर्वाधिक लोकप्रिय होने के बावजूद वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था उसी तरह नीतीश कुमार भी बिहार में बेहद लोकप्रिय होने के बावजूद फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि जनता दल (युनाइटेड) इसे मौके के रूप में देख रहा है लेकिन अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं हो तो यह नीतीश कुमार के लिए एक चुनौती भी साबित हो सकती है। दूसरी और अगर नीतीश कुमार वहां अपनी अच्छी पकड़ पैदा करते हैं तो निश्चित रूप से इससे भारतीय जनता पार्टी के लिए गंभीर समस्या हो सकती है।
नीतीश कुमार ने पिछला लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा था। तब वह दो सीटों- बाढ़ और नालंदा से खड़े हुए थे। हालांकि तब वह बाढ़ से चुनाव हार गए थे जहां उन्होंने लगातार पांच बार जीत हासिल की थी। तब नीतीश कुमार ने नालंदा सीट से जीत हासिल की थी लेकिन एक साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ उनके गठबंधन को बहुमत मिला था और वह तब मुख्यमंत्री बने थे।
उत्तर प्रदेश से नीतीश कुमार को चुनाव लड़वाने की योजना पर जदयू किस हद तक कायम रहता है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश कुमार को निशाने पर ले लिया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी का मानना है कि नीतीश कुमार का जनाधार खिसक चुका है और वे फूलपुर से लड़ें या अपने गृह जिला नालंदा से, उनकी जमानत ज़ब्त होगी। इस मामले को राजनीतिक ट्विस्ट देते हुए वह यह भी कहते हैं कि नीतीश कुमार को बिहार की जनता पर भरोसा नहीं रहा, इसलिए यूपी में उनके लिए कोई सुरक्षित सीट खोजी जा रही है।
इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी इसे मजाक के रूप में ले रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार बिहार में चुनाव लड़ने लायक नहीं रहे तो अब यूपी के फूलपुर भाग रहे हैं।
इन दो नेताओं के बयान से लगता है कि नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने को भारतीय जनता पार्टी भले ही मजाक कहे, लेकिन वे एक तरह इसे गंभीरता से ले रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि फूलपुर से लड़ने की बात जदयू हवा में नहीं कह रही है, बल्कि चुनाव की घोषणा से काफी पहले इसकी चर्चा करना उनकी गंभीरता और तैयारियों का संकेत बताया जा रहा है। जदयू इस घोषणा के जरिए नीतीश कुमार के लिए माहौल बनाने में जुटा हुआ है।
नीतीश कुमार के लिए अपने गृह जिले की नालंदा सीट से लोकसभा पहुंचना कितना मुश्किल नहीं होगा लेकिन सवाल यह है कि क्या जनता दल (युनाइटेड) के अलावा 'इंडिया' के दो महत्वपूर्ण घटक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी इस प्रस्ताव के लिए तैयार होगी? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनता दल (युनाइटेड) के नेता चाहे जो कहें जब तक सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस प्रस्ताव पर हामी नहीं भरते, नीतीश कुमार के लिए फूलपुर से चुनाव लड़ने की संभावना कम ही रहेगी।