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नीतीश ने जेडीयू के मंत्रियों-विधायकों की बैठक क्यों बुलाई?

नीतीश ने जेडीयू के मंत्रियों-विधायकों की बैठक क्यों बुलाई?

बिहार में शुक्रवार को काफी राजनीतिक गहमागहमी रही। लालू यादव से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे गए तो नीतीश कुमार ने जेडीयू के मंत्रियों-विधायकों की बैठक बुला ली। तो सवाल है कि क्या नीतीश कुछ बड़ा फ़ैसला लेने वाले हैं?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को जब जेडीयू के सभी मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाई तो कयास लगाए जाने लगे कि क्या वह कोई बड़ा फ़ैसला लेने वाले हैं। ये कयास इसलिए भी लगाए जाने लगे क्योंकि नीतीश को जब कोई बड़ा क़दम उठाना होता है तो वो विधायकों के साथ विचार-विमर्श करते हैं। हालाँकि, इन कयासों के बीच ही ख़बर आई कि बैठक राज्यसभा उम्मीदवार के चयन को लेकर बुलाई गई और उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्यसभा सीट पर उम्मीदवार के चयन के लिए अधिकृत किया गया है।

तो क्या किसी बड़े फ़ैसले को लेकर कयास यूँ ही लगाए गए? जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस बैठक की अध्यक्षता की और बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत सभी प्रमुख नेता मौजूद थे उससे संदेश यही गया कि कुछ बड़ा फ़ैसला होने वाला है। हालाँकि कहा गया कि बैठक राज्यसभा उम्मीदवार के चयन को लेकर बुलाई गई थी, लेकिन जिन हालात में यह बैठक हुई वह चर्चा का विषय बनी रही। 

इस बैठक से पहले सीबीआई ने लालू यादव के ख़िलाफ़ एक और मामले में राबड़ी देवी के आवास पर छापेमारी की। आरजेडी के विधायकों-कार्यकर्ताओं में राजनीतिक गहमागहमी बनी रही। इसी बीच नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के मंत्रियों-विधायकों की बैठक बुलाकर अटकलों को और बल दिया। 

इन अटकलों को इसलिए भी बल मिला है कि हाल में नीतीश और आरजेडी नेताओं के बीच क़रीबी बढ़ने की रिपोर्टें आ रही हैं। नीतीश कुमार जाति आधारित जनगणना पर सभी दलों की बैठक बुलाने जा रहे हैं। इसी बीच क़रीब हफ़्ते भर पहले ख़बर यह भी आई कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच जातीय जनगणना के बहाने बंद कमरे में वन टू वन बातचीत हुई।

कहा जा रहा है कि तेजस्वी बिहार में जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर नीतीश से मिलने गये थे। ये मुलाकात बेहद दिलचस्प थी क्योंकि तेजस्वी जब नीतीश से मिलने गये तो पार्टी के किसी दूसरे नेता को साथ नहीं ले गये थे और जब मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकले तो नीतीश को लेकर उनके तेवर बदले हुए थे। 

नीतीश कुमार पिछले एक महीने से तेजस्वी से रिश्ते सुधारने की सार्वजनिक तौर पर कवायद करते दिख रहे हैं। वे तेजस्वी यादव के घर इफ्तार की दावत में भी पहुँचे थे।

एक दूसरी सियासी इफ्तार पार्टी में वे तेजस्वी को उनकी गाड़ी तक छोड़ने गये थे। इन वाकयों के बाद सियासी चर्चा जोरों पर है कि क्या तेजस्वी से नज़दीकी दिखा कर नीतीश बीजेपी को कुछ संकेत दे रहे हैं?

बहरहाल, इन अटकलों से अलग उस बैठक के बाद मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर बैठक बुलाई गई थी। क्या आरसीपी सिंह फिर से राज्यसभा जायेंगे, इस सवाल पर नीतीश के क़रीबी मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया है।

हालाँकि इसके लिए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का नाम चल रहा है, लेकिन कहा जा रहा है कि बैठक में आरसीपी नहीं पहुंचे। कहा तो यह भी जा रहा था कि शायद इस बार केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह को तीसरी बार उम्मीदवार न बनाया जाए। हालाँकि, उनको टिकट न देने से भी बीजेपी को ग़लत संदेश जाएगा क्योंकि वह बीजेपी जेडीयू के बीच पुल का काम कर रहे हैं। तो सवाल है कि क्या यह बैठक राज्यसभा सीट के लिए सिर्फ़ आरसीपी की उम्मीदवारी को लेकर बुलाई गई थी या इसका कुछ और संकेत भी है?

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