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बिहार: इस बार डिजिटल ग्राउंड पर लड़ा जाएगा चुनाव, बीजेपी तैयारियों में आगे

बिहार: इस बार डिजिटल ग्राउंड पर लड़ा जाएगा चुनाव, बीजेपी तैयारियों में आगे

कोरोना महामारी के बीच इस बार बिहार का चुनाव डिजिटल होगा। बीजेपी डिजिटल चुनाव की तैयारियों में सबसे आगे है लेकिन विपक्ष का कहना है कि वह कोरोना संकट में भी राजनीति कर रही है।

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है, हर राजनीतिक दल ने अपने-अपने मुद्दों के साथ तैयारी भी शुरू कर दी है। बिहार की चुनावी राजनीति में बीजेपी ने डिजिटल सियासत की छौंक लगा दी है। इस छौंक को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल भी दागने शुरू कर दिए हैं। 

कुल मिलाकर बिहार में फिलहाल डिजिटल सियासत का पारा गर्म है। हालांकि बिहारवासियों का डिजिटल के बारे में हमेशा सवाल रहा है क्योंकि बिहार में नेटवर्क की समस्या बहुत बड़ी है। सिर्फ छोटे शहरों की नहीं बल्कि पटना जैसे बड़े शहर में भी लोग नेटवर्क के लिए शिकायत करते हैं।   

कोरोना संकट ने बदला तरीक़ा

कोरोना के संकट ने राजनीतिक दलों द्वारा लोगों से संपर्क करने के तरीक़ों में बड़ा बदलाव कर दिया है। मुझे याद है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कवरेज के लिए मैं अपने दफ्तर की तरफ से जब बिहार पहुंचा था, उस समय भी स्वाभाविक रूप से सियासी पारा चढ़ा हुआ होता था। वैसे भी बिहार का एक अपना स्वभाव है चाय और पान की दुकान वहां राजनीतिक चर्चा का ठिकाना होती हैं और नेता उसी ठिकाने को अपना शिकार बनाने की जुगत में रहते हैं। लेकिन कोरोना काल की वजह से इस समय यह संभव नहीं हो पा रहा है। 

लिहाजा, बीजेपी ने डिजिटल चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है। लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने गोपालगंज में हुए ट्रिपल मर्डर के विरोध में लॉकडाउन के दौरान भी सड़क मार्ग से जाने की कोशिश कर ग्राउंड की राजनीति की ज़रूरत का भी संकेत दिया है। तेजस्वी यादव गोपालगंज में यादव परिवार के तीन लोगों की हत्या को अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना चुके हैं। 

लॉकडाउन में घर से निकल कर गोपालगंज जाने की जिद ने तेजस्वी को राष्ट्रीय स्तर पर कवरेज भी दिलवा दी है। दूसरी तरफ, कांग्रेस और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी ने प्रवासी मजदूरों की समस्या को राजनीतिक एजेंडा बनाया है।

आर्थिक पैकेज को मुद्दा बनाएगी बीजेपी  

जाहिर है कि केंद्र में पूर्ण बहुमत और राज्य में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ सरकार चला रही बीजेपी खामोश नहीं बैठी है और उसने चुनाव प्रचार में बढ़त बना ली है। पार्टी ने नीति बनाई है कि केंद्र के बड़े नेता डिजिटली और राज्य स्तरीय नेता ग्राउंड पर काम करेंगे। मुद्दा होगा प्रधानमंत्री का 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज। इस पैकेज को भुनाने में बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। रणनीति है कि इस पैकेज को भुनाने के लिए हाईटेक तरीका अपनाया जाए। 

वर्चुअल रैली करेगी बीजेपी 

बीजेपी प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज की बातों को आमजन तक पहुंचाने में जुट गई है। इसको लेकर बीजेपी वर्चुअल रैली, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वन टू वन जनसंपर्क अभियान शुरू कर चुकी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताया कि 7 जून से इसे पूरी तरह लांच कर दिया जाएगा। एक वर्चुअल रैली में एक साथ हजार लोगों को फेसबुक, ज़ूम, वेबिनार के माध्यम से जोड़कर रैली की जाएगी। 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वन टू वन संवाद भी किया जाएगा। बीजेपी इसकी तैयारी में 20 लाख करोड़ के पैकेज के विवरण को भी पैम्फ़लेट में डालेगी और इसे लोगों तक पहुंचाया जाएगा। 

बीजेपी 30 मई को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का फेसबुक लाइव करा चुकी है। 9 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह फेसबुक पर बिहार के बीजेपी नेताओं से रूबरू होंगे।

बीजेपी ने इसे लेकर 5 सदस्य टीम की घोषणा भी कर दी है, जिसमें उपाध्यक्ष राजेश वर्मा, राजेंद्र गुप्ता, महामंत्री देवेश कुमार, मंत्री अमृता भूषण और राकेश सिंह को शामिल किया गया है। ये सभी प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज का प्रचार-प्रसार हाईटेक तरीक़े से करेंगे। 

बीजेपी के इस प्रचार को लेकर कांग्रेस नेता प्रेमचन्द्र मिश्रा ने उससे पूछा है कि वह यह बताए कि प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज में बिहार को कितना हिस्सा मिला है। मिश्रा के मुताबिक़, इससे पहले भी प्रधानमंत्री ने विशेष पैकेज का एलान करने के बाद बिहार को धोखा दे दिया था। 

बीजेपी के इस हाईटेक प्रचार पर जेडीयू कुछ भी कहने से बच रही है। लेकिन विपक्ष इस पर हमलावर है। विपक्ष यह भी कहता है कि कोरोना संकट में भी बीजेपी अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही है। लेकिन बीजेपी का मानना है कि अब कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा और ऐसे ही माहौल में राजनीति भी करनी होगी।

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