अब भारत को आँख दिखाएगा भूटान, ऐसी हो गई है विदेश नीति?
इसे भारतीय विदेश नीति की असफलता ही कहा जायेगा कि भारत पर काफ़ी हद तक निर्भर रहने वाला भूटान भी अब नई दिल्ली को आँखें दिखा रहा है। ताज़ा घटनाक्रम में भूटान ने उस नहर को बंद कर दिया है जिससे बहता हुआ पानी असम पहुँचता है और वहाँ के किसान धान की खेती में सिंचाई के लिए उसका इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन इस घटना पर विवाद होते ही दोनों पक्ष सफ़ाई देने में जुट गए। भूटान ने कहा कि उसने कभी पानी बंद नहीं किया था, बल्कि साफ़-सफ़ाई कर रहा था। भारत ने भी उसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दरअसल थिम्पू ने कभी पानी बंद किया ही नहीं था। पर सच यह है कि पानी बंद किया गया था और इसकी वजहें थीं।
क्या है मामला
असम और भूटान के बीच धोंग नामक मानव-निर्मित नहर है, जिसका इस्तेमाल दोनों देशों के किसान 1953 से ही कर रहे हैं। भारत के लगभग 25 गाँवों के किसान धान की खेती के लिए इस नहर से मिलने वाले पानी पर निर्भर हैं।
भूटान का कहना है कि कोरोना रोकथाम के उपायों के तहत ही उसने विदेशियों के भूटान की सीमा में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है। असम के ये किसान विदेशी हैं, लिहाज़ा वे भूटान नहीं जा सकते।
भारत-भूटान संबंध
ऐसा पहली बार हो रहा है कि भूटान ने ऐसा कोई कदम उठाया है जिससे भारत को दिक्क़त हो या उसे नागवार गुजरे। भूटान अर्थव्यवस्था ही नहीं तमाम दूसरे मुद्दों पर भी भारत पर निर्भर है। भारत ने भूटान की सुरक्षा की गारंटी दे रखी है।डोकलाम का विवाद भूटान-चीन-भारत की सीमा पर चीनी सैनिकों के जमा होने से ही शुरू हुआ था। चूंकि भारत ने भूटान को सुरक्षा की गारंटी दी है, उसकी सीमा की हिफ़ाजत भी भारत की ही ज़िम्मेदारी है और इसलिए भारत ने वहाँ अपने सैनिक भेजे थे जिस पर विवाद हुआ था।
चीन के असर में भूटान
लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि चीन ने नेपाल ही नहीं, भूटान को भी भारी वित्तीय मदद दी है। चीन ने भूटान में कई पनबिजली और सड़क परियोजनाओं की पेशकश की हैं।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन यह चाहता है कि भूटान उसके बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा बन जाए। बीआरआई प्रोजेक्ट के तहत चीन ऐसी सड़कें बनवा देगा जिससे चीन से भूटान जुड़ जाएगा। भूटान इस पर अब तक राजी नहीं हुआ है, पर समझा जाता है कि वह बीजिंग के दबाव में है।
जिस समय भारत-चीन तनाव चरम पर है, दोनों सेनाओं में झड़प तक हो चुकी है जिसमें दोनों देशों के सैनिक मारे गए हैं, ठीक उसी समय भारत को नाराज़ करने वाला कदम भूटान उठाये तो क्या यह समझा जाए कि उसने चीन के दबाव में ऐसा किया है या चीन को खुश करने के लिए किया है