विकास दुबे को ब्राह्मण शेर बताने पर डीजीपी पांडेय भड़के, बोले - अपराधियों को हीरो न बनाएं
इस तरह की पोस्ट को ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों का कैसा समर्थन मिला, देखिए।
हालांकि सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने विकास दुबे को ब्राह्मण शेर बताने वालों को जोरदार फटकार लगाई है। ऐसे लोगों ने कहा है कि विकास दुबे की गोली से शहीद हुए सीओ, बिल्हौर भी तो ब्राह्मण थे।
अब पढ़िए, डीजीपी पांडेय का बयान। डीजीपी कहते हैं, ‘कितने शर्म और अफ़सोस की बात है कि ऐसे पेशेवर हत्यारे का महिमामंडन किया जा रहा है। अपनी-अपनी जाति के अपराधियों को लोग हीरो बना रहे हैं। अगर लोग इस तरह करेंगे तो अपराध की संस्कृति तो फूलेगी-फलेगी ही।’
पांडेय कहते हैं, ‘शेर है यह, नपुंसक भी किसी को गोली मार सकता है। वह अपराधी शेर हो गया। वो आए बिहार में, उसे बताया जाएगा कि शेर क्या होता है। शेर वो होता है जो वतन के लिए शहीद होता है।’ वह कहते हैं कि अपराधी किसी जाति का हो, किसी मज़हब का हो, किसी दल का हो, वह सिर्फ़ अपराधी होता है।
पांडेय ने कहा कि अपराध की संस्कृति के ख़िलाफ़ जनता को भी लड़ना होगा क्योंकि अपराध की संस्कृति को केवल पुलिस ख़त्म नहीं कर सकती है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे को ब्राह्मण शेर बताने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू कर दी है। कानपुर में कोचिंग संस्थान चलाने वाले एक शख़्स सहित रीता पांडेय नाम की महिला के ख़िलाफ़ भी पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है। पुलिस लगातार ऐसे लोगों पर नजर रख रही है।
लेकिन क्या ऐसे लोगों को ख़ुद पर शर्म नहीं आती कि वे एक कुख़्यात बदमाश को अपनी जाति से जोड़कर उसका महिमामंडन कर रहे हैं। और ऐसा सिर्फ़ ब्राह्मण जाति में हुआ हो, ऐसा नहीं है। आप सोशल मीडिया देखिए, अपनी जाति या अपने मज़हब से आने वाले बदमाशों को कुछ लोग किस तरह फ़ॉलो करते हैं। उन्हें हीरो का दर्जा देते हैं। ऐसे लोग ख़ुद तो मानसिक रूप से भ्रष्ट हैं ही, छोटे बच्चों और समाज के युवा वर्ग को भी जरायम की दुनिया में धकेलने का काम कर रहे हैं।
डीजीपी पांडेय जैसे सीनियर पुलिस अफ़सर की बात सुनने के बाद तो कम से कम ऐसे लोगों की बुद्धि पर पड़ा पत्थर हट जाना चाहिए। उन्हें समझ आना चाहिए कि ऐसे दुर्दांत अपराधी को अपना हीरो बनाकर वह पूरे समाज के साथ ही देश का भी बहुत बड़ा नुक़सान कर रहे हैं।