कोरोना: अहमदाबाद में हालात बेहद ख़राब पर क्यों नहीं हो रही ठीक से टेस्टिंग?
भारत में कोरोना के सबसे बड़े हॉट स्पॉट्स में से एक गुजरात के अहमदाबाद में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। रविवार को अहमदाबाद में कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण 19 लोगों की मौत हो गई है। केवल अहमदाबाद में अभी तक 105 लोग इस वायरस के कारण जान गंवा चुके हैं। अहमदाबाद से ज़्यादा मौत केवल मुंबई में हुई हैं, जहां यह आंकड़ा 200 के पार पहुंच चुका है।
चिंताजनक बात यह है कि इन 19 लोगों में से 8 लोग ऐसे थे, जिन्हें कोई दूसरी बीमारी नहीं थी और इनकी उम्र 34-59 साल के बीच थी। मरने वालों में कांग्रेस के पार्षद बदरूद्दीन शेख़ भी शामिल हैं।
हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 20 अप्रैल से 26 अप्रैल तक अहमदाबाद में 67 लोगों को कोरोना के कारण जान से हाथ धोना पड़ा है। राज्य में कोरोना संक्रमण से मौत के कुल मामलों में से 68 फ़ीसदी अहमदाबाद से ही हैं। इसके बाद सूरत दूसरे नंबर पर है। वडोदरा और दूसरे शहरों से भी कुछ मामले सामने आए हैं।
यहां पर सबसे बड़ा सवाल टेस्टिंग का है। जब संक्रमण इतने बड़े स्तर पर फैल चुका है तो धड़ाधड़ टेस्टिंग की जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का कहना है कि अहमदाबाद नगर निगम हर 10 लाख में से 2,701 सैंपल की जांच कर रहा है। यह आंकड़ा बेहद कम है और राज्य सरकार को इसे हर हाल में बढ़ाना चाहिए।
देश के सभी राज्य टेस्टिंग किट की समस्या से जूझ रहे हैं। चीन से जो रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट मंगाई गई थीं, उनसे की गई टेस्टिंग के नतीजे बेहद ख़राब आये और इस वजह से कई राज्यों ने इन किट्स से टेस्टिंग रोक दी थी। इसके बाद इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने सभी राज्यों से कहा कि वे अगले आदेश तक इन किट्स से टेस्टिंग न करें।
यह बहुत बड़ा संकट है क्योंकि बिना रैंडम टेस्टिंग के असल में यह पता नहीं चल पा रहा है कि आख़िर कोरोना का संक्रमण कहां-कहां तक फैल चुका है। अहमदाबाद के अलावा मुंबई, इंदौर, दिल्ली, जयपुर में कोरोना का संक्रमण ख़तरनाक रूप अख़्तियार कर रहा है, ऐसे में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट्स का फ़ेल हो जाना हालात के और ख़राब होने का संकेत देता है।