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बीजेपी-जेडीयू 17-17 सीटों पर, एलजेपी 6 सीटों पर लड़ेगी चुनाव

बीजेपी-जेडीयू 17-17 सीटों पर, एलजेपी 6 सीटों पर लड़ेगी चुनाव

एनडीए के साझेदारों में बिहार में लोकसभा चुनावों की सीटों  पर सहमति बन गई है। समझा जाता है कि इससे सभी दल  संतुष्ट हैं और किसी तरह का मतभेद नहीं रहा। 

केंद्रीय खाद्य मंत्री और एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान के एनडीए में बने रहने को लेकर छाई धुंध अब पूरी तरह छंट गई है। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच बिहार में सीटों के बंटवारे के ऐलान के साथ ही एनडीए में टूट का खतरा पूरी तरह टल गया है। अब बीजेपी अपने गठबंधन को बचाने में पूरी तरह कामयाब हो गई है। सीटों के बंटवारे के मुताबिक़, बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर और एलजेपी 6 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा बीजेपी रामविलास पासवान को असम से राज्यसभा में भेजेगी। 

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज अपने सहयोगी दलों के नेताओं बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और केंद्रीय खाद्य मंत्री और एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान के साथ उनके सांसद बेटे और उनकी पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान की मौजूदगी में यह एलान किया। सीटों के बंटवारे के ऐलान के साथ ही के साथ ही उन्होंने दावा किया कि बिहार की लगभग सभी सीटें इस बार एनडीए जीतेगा। लोकसभा की 6 सीटों के साथ ही एक राज्य सभा सीट मिलने से खुश रामविलास पासवान ने भी अमित शाह के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि इस बार बिहार की सभी सीटें एनडीए जीतेगा। 

पिछले लोकलभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे 22 सीटों पर जीत मिली थी। एलजेपी को छह और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को तीन सीटें मिली थीं। आरएलएसपी ने बीते दिनों एनडीए छोड़ दिया। बीजेपी ने बिहार में  सहयोगी दलों के नेताओं से बात करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली को लगाया था, जो पार्टी में बिहार मामलों के जानकार समझे जाते हैं। वे पहले भी बिहार में बात कर चुके हैं। उनके बात करने से यह संकेत गया था कि बीजेपी इस मामले को लेकर गंभीर है, यह एक सकारात्मक संकेत था। समझा जाता है कि बातचीत होने में इससे मदद मिली थी। साल 2014 में जदयू ने लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ा था और उसे सिर्फ़ दो सीटों पर कामयाबी मिली थी। यह बेहद बुरा नतीजा था और उस समय इसे लेकर पार्टी नेतृत्व मायूस था।  

बीजेपी रामविलास पासवान और उनकी पार्टी के ज़रिए महादलितों तक पहुँचना चाहती है। उसके पास बिहार में दलित या महादलित समुदाय का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उसके कई फ़ैसले ऐसे हुए हैं जिससे यह संकेत गया है कि पार्टी दलितों को लेकर गंभीर नहीं है। पासवान के बहाने पार्टी इस समुदाय को एक संकेत देना चाहती है।

यूपी का पेच

सूत्रों के मुताबिक़, पासवान बिहार से बाहर भी बीजेपी से कम से कम एक लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश या झारखंड में चाहते हैं। हालांकि बीजेपी अभी इसके लिए राज़ी नहीं है। लेकिन अगर चुनाव के वक्त पासवान इस पर दबाव बनाएंगे तो बिहार में उनके हिस्से की एक सीट कम कर दी जाएगी। इस बारे में अमित शाह ने आज कुछ भी बोलने से साफ़ इनकार कर दिया। दो दिन पहले अरुण जेटली के साथ रामविलास पासवान और चिराग पासवान की बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि बिहार में एलजेपी पांच सीटे लड़ेगी और एक सीट बिहार से बाहर झारखंड या उत्तर प्रदेश में उसे दी जाएगी। रामविलास पासवान के लिए राज्यसभा की सीट बीजेपी अपने अपने कोटे से देगी।

 - Satya Hindi

तेजस्वी का तंज़

बीजेपी और उसके सहयोगी दोनों के बीच हुए सीटों के बंटवारे पर आरजेडी अध्यक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके तंज़ किया है। उन्होंने लिखा है कि नोटबंदी के 2 साल बाद सरकार से सवाल पूछने का पासवान को फायदा मिला है। उन्होंने कहा है कि बिहार में एनडीए की हालत कितनी पतली है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चुनाव में 22 सीटें जीतने वाली बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 2 सीटें जीतने वाली जेडीयू 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा है कि जनता एनडीए को सबक सिखाएगी।

बीजीपे का हाथ थामने के बाद मुसलमान रामविलास पासवान और नीतीश कुमार से राम मंदिर पर सवाल कर सकते हैं। जदयू का मुसलिम सम्मेलन बुरी तरह नाकाम हो गया, पासवान क्या जवाब देंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

सीटों के बंटवारे के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2019 का चुनाव विकास के मुद्दे पर होगा और एनडीए राज्य की लगभग सभी सीटें जीतेगा। बीजेपी की तरफ से राम मंदिर मुद्दा उठाए जाने पर नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर टिप्पणी ना करते हुए सिर्फ इतना कहा कि उनकी पहले से यह राय है  कि इस मुद्दे का हल आपसे बातचीत से निकले या फिर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सभी पक्ष मानें। रामविलास पासवान भी राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी की तरफ से संसद में विधायक या अध्यादेश लाने की कोशिशों पर नाराजगी जताते जता चुके हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने इस बाबत पूछे गए सवाल को टाल कर खुद को इस विवाद में फंसने से बचा लिया।

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