जनसंघ ने 1970 में साथ दिया होता तो जनसंख्या काबू हो जाती: बघेल
उत्तर प्रदेश और असम की बीजेपी शासित सरकारों के द्वारा जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लाने की जोरदार तैयारियों के बीच कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने उन्हें जवाब दिया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि यही भारतीय जनता पार्टी है जिसने नसबंदी के कार्यक्रम का विरोध किया था।
इस बीच, बीजेपी के कई नेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लाने का समर्थन किया है। इनमें कर्नाटक और बिहार बीजेपी के नेता शामिल हैं।
बघेल ने रायपुर में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि 70 के दशक में अगर नसबंदी को आगे बढ़ाया जाता तो जनसंख्या इतनी नहीं बढ़ी होती लेकिन उस वक़्त विपक्ष के लोगों ने इसे मुद्दा बनाया और 1977 के चुनाव के वक़्त यह प्रमुख मुद्दा रहा था। बता दें कि उस वक़्त जनसंघ हुआ करता था जो जिसे आगे चलकर बीजेपी का नाम दिया गया।
कांग्रेस के लिए दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रचार करने वाले बघेल ने कहा कि इसी वजह से जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम प्रभावित हुआ था। उन्होंने कहा कि क़ानून बनाने से समस्या का हल नहीं होगा जब तक लोगों में जागरूकता न आए। उन्होंने कहा कि ग़रीब परिवार भी कम परिवार का महत्व समझ रहा है।
बघेल ने कहा कि पहले भी नारा था हम दो-हमारे दो और इस अभियान को फिर से चलाया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया। बघेल ने योगी सरकार से पूछा कि क्या वह दो बच्चों वाले परिवार को नौकरी की गारंटी दे सकती है।
कांग्रेस के बड़े ओबीसी चेहरों में गिने जाने वाले बघेल ने कहा कि बीजेपी नेताओं की ओर से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जो बयान आ रहे हैं, वे उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर दिए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और बीजेपी वहां जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
कांग्रेस के बड़े नेता पीएल पूनिया ने जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के मसले पर एएनआई से कहा था कि चूंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव नज़दीक आ रहा है और ऐसे वक़्त में ऐसे मुद्दे लाने की कोशिश हो रही है, जिससे आप ध्रुवीकरण करने का काम कर सकें। उन्होंने कहा था कि इस बारे में राष्ट्रीय नीति बननी चाहिए और सभी से विचार-विमर्श होना किया जाना चाहिए।
क्या है यूपी सरकार के ड्राफ़्ट में?
यूपी सरकार के विधि आयोग की ओर से तैयार किए गए जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के ड्राफ़्ट में प्रावधान किया गया है कि जिन लोगों के दो से ज़्यादा बच्चे होंगे उन्हें सरकारी योजनाओं का फ़ायदा नहीं मिलेगा। इसके साथ ही उन्हें स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने का मौक़ा भी नहीं मिलेगा और वे सरकारी नौकरी के लिए भी आवेदन नहीं कर सकेंगे।
इसके उलट, जो लोग दो बच्चों वाले नियम का पालन करेंगे, उन्हें उनकी सरकारी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, घर बनाने के लिए प्लॉट खरीदने पर सब्सिडी सहित कई सुविधाएं मिलेंगी। जिन विवाहित जोड़ों का एक ही बच्चा होगा, उन्हें इससे कहीं ज़्यादा सुविधाएं देने की बात ड्राफ़्ट में कही गयी है।
वीएचपी ने जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की हिमायत करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर क़ानून बनाना चाहिए और इसका सभी धर्मों के लोगों और हर राज्य को पालन करना चाहिए।