भीलवाड़ा था कोरोना हॉटस्पॉट, बीते 4 दिनों में एक मामला नहीं
ऐसे समय जब पूरे देश में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है, राजस्थान के भीलवाड़ा से बीते चार दिनों में किसी के संक्रमित होने का मामला सामने नहीं आया है। भीलवाड़ा का मामला इसलिये अहम है क्योंकि देश में कोरोना के जो चंद बड़े ठिकाने यानी हाटस्पाट बताये गये थे, भीलवाड़ा उनमें से एक था।
कैसे बना हॉटस्पॉट?
भीलवाड़ा में कोरोना संक्रमण का अंतिम मामला 30 मार्च को सामने आया था। उस दिन तक पूरे भीलवाड़ा ज़िले में 26 लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया गया था, जिसमें से 2 लोगों की मौत हो गई थी।पहले पॉजिटिव, अब निगेटिव
ज़िला मजिस्ट्रेट राजेंद्र भट्ट ने ‘द प्रिंट’ से बात करते हुए दावा किया है कि जो 24 पॉज़िटिव मामले पाए गए थे, उनमें से 13 निगेटिव हो चुके हैं, यानी उनका इलाज किया जा चुका है और उसके बाद जिन लोगों की जाँच की गयी उन में कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए।‘द प्रिंट’ के मुताबिक, ज़िला प्रशासन ने यह भी कहा है कि जिन 6,800 लोगों को क्वरेन्टाइन किया गया था, उनमें से 2,500 लोग ही फ़िलहाल क्वरेन्टाइन में हैं। छोड़े गये लोगों में कोरोना के लक्षण निगेटिव पाये गये।
पूरे देश में लॉकडाउन लागू होने के पहले ही भीलवाड़ा प्रशासन ने ज़िला की सीमा को सील कर दिया था।
लॉकडाउन से पहले सख़्ती
दरअसल, ब्रजेश बांगड़ मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों और दूसरे कर्मचारियों में 19 मार्च को कोरोना के संक्रमण पाए गए थे। उसके अगले दिन यानी 20 मार्च को ही प्रशासन ने सीमाओं को बंद कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मचारियों की जाँच बढ़ा दी।भीलवाड़ा में प्रशासन ने न केवल कर्फ़्यू लगाया बल्कि उसका सख़्ती से पालन भी किया। सिर्फ़ दूध और दवा की दुकानों को खुला रहने दिया गया। प्रशासन ने स्थानीय बूथों के ज़रिए फल-सब्जी और राशन की आपूर्ति हर किसी को की।
अलग जाँच प्रोटोकॉल
‘द प्रिंट’ के अनुसार, भीलवाड़ा में अलग जाँच प्रोटोकॉल अपनाया गया था। चूंकि ज़्यादातर मामले निजी अस्पतालों से मिले थे, इसलिए महीने भर में इन अस्पतालों से निकलने वाले हर किसी की कोरोना जाँच की गई। इसके अलावा घर-घर जाकर सर्वे किया गया और डॉक्टरों ने जिसकी भी जाँच करने को कहा, उसकी जाँच की गई।जन संपर्क अधिकारी पवनेश शर्मा ने कहा कि रोज़ाना 300 से 400 टेस्ट किए जाते हैं और अगले 10 दिनों में 4 हज़ार टेस्ट किए जाने की योजना है। राजस्थान में जितनी जाँच हुई है, उसका 20 प्रतिशत सिर्फ़ भीलवाड़ा में हुआ है।