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'नफरत फैलाने वाले ग्रंथ' के बयान से क्या भाजपा को संजीवनी मिली?

'नफरत फैलाने वाले ग्रंथ' के बयान से क्या भाजपा को संजीवनी मिली?

बिहार में आरजेडी नेता और मंत्री चंद्रशेखर ने हाल ही में तुलसीदास रचित रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया। आरजेडी नेता के इस बयान पर दक्षिणपंथी पार्टी बीजेपी बहुत भड़की हुई है। लेकिन आरजेडी नेता ने क्या यह बयान जानबूझकर दियाः

दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़े राष्ट्रीय जनता दल के कोटे से शिक्षा मंत्री का पद संभाल रहे प्रोफेसर चंद्रशेखर के उस बयान को भारतीय जनता पार्टी अपने लिए संजीवनी की तरह इस्तेमाल करना चाह रही है जिसमें उन्होंने तीन ग्रंथों को नफरत फैलाने वाली पुस्तक बताया था।भारतीय जनता पार्टी को एक तरफ मनमाफिक मुद्दा मिलता हुआ नजर आ रहा है तो दूसरी तरफ उसके लिए खुश होने की बात यह भी है कि इस मुद्दे पर आरजेडी और जेडीयू के नेता अलग-अलग सुर में बात कर रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी को इस मामले में मीडिया से भी काफी मदद मिल रही है जिसने दो अन्य पुस्तकों 'मनुस्मृति' और 'बंच ऑफ थॉट्स' को किनारे कर सिर्फ रामचरित मानस को बहस का मुद्दा बना दिया है। ध्यान रहे कि मंत्री चंद्रशेखर के बयान में ये तीनों पुस्तकें शामिल थीं और उन्होंने रामचरित मानस के कुछ दोहों के बारे में कहा था कि उनसे नफरत फैलती है।यह बयान उन्होंने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के कन्वोकेशन में दिया था और बाद में पत्रकारों से पूछे गए सवाल पर वह अपने उस पर कायम रहे थे।चंद्रशेखर मधेपुरा से लगातार तीसरी बार आरजेडी के टिकट पर विधायक बने। 

बिहार में 7 जनवरी से शुरू हुई जातीय जनगणना के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी जहां आपस में बिखरी हुई और बैकफुट पर नजर आ रही थी, वहीं चंद्रशेखर के उस बयान के बाद वह काफी आक्रामक नजर आ रही है। ऐसा लगता है कि बिहार में नीतीश कुमार से अलग होने के बाद मुद्दाविहीन चल रही भारतीय जनता पार्टी को अपने एजेंडा के मुताबिक वह मुद्दा मिल गया है जिसे वह भुनाने के प्रयास में लग गई है।

भारतीय जनता पार्टी इस प्रयास में लगी है कि वह इस मुद्दे को हिंदू धार्मिक ग्रंथ और हिंदू धर्म के अपमान का मुद्दा बना दे। पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी लगातार यह बयान दे रहे हैं कि राष्ट्रीय जनता दल हिंदू विरोधी पार्टी है। वह चंद्रशेखर को हिंदू विरोधी व मानस द्रोही बताकर उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं।

इस मामले में सुशील कुमार मोदी की लगातार कोशिश है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी घसीटें और उनसे बार-बार सवाल कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने अब तक इस मामले में सिर्फ इतना कहा है कि उन्हें इस बयान की जानकारी नहीं है और वह शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से इस पर बात करेंगे।

नीतीश कुमार ने भले ही इस मामले में बयान देने से खुद को रोके रखा है लेकिन उनके दो प्रमुख नेता जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जदयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस सुर में बात कर रहे हैं जो आरजेडी और जदयू के बीच दरार बढ़ाने वाला ही माना जा सकता है। ललन सिंह तो सिर्फ यह कह रहे हैं कि राजद नेतृत्व को शिक्षा मंत्री पर फैसला लेना चाहिए लेकिन उपेंद्र कुशवाहा इसे काफी तूल देते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह राजद के मंत्री और नेता बोल रहे हैं उससे साफ लगता है कि वह भाजपा की मदद कर रहे हैं। उन्होंने राजद पर भाजपा से मिलीभगत का भी आरोप लगाया। रोचक बात यह है कि खुद उपेंद्र कुशवाहा के बारे में यह अफवाह उड़ी हुई है कि वे भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाने जा रहे हैं और उन्हें बार-बार इस बात से इंकार करने वाला बयान भी देना पड़ रहा है।

जदयू के एमएलसी नीरज कुमार ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान से अलग स्टैंड लेने का परिचय देने के लिए एक हनुमान मंदिर में कुछ अन्य नेताओं के साथ रामचरित मानस का पाठ भी किया है।इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी भी मंत्री के साथ नहीं दिखते लेकिन राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि वह मंत्री के साथ हैं। आरजेडी के दूसरे नेता भी एक तरह से मंत्री का समर्थन ही कर रहे हैं हालांकि इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव या लालू प्रसाद का कोई बयान नहीं आया है। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने कुछ दोहों के संदर्भ में बातें रखी हैं। उन्होंने इस मामले में उपेंद्र कुशवाहा के बयान को गलत बताया है। राजद के पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम ने भी कहा कि मंत्री चंद्रशेखर ने जो बातें कही हैं वह रामचरित मानस में लिखी हुई हैं और उन्होंने अपने मन से कोई बात नहीं कही है।

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने बाद के बयान में यह भी कहा है कि राम व रामचरितमानस दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर है! उन्होंने ट्वीट कर कहा-

मैं उस श्री राम की पूजा करता हूँ जो माता शबरी के जूठे बेर खाते हैं, जो माँ अहिल्या के मुक्तिदाता हैं, जो जीवन भर नाविक केवट के ऋणी रहते हैं, जिनकी सेना में हाशिये के समूह से आने वाले वन्यप्राणी वर्ग सर्वोच्च स्थान पर रहते हैं!


- चंद्रशेखर, मंत्री और आरजेडी नेता, पटना में

चंद्रशेखर कहते हैं-

मैं उस रामचरित मानस का विरोध करता हूँ जो हमें यह कहता है की जाति विशेष को छोड़ कर बाक़ी सभी नीच हैं! जो हमें शूद्र और नारियों को ढोलक के समान पीट पीट कर साधने की शिक्षा देता है! जो हमें गुणविहीन विप्र की पूजा करने एवं गुणवान दलित, शूद्र को नीच समझ दुत्कारने की शिक्षा देता है!


- चंद्रशेखर, मंत्री और आरजेडी नेता, पटना में

उनकी यह बातें फिलहाल जनता दल (यूनाइटेड) को यह मानने के लिए तैयार नहीं कर पाई हैं कि उनका बयान हिन्दू धर्म का अपमान नहीं, तो यह कैसे माना जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी उनके जवाब से चुप हो जाएगी। इस मुद्दे पर आरजेडी को कांग्रेस का भी साथ नहीं मिला बल्कि उसके एक नेता अजित शर्मा ने भी वही बातें कहीं जो भारतीय जनता पार्टी और जदयू के नेता कह रहे हैं। अलबत्ता, मंत्री को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वामपंथी दलों का समर्थन जरूर मिला है।

ध्यान देने की बात यह है कि इससे पहले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से जो दो मंत्री हटे या हटाए गए हैं, उनका संबंध आरजेडी से ही था। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ कोई कड़ा फैसला लेना बहुत कठिन होगा। ऐसा लगता है कि वह इस मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं लेकिन उनके नेता जिस तरह के बयान दे रहे हैं उससे महागठबंधन में खटास भी बढ़ सकती है।

कई राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं कि तथ्यात्मक रूप से मंत्री का बयान सही या गलत हो सकता है लेकिन उनका बयान पॉलिटिकली इनकरेक्ट यानी राजनैतिक रूप से घाटे का है। यह बात भी ध्यान देने की है कि नीतीश कुमार मीडिया के दबाव में आकर अगर कोई फैसला लेते हैं तो उन्हें बराबर इस तरह के दबाव का सामना करना पड़ेगा हालांकि नीतीश कुमार मीडिया को अपने कब्जे में रखने के लिए जाने जाते हैं, उसके कब्जे में जाने के लिए नहीं।

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