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नीतीश ने आपा खोया, नाम लिए बग़ैर कहा, ‘बाप से पूछो!'

नीतीश ने आपा खोया, नाम लिए बग़ैर कहा, ‘बाप से पूछो!'

चुप और गंभीर रहने वाले, नपा-तुला और बेहद ज़िम्मेदारी से बोलने वाले और राजनीतिक विरोधियों पर भी संतुलित टिप्पणी करने वाले नीतीश कुमार को क्या हो गया है? वह क्यों बार-बार आपा खो रहे हैं?

चुप और गंभीर रहने वाले, नपा-तुला और बेहद ज़िम्मेदारी से बोलने वाले और राजनीतिक विरोधियों पर भी संतुलित टिप्पणी करने वाले नीतीश कुमार को क्या हो गया है वह क्यों बार-बार आपा खो रहे हैं वह अपने बेटे की उम्र के तेजस्वी यादव पर निजी टिप्पणी क्यों कर रहे हैं क्या वह चुनाव प्रचार में कुुछ असहज महसूस कर रहे हैं क्या उनकी टिप्पणियों से लगता है कि यह चुनाव उनके हाथ से निकल रहा है

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि बिहार के मुुख्यमंत्री एक के बाद एक कई बार ऐसी टिप्पणियां कर चुके हैं, जो उनके निजी स्वभाव या राजनीतिक शैली से मेल नहीं खाती हैं। 

क्या कहा है नीतीश ने

नीतीश कुमार ने शनिवार को बेगूसराय ज़िले के तेघड़ा विधानसभा में आरजेडी शासन काल का ज़िक्र करते हुए कहा, 'जब लोगों को मौक़ा मिला तो उन्होंने क्या किया, एक स्कूल बनाया था'

फिर उन्होंने तेजस्वी यादव का नाम लिए बिना कहा,

‘अगर पढ़ना चाहते हो तो अपने बाप से पूछो, अपनी माता से पूछो कि कहीं कोई स्कूल था, कहीं कोई स्कूल बन रहा था, कहीं कोई कॉलेज बन रहा था ज़रा पूछ लो...राज करने का मौक़ा मिला तो ग्रहण करते रहे और जब अंदर चले गए, तो पत्नी को बैठा दिया गद्दी पर।’


नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

'अंदर चले गए' का तंज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव पर था जो फ़िलहाल जेल में है। इसी तरह 'पत्नी को बैठ दिया' का तंज भी उन्हीं पर था, क्योंकि लालू के जेल जाने पर उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था।

मुख्यमंत्री ने इसके आगे कहा,

'यही सब तो चल रहा रहा था, उसके बाद आज बता दो कहां कोई गड़बड़ है। आज कोई गड़बड़ करने वाला आदमी होगा तो अंदर जाएगा।'


नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

पहले भी आपा खोया है नीतीश ने

लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब नीतीश ने अपना आपा खोया है। बीते दिनों परसा विधानसभा चुनाव क्षेत्र में वह वहां मौजूद भीड़ पर ही भड़क उठे, क्योंकि उनमें से कुछ ने 'लालू यादव जिंदाबाद' का नारा लगा दिया। 

नीतीश ने नारा लगा रहे लोगों से कहा,

‘क्या बोल रहे हो, अनाप-शनाप क्यों बोल रहे हो, यहां पर हल्ला मत करो। तुमको अगर वोट नहीं देना है, तो मत दो।'


नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

उन्होंने उसके बाद लोगों से पूछा कि ये जो हल्ला कर रहे हैं, ये सही है या ग़लत।

इसके पहले नीतीश कुमार ने तेजस्वी के कम पढ़े-लिखे होने पर भी तंज किया था। बता दें कि तेजस्वी ने सिर्फ नवीं तक की पढ़ाई की है। नीतीश कुमार इंजीनियर हैं।

'थक गए हैं मुख्यमंत्री'

इसके पहले तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के बारे में कहा था कि वह थक चुके हैं और अब उनसे बिहार नहीं संभल रहा है। तेजस्वी ने नीतीश कुमार के इस ज़ोरदार और निजी हमले पर भी कोई तीखा पलटवार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि 'मुख्यमंत्री ने अपना चेहरा चमकाने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और अब हास्यास्पद आरोप लगा रहे हैं।'

बिहार में इन दिनों तेजस्वी की रैलियों में ज़बरदस्त भीड़ उमड़ रही है। ख़ास कर उनके 10 लाख लोगों को रोज़गार देने के वायदे को लोगों ने हाथों हाथ लिया है। उसके बाद से ही उनकी रैलियों में ज़बरदस्त भीड़ उमर रही है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि जनता के ऐसे रिस्पॉन्स की उम्मीद तो तेजस्वी ने भी नहीं की थी।

परेशान हैं नीतीश

नीतीश कुमार इस बात से चिंतित हैं कि अगर यह भीड़ वोटों में तब्दील हो गई तो उनका सत्ता में वापस आना बेहद मुश्किल हो जाएगा। हालांकि कुछ सर्वे नीतीश की सत्ता में वापसी की बात कह रहे हैं, लेकिन वे यह भी कह रहे हैं कि बिहार के लोगों में नीतीश से नाराज़गी बढ़ी है। 

बता दें कि तेजस्वी के माता-पिता से नीतीश के निजी संबंध रहे हैं, लालू प्रसाद यादव को नीतीश अपना बड़ा भाई बताते नहीं थकते थे। ख़ुद तेजस्वी नीतीश की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। 

तेजस्वी की चाल

लेकिन यह चुनाव अलग है। तेजस्वी एक मंझे हुए राजनेता के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने इस होशियारी के तहत ही सरकार बनने पर पहली ही बैठक में 10 लाख लोगों को रोज़गार देने से जुड़ी फ़ाइल पर दस्तख़त करने का एलान कर दिया। 

नीतीश कुमार इस पर चुप हैं। समझा जाता है कि वे इस कारण से ही तेजस्वी से खफ़ा हैं। 

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