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नीति आयोग की बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार क्यों नहीं पहुंचे?

नीति आयोग की बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार क्यों नहीं पहुंचे?

नीति आयोग की बैठक में शनिवार 27 जुलाई को बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी नहीं पहुंचे। इसे लेकर तमाम अटकलें शुरू हो चुकी हैं। हालांकि नीतीश खुद बजट 2024 से संतुष्ट हैं। लेकिन फिर भी वो इतनी महत्वपूर्ण बैठक में नहीं आए। दूसरी तरफ पीएमओ से भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को स्पष्ट निर्देश था कि उन्हें बैठक में आना है। लेकिन ममता बनर्जी ने फिलहाल रंग में भंग कर दिया है। जानिए पूरी बातः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न नीतिगत मामलों पर चर्चा के लिए शनिवार को नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की। तमाम विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने बैठक में भाग नहीं लिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, ने बैठक में भाग लिया। लेकिन उनका माइक बंद किए जाने और बोलने के लिए सिर्फ पांच मिनट दिए जाने की वजह से उन्होंने बैठक के बीच वॉकआउट कर दिया। लेकिन बैठक में शामिल लोगों की नजरें बिहार के सीएम नीतीश कुमार को तलाश रही थीं लेकिन वे बैठक में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे।

नीति आयोग, जो केंद्र सरकार का शीर्ष सार्वजनिक नीति थिंक टैंक है, में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, कई केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल (एलजी) और कई केंद्रीय मंत्री इसके सदस्य हैं। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक में हिस्सा लेने और अपनी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों को उजागर करते हुए पीएम मोदी के सामने एक प्रेजेंटेशन देने का निर्देश दिया गया था।

बैठक का बहिष्कार करने वाले विपक्षी मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी, केरल के मुख्यमंत्री और सीपीआई (एम) नेता पिनाराई विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सभी तीन कांग्रेस मुख्यमंत्री - कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी ने नीति आयोग की अहम बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया। दरअसल, नीति आयोग के बैठक के बहिष्कार का पहला कदम डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने उठाया था।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक में उनके राज्य का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने किया। महत्वपूर्ण बैठक से नीतीश की अनुपस्थिति का कारण तुरंत ज्ञात नहीं हो सका। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने बजट प्रस्तावों को मंजूरी दे दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री को लगा कि बैठक में शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नीतीश अपना इस तरह से विरोध भी दर्ज करा रहे हैं। मोदी सरकार जेडीयू और टीडीपी के समर्थन से मुख्य रूप से चल रही है। टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू इस बैठक में शामिल हुए और उन्हें 20 मिनट बोलने का मौका भी दिया गया।

दूसरी तरफ जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी विपक्षी मुख्यमंत्रियों के न आने पर बयान दे रहे हैं लेकिन नीतीश के न आने पर चुप्पी साधे हुए हैं। त्यागी ने शनिवार को एएनआई से कहा- "यह वह संगठन है जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच धन आवंटन की समस्या को हल करता है। यह अधिकारों की रक्षा करता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है जो उनके राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है...।"

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