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बिहार : पहले चरण की 71 सीटों के लिए प्रचार ख़त्म

बिहार : पहले चरण की 71 सीटों के लिए प्रचार ख़त्म

बिहार के 16 ज़िलों की 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होगा। इसके लिए 31 हज़ार मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसके लिए 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं, 2,14,6,960 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

विभिन्न राजनीतिक दलों में चले घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप के बीच  सोमवार की शाम बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार अभियान थम गया। राज्य के 16 ज़िलों की 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होगा। इसके लिए 31 हज़ार मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसके लिए 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं, 2,14,6,960 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स के अनुसार, पहले चरण के मतदान के लिए 25 से 30 साल की उम्र के 106 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके अलावा 347 उम्मीदवार 41 से 50 साल की उम्र के हैं।

1,066 उम्मीदवारों के भाग्य का फ़ैसला

सबसे उम्रदराज उम्मीदवार 79 साल के रामेश्वर पासवान हैं जो सिकंदरा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सबसे कम उम्र की 28 साल की दिव्या प्रकाश हैं, जो तारापुर से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश यादव की बेटी हैं। श्रेयासी सिंह 30 साल की हैं और बीजेपी टिकट पर जमुई से चुनाव लड़ रही हैं।

पहले चरण में सबसे अधिक 42 सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार हैं। प्रचार के अंतिम दिन यानी सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सकरा, महुआ, जनदाहा और महनार में चुनाव सभाओं को संबोधित किया।

तेजस्वी यादव ने हसनपुर में अपने बड़े भाई तेज प्रताप यादव के लिए वोट मांगे। समस्तीपुर स्थित इस सीट पर उनके ख़िलाफ़ जनता दल विधायक राजकुमार राय मैदान में हैं।

तू-तू, मैं-मैं

तेजस्वी ने राघोपुर में भी चुनाव सभा को संबोधित किया, जहां से वह खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुक़ाबला बीजेपी के सतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के राकेश रोशन से है। तेजस्वी यहां से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।

पहले चरण के मतदान के लिए हुए प्रचार अभियान में नेताओं के बीच ज़बरदस्त तू-तू मैं-मैं हुई, निजी हमले भी हुए। नीतीश कुमार जैसे संयम रखने वाले और संतुलित बात करने वाले व्यक्ति ने भी आपा खोया और निजी हमले किए।

नीतीश ने आपा खोया

नीतीश कुमार ने एक सभा में 'लालू यादव जिन्दाबाद' के नारे लगा रही भीड़ को फटकार लगाते हुए कहा कि वे उन्हें 'वोट नहीं देंगे तो न दें, पर वहां तमाशा न करें।' इसी तरह एक दूसरी रैली में इसी तरह की नाराबाजी होने पर मुख्यमंत्री ने हड़काते हुए कहा कि 'सबको ठीक कर देंगे।'

और तो और, मुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद याव और राबड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुए कोई विकास कार्य नहीं होने की बात करते हुए निजी हमले किए। उन्होंने बगैर नाम लिए ही कहा कि 'जाकर अपने बाप से पूछो, माता से पूछो कि उनके समय में कितने स्कूल बने।'

ऐसे पलटा पासा

पहले चरण के चुनाव प्रचार अभियान की एक बड़ी ख़ासियत यह रही कि भावना भड़काने वाली बातें एकदम पीछे छूट गईं और बेरोज़गारी जैसे मुद्दे सामने आ गए। प्रधानमंत्री  ने अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाया, बीजेपी के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने पाकिस्तान का मुद्दा उठाया। और तो और, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जिन्ना का मुद्दा उठाते हुए  मधुबनी के जाले से कांग्रेस उम्मीदवार मसकूर अहमद उस्मानी से पूछा कि वह बताएं कि वह जिन्ना के समर्थक हैं या नहीं।

लेकिन जब आरजेडी के तेजस्वी यादव ने 10 लाख लोगों को रोज़गार देने की बात कही, तो अनुच्छेद 370, पाकिस्तान और जिन्ना जैसे मुद्दे पीछे छूट गए। पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मजाक उड़ाया और तंज किया कि इसके लिए पैसे क्या जेल से आएंगे।

बता दें कि लालू यादव जेल में हैं। उसके बाद ऐसे पासा पलटा की बीजेपी ने भी 19 लाख लोगों को रोज़गार देने का वायदा कर दिया। अब नीतीश कुमार इस मुद्दे पर चुप हैं।

प्रधानमंत्री का झूठ

पहले चरण के चुनाव प्रचार अभियान में यह भी पूछा जाने लगा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार के पहले कार्यकाल को लेकर लोगों को गुमराह किया और झूठ बोला। मोदी ने कहा कि नीतीश के पहले कार्यकाल के दौरान यूपीए की केंद्र सरकार ने उन्हें काम नहीं करने दिया और बिहार के 5 साल बर्बाद हो गए।

पर राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि नीतीश ने अच्छ कामकाज पहले 5 साल में ही किया। उन्हें कई तरह के पुरस्कार मिले, कई मामलों में बिहार ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया और नीतीश की वाहवाही पहले ही कार्यकाल में हुई।

बिहार की जनता दल इन तमाम मुद्दों पर क्या फैसला सुनाती है, यह कुछ दिनों में ही पता चल जाएगा।

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