किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से अलग हुए भूपिंदर सिंह मान
सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई चार सदस्यों वाली कमेटी में शामिल भूपिंदर सिंह मान ने ख़ुद को इससे अलग कर लिया है। मान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और ऑल इंडिया किसान को-ऑर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों व सरकार के बीच जारी गतिरोध को ख़त्म करने के लिए 4 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी को पहली बैठक के दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी है। इस कमेटी को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें शामिल सभी सदस्य मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों के घोर समर्थक रहे हैं।
मान ने बयान जारी कर कहा है कि ताज़ा हालात और किसान संगठनों व जनता की आशंकाओं को देखते हुए वह किसी भी पद को छोड़ने के लिए तैयार हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद मान ने कहा है कि वह पंजाब और देश के किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।
कौन हैं कमेटी में?
कमेटी में भूपिंदर सिंह मान के अलावा इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) में दक्षिण एशिया में पूर्व निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री और कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट ऐंड प्राइस के पूर्व चेयरमैन अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनावत शामिल हैं।
लेकिन किसान संगठनों ने कमेटी के सामने पेश होने और उससे बात करने से साफ इनकार कर दिया है। किसानों का कहना है कि कमेटी में शामिल चारों लोग पहले ही कृषि क़ानूनों का समर्थन कर चुके हैं, ऐसे में आख़िर वे इन कमेटियों के सामने क्यों पेश होंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे इस आंदोलन को और तेज़ करेंगे। इससे इस मसले का हल निकलना और मुश्किल हो गया है।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्यों पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वे यह लिखते रहे हैं कि किस तरह ये कृषि क़ानून किसानों के हित में हैं। ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने कहा था कि कमेटी का गठन करने में सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया गया है।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
किसान ट्रैक्टर परेड की तैयारी
इस सबके बीच, सभी किसान, नौजवान और तमाम यूनियनों से जुड़े लोग 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रैक्टर परेड की तैयारियों में जुटे हुए हैं। पंजाब-हरियाणा के हर गांव से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रालियों को दिल्ली लाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी दिल्ली आएंगे। केएमपी एक्सप्रेस वे पर किसान ट्रैक्टर रैली निकालकर अपनी ताक़त का इजहार कर चुके हैं और 26 तारीख़ को लेकर सरकार को चेता चुके हैं कि वह इन क़ानूनों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।पंजाब में किसान ट्रैक्टर परेड की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। पंजाब के सभी जिलों से ट्रैक्टर्स का जत्था दिल्ली के लिए कूच करने को तैयार है। अमृतसर से ऐसा एक जत्था निकल भी चुका है। पंजाब के किसान संगठनों का कहना है कि वे 20 जनवरी से ही ट्रैक्टर्स और आम लोगों को दिल्ली के लिए रवाना कर देंगे। एनडीटीवी के मुताबिक़, पंजाब में गुरुद्वारों से की जा रही अपील में कहा जा रहा है, ‘अगर हम अभी नहीं जाते हैं तो हमें फिर कभी यह मौक़ा नहीं मिलेगा। यह हमारे हक़ की लड़ाई है।’
हरियाणा से भी होगी भागीदारी
पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी यही स्थिति है। यहां भी किसान नेताओं की पूरी कोशिश है कि हर गांव से लोगों की इस परेड में भागीदारी हो। महिलाओं को ट्रैक्टर चलाना सिखाया जा रहा है ताकि वे इस परेड में हिस्सा ले सकें। टिकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में हरियाणा के किसानों की बड़ी भागीदारी है।
एक ओर किसानों की ट्रैक्टर परेड की तैयारी है तो दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पुलिस ने अदालत में दायर याचिका में कहा है कि वह इसके ख़िलाफ़ आदेश जारी करे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में किसान यूनियनों को नोटिस जारी किया है।